Chhath Puja 2024: छठ पूजा संध्या अर्घ्य आज, जानें शुभ मुहूर्त, सूर्यास्त का समय, पूजा अनुष्ठान और बहुत कुछ
By अंजली चौहान | Published: November 7, 2024 07:35 AM2024-11-07T07:35:44+5:302024-11-07T07:38:13+5:30
Chhath Puja 2024: छठ पूजा का आज तीसरा दिन है।
Chhath Puja 2024: छठ पूजा पर्व का आज तीसरा और बेहद अहम दिन है। आज सभी व्रती नदी किनारे घाटों पर पूजा करने वाली हैं। आज छठ पूजा का पहला अर्घ्य दिया जाएगा। छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। आज व्रती महिलाएं नदी के किनारे बने छठ घाट पर शाम को पूरी श्रद्धा के साथ भगवान भास्कर की पूजा करती हैं। व्रती जल में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना और अन्य प्रसाद सामग्री के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और अपने परिवार और बच्चों की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। नदी किनारे यह नजारा बेहद अद्भूत होता है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
इस वर्ष छठ महापर्व का तीसरा दिन 07 नवंबर, गुरुवार को संध्या अर्घ्य का है। इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 6:14 बजे और सूर्यास्त का समय शाम 5:37 बजे है।
द्रिक पंचांग के अनुसार षष्ठी तिथि 06 नवंबर को दोपहर 3:11 बजे से शुरू हो रही है और 07 नवंबर को दोपहर 3:04 बजे समाप्त होगी।
संध्या अर्घ्य का महत्व
सूर्य देव को अर्घ्य देने की विधि
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और ऐसा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
सूर्य देव को अर्घ्य देने की विधि
- संध्या अर्घ्य के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए और फिर साफ कपड़े पहनने चाहिए। फिर व्रत रखने वाले व्यक्ति को मुट्ठी में जल लेकर संकल्प लेना चाहिए।
- छठ पर्व के तीसरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को जल चढ़ाती हैं। शाम की प्रार्थना के समय डूबते सूर्य को जल चढ़ाने के लिए एक बड़ी बांस की टोकरी या 3 टोकरियाँ लेनी होती हैं।
- टोकरी में आपको चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सब्ज़ियाँ और अन्य सामग्री रखनी होती है। सभी पूजा सामग्री को टोकरी या टोकरी में रखने के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद टोकरी में रख दिया जाता है और अर्घ्य दिया जाता है।
- शाम की प्रार्थना के दौरान सूप में एक दीपक जलाकर रखा जाता है। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद छठी मैया को फल, ठेकुआ और अन्य प्रसाद चढ़ाया जाता है। फिर शाम की प्रार्थना करने के बाद सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है।
छठ पूजा के बारे में
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। छठ व्रत संतान की लंबी आयु और समृद्धि के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से परिवार में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं। वहीं जिन लोगों की गोद सूनी है और वे छठ व्रत करते हैं तो छठी मैया की कृपा से उन्हें जल्द ही संतान की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि छठ पूजा में डाला का विशेष महत्व होता है। डाला का मतलब होता है बांस की टोकरी। इस डाला को पुरुष या महिला अपने सिर पर रखकर तालाब या नदी के किनारे बने छठ घाट पर जाते हैं। इस डाला में छठ पूजा से जुड़ी सभी पूजा सामग्री होती है।
(डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में लिखी गई सामाग्री सामान्य जानकारी पर आधारित है, लोकमत हिंदी किसी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है। सटीक जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह आवश्य लें।)