देवशयनी एकादशी विशेष: आज करें ये उपाय, आर्थिक तंगी और क्लेश से मिलेगा छुटकारा
By गुलनीत कौर | Published: July 23, 2018 10:40 AM2018-07-23T10:40:59+5:302018-07-23T11:19:26+5:30
Devshayani Ekadashi 2018: देवशयनी एकादशी के बाद सभी मांगलिक कार्यों जैसे कि शादी-ब्याह, ग्रह प्रवेश, नए बिजनेस की शुरुआत, ऐसे तमाम कार्यों पर विराम लग जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे पुराणों में हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। इस साल यह एकादशी 23 जुलाई 2018 को है। हिन्दू धर्म में इस एकादशी को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसी दिन से सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवशयानी एकादशे के दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए विश्राम करने पाताल लोक में चले जाते हैं। कहते हैं कि इन चार महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए शादी-ब्याह, ग्रह प्रवेश, नए बिजनेस की शुरुआत, ऐसे तमाम कार्यों को इन चार महीनों में करना वर्जित माना जाता है।
यह भी पढ़ें: इस श्रावण बेलपत्र की जगह इस 5 पत्तों से करें भगवान शिव की पूजा, होंगी सारी मनोकामनाएं पूरी
कहते हैं कि इन चार महीनों में भगवान विष्णु के पाताल लोक में चले जाने से देवताओं की शक्ति कम हो जाती है और दैत्यों की ताकत बढ़ जाती है। नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है। इसका बुरा प्रभाव ना हो इसके लिए शास्त्रों में कुछ उपाय दर्ज हैं जिन्हें देवशयनी एकादशी के दिन से ही किया जाना चाहिए। आइए जानते हैं विशष उपाय:
- हिन्दू धर्म में यूं तो हर एकादशी पर व्रत करने को कहा जाता है लेकिन देवशयनी एकादशी पर निर्जला उपवास रखा जाता है। ऐसा करने से विभिन्न लाभ मिलते हैं
- आर्थिक तंगी से गुजर रहे लोग इसदिन जल में केसर मिलाकर लक्ष्मी-नारायण का अभिषेक करें
- एकादशी की शाम को तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं और विधि-विधान से देवी तुलसी की पूजा करें
- हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है, इसलिए इसदिन पीले रंग के पकवान का उन्हने भोग लगाएं, पीले वस्त्र अर्पित करें और पीले रंग की चीजों का ही गरीबों में दान करें
- एकादशी की सुबह घर में हल्दी के जल का छिड़काव करें
- भगवान विष्णु के नाम का जाप करें या फिर इस मंत्र का कम से कम एक माला जाप करें - "ॐ नमो भगवते वसुदेवाय नम:"