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Chhath Puja 2024: छठ व्रत के दौरान न करें ये गलतियां, वरना टूट जाएगा व्रत; जानें क्या करें और क्या न

By अंजली चौहान | Updated: November 5, 2024 13:47 IST

Chhath Puja 2024: छठ पूजा दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ती है।

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Chhath Puja 2024: भारत और विदेशों में बिहार के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला महापर्व छठ 5 नवंबर से शुरू हो गया है। आज से अगले चार दिनों तक यह पर्व अलग-अलग रस्मों से साथ मनाया जाएगा। छठ पूजा की शुरुआत स्नान से होती है और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इसका समापन होता है। कई भक्त सख्त "निर्जला" व्रत रखते हैं, जिसे सबसे चुनौतीपूर्ण माना जाता है। कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के छठे दिन, भक्त छठी मैया की पूजा करते हैं, जिन्हें सुख, सफलता, वैभव, प्रसिद्धि, समृद्धि और सम्मान प्रदान करने वाली माना जाता है।

इस साल, छठ पूजा 5 नवंबर से शुरू होगी और 8 नवंबर को समाप्त होगी, जबकि मुख्य उत्सव 7 नवंबर, 2024 को मनाया जाएगा। हालांकि, व्रत को लेकर हिंदू धर्म में  कुछ नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना बेहद अहम होता है ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि छठ के दौरान अच्छे से व्रत करने के लिए क्या करें और क्या न?

छठ पूजा 2024: क्या न करें?

- बिना हाथ धोए या स्नान किए पूजा के लिए रखी गई किसी भी चीज को न छुएँ।

- प्रसाद बनाते समय नमकीन चीजें खाना या छूना सख्त मना है।

- अगर आपके परिवार का कोई सदस्य छठ पूजा करने वाला है, तो वहाँ मांसाहारी कुछ भी खाने से बचें।

- त्योहार खत्म होने तक बच्चों को पूजा के फल और प्रसाद खाने या काटने से रोकें।

- कृपया पूजा के लिए रखी गई चीज़ों को इधर-उधर न बिखेरें।

- पूजा के दौरान गंदे कपड़े पहनने के बजाय सिर्फ साफ, नए कपड़े पहनें।

- पूजा के दौरान शराब पीना और धूम्रपान करना सख्त मना है।

छठ पूजा 2024: क्या करें?

- व्रती (व्रत रखने वाली महिला) की मदद करके गेहूँ (गेहू) धोएँ और सुखाएँ ताकि बाद में इसका इस्तेमाल प्रसाद बनाने में किया जा सके।

- छठ पूजा के किसी भी अनुष्ठान में भाग लेने से पहले, हर दिन स्नान करें।

- प्रसाद तैयार करने से पहले अपने हाथ और पैर अच्छी तरह से साफ करना सुनिश्चित करें।

- स्नान के बाद महिलाओं के लिए नारंगी सिंदूर लगाना पहला और मुख्य अनुष्ठान है।

- स्नान करें, नए कपड़े पहनें और फिर छठ पूजा के दिन संध्या घाट और भोरवा घाट पर नदी के किनारे अपने परिवार और दोस्तों के साथ शामिल हों।

- बड़ों का आशीर्वाद लें और छठी मैया और सूर्य देव की पूजा करें।

- रात में व्रत कथा का पाठ करें या सुनें, यह जरूरी है।

भोग प्रसाद को सबसे पहले व्रती (व्रत रखने वाला) देवताओं को चढ़ाने के बाद चखता है। छठ पूजा पूरी पवित्रता और भक्ति के साथ करना ज़रूरी है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे परिवार और दोस्तों के लिए समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य आता है।

(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत आर्टिकल में दी गई जानकारी सामान्य ज्ञान पर आधारित है। लोकमत हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है। कृपया सटीक जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

टॅग्स :छठ पूजाबिहारहिंदू त्योहारत्योहारउत्तर प्रदेशझारखंड
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