इस साल 25 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन दीपक मृत्यु के नियंत्रक देव यमराज के निमित्त जलाया जाता है। कहते हैं धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी के साथ यमराज की पूजा भी की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन श्रद्धा पूर्वक यमराज का नमन करते हैं तो घर में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती। आइए आपको बताते हैं यमराज की पूजा की विधि और क्या है इसका महत्व
ऐसे करें यमराज की पूजा
1. धनतेरस के दिन यमराजकी पूजा करने के लिए शाम को एक वेदी पर रोली से स्वास्तिक बनाए।2. उस स्वास्तिक के चारों ओर दीपक रखकर उसे जलाएं। 3. सभी दीयों में छेद वाली कौड़ियां डाल दें।4. अब इन दीपक के चारों ओर तीन बार गंगाजल छिड़के।5. दीपक को रोली से तिलक लगाकर अक्षत और मिठाई चढ़ाएं।6. इसके बाद इसमें कुछ दक्षिणा जरूर रख दीजिए। 7. बाद में इस दक्षिणा को किसी ब्राह्मण को दे दीजिए।
ये है प्राचीन कथा
भारत में प्रचलित एक लोक कथा के अनुसार, एक समय हेम नाम का एक राजा था। उसके घर में एक पुत्र का जन्म हुआ। भारत में अब भी सनातन या वैदिक धर्म मानने वाले परिवारों में बच्चे के जन्म की कुंडली यानी जन्मकुंडली किसी शास्त्रों का ज्ञान रखने वाले योग्य ब्राह्मण से बनवाई जाती है। राजा हेम ने भी अपने बेटे की जन्मकुंडली बनवाई।
जन्मकुंडली में दिल दहलाने वाली बात सामने आई। वह यह थी कि जब राजा के बेटे की शादी होगी तो उसके चार दिन बाद उसकी मौत हो जाएगी। यह जानकर राज हेम की दुख की सीमा न रही और बेटे के रहने का इंतजाम ऐसी जगह किया जहां कोई महिला उसे देख भी न सके या वह किसी महिला के संपर्क में न आ सके। राजा का यह इंतजाम शायद प्रकृति को नामंजूर था इसलिए एक दिन एक सुंदर राजकुमारी उसी जगह से गुजरी जहां राजा ने अपने बेटे को रखा था। दोनों ने एक दूसरे को देखा और उनके दिल में प्रेम पनप गया। दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गए और गंधर्व विवाह कर लिया।
चार दिन बाद राजकुमार की मौत हो गई। यमदूत उसके प्राण लेने पहुंचे। नवविवाहिता राजकुमारी रो रही थी। उसकी रोने की आवाज ने यमदूतों को भी दुखी कर दिया लेकिन राजकुमार के प्राण अपने साथ ले जाना उनकी ड्यूटी में था। एक यमदूत से रहा नहीं गया और उसने अपने राजा यमराज पूछा- महाराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे इंसान की अकाल मृत्यु न हो।
यमराज ने दूत को उपाय बताया। यमराज ने कहा कि मनुष्य के कर्म तय करते हैं कि अकाल मृत्यु होगी या नहीं लेकिन इससे मुक्ति का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति अगर कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात को मेरी तरफ यानी दक्षिण दिशा की ओर मुझे दीपक और पूजन भेंट करता है तो उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी। इसीलिए सनातन धर्म में धनतेरस को रात में आंगन या घर के दरवाजे पर दक्षिण दिशा को दीपक रखा जाता है। इसका मतलब है कि यमराज खुश को आपका लंबा जीवन तय है। भारत में इस बार धनतेरस का पर्व 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा।