Choti Diwali 2025: आज है नरक चतुर्दशी, यम दीपक जलाने का क्या है समय? जानें इसका महत्व और नियम
By अंजली चौहान | Updated: October 19, 2025 08:34 IST2025-10-19T08:32:58+5:302025-10-19T08:34:25+5:30
Choti Diwali 2025:इस वर्ष नरक चतुर्दशी और दिवाली एक ही दिन, 20 अक्टूबर को पड़ रही है। जानिए यम दीप का महत्व और यह दुर्लभ संयोग हिंदू परंपरा में विशेष महत्व क्यों रखता है।

Choti Diwali 2025: आज है नरक चतुर्दशी, यम दीपक जलाने का क्या है समय? जानें इसका महत्व और नियम
Choti Diwali 2025: नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है, पाँच दिवसीय दिवाली उत्सव में एक विशेष महत्व रखती है। आमतौर पर मुख्य दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी इस वर्ष एक दुर्लभ संयोग लेकर आ रही है जहाँ नरक चतुर्दशी और दिवाली दोनों एक ही दिन पड़ रही हैं।
नरक चतुर्दशी 2025 तिथि
नरक चतुर्दशी सोमवार, 20 अक्तूबर 2025 को दिवाली के साथ मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर को दोपहर 1:51 बजे शुरू होगी और 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे समाप्त होगी।
चूँकि पारंपरिक रूप चौदस स्नान सूर्योदय से पहले किया जाता है, इसलिए यह उत्सव उदय तिथि (सूर्योदय के समय) के आधार पर 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
यम दीपक कब जलाएँ
यम दीपक, मृत्यु के देवता भगवान यम को समर्पित एक दीया है, जो अकाल मृत्यु और नकारात्मकता को दूर भगाने के लिए जलाया जाता है। कई लोग धनतेरस पर यह दीपक जलाते हैं, तो कुछ लोग दिवाली से एक दिन पहले।
धनतेरस की परंपरा का पालन करने वालों को 18 अक्टूबर की रात को यम दीपक जलाना चाहिए। जो लोग दिवाली से एक दिन पहले इसे मनाते हैं, वे इसे 19 अक्टूबर को जला सकते हैं।
महत्व और मान्यताएँ
नरक चतुर्दशी कई पौराणिक कथाओं से जुड़ी है, लेकिन यम दीप जलाने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि भगवान यम को यह दीपक अर्पित करने से अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है और घर से नकारात्मक ऊर्जाएँ दूर होती हैं।
यम दीप जलाने के नियम
चारमुखी दीपक का प्रयोग करें:
हमेशा चौमुखी दीपक (चारमुखी दीपक) का प्रयोग करें जिसमें चार बत्तियाँ चार दिशाओं में हों। यह सभी दिशाओं में प्रकाश और सकारात्मकता फैलाने का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा दीपक जलाने से भगवान यम प्रसन्न होते हैं और परिवार को बड़े संकटों और अकाल मृत्यु से बचाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इससे पूर्वजों को शांति मिलती है।
सही दिशा और सामग्री:
शास्त्रों के अनुसार, यम दीप को हमेशा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए, जो भगवान यम से संबंधित है। दीपक मिट्टी या गेहूँ के आटे का बना होना चाहिए और जलाने से पहले उसमें सरसों का तेल भरना चाहिए।
14 दीपक जलाएँ:
यम दीप के साथ, भक्तों को घर के चारों ओर, मंदिर में, रसोई में, पीने के पानी के पास, तुलसी के पौधे के पास, मुख्य द्वार पर, छत पर और यहाँ तक कि बाथरूम के पास भी 14 दीपक जलाने की सलाह दी जाती है। ये दीपक अत्यधिक शुभ माने जाते हैं और समृद्धि और सकारात्मकता को आकर्षित करते हैं।
उचित अनुष्ठानों का पालन करें:
यम दीप जलाने के बाद, इसे पहले पूरे घर में घुमाना चाहिए और फिर दक्षिण दिशा में बाहर रखना चाहिए। सुनिश्चित करें कि जिस स्थान पर दीपक रखा गया है वह स्वच्छ और पवित्र हो।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत आर्टिकल में मौजूद जानकारी सामान्य ज्ञान पर आधारित है। लोकमत हिंदी इसमें दिए गए दावों की पुष्टि नहीं करता है। विश्वास पर विचार करने या उसे लागू करने से पहले किसी योग्य विशेषज्ञ से परामर्श करने की दृढ़ता से अनुशंसा की जाती है।)