देश भर में छठ का पर्व कल यानी 31 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हो गया है। कार्तिक मास की षष्ठी को मनाए जाने वाले इस पर्व की देश में बड़ी आस्था है। आज इसके दूसरे दिन खरना पूजा की जाएगी। खरना पूजा के बाद यानी 2 नवंबर को संध्याकालीन अर्घ्य दिया जाएगा। जबकि उसके अगले दिन यानी 3 नवंबर को सूर्य देव को सुबह अर्घ्य देकर इस व्रत का पारण होगा।
36 घंटे के इस निर्जला व्रत को हिन्दू धर्म का सबसे कठिन व्रत भी कह सकते हैं। जिसमें महिलाएं पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ देवी छठी की उपासना करती हैं। मान्यता है कि दूसरे दिन यानी खरना पूजा करने से छठी मईया खुश होती हैं। अगर आप भी इस बार छठ का व्रत रख रहे हैं तो आइए आपको बताते हैं क्या है खरना पूजा कि विधि
छठ पर खरना पूजा की विधि
छठ के दूसरे दिन खरना पूजा की जाती है। इस दिन सभी महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं। शाम में सूरज ढलने के बाद खीर-पूरी, केले, मिठाई और पान सुपारी का भोग लगाती है। इसके बाद इस प्रसाद को केले के पत्ते में रखकर घर और परिवार के लोगों को बांटा जाता है।
ध्यान में रखने वाली बात ये है कि इन सभी प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। क्योंकि माना जाता है कि छठ पर्व पर नया मिट्टी का चूल्हा ही सबसे शुद्ध और साफ होता है। इस चूल्हे के पास किसी भी तरह की कोई नमक वाली चीज या मांस-मछली का रखना आपके व्रत को खंडित कर सकता है। इसके बाद बनाई हुई खीर को व्रती खुद खाता है और उसके बाद फिर ये व्रत शुरू हो जाता है।
क्या है शुभ तिथि
छठ महापर्व की शुरुआत षष्ठी तिथि 2 नवंबर को 00:51 मिनट से शुरु हुआ है। षष्ठी तिथि का समापन 3 नवंबर को 1 बजकर 31 मिनट पर होगा। छठ पूजा के दिन सूर्योदय का समय 6 बजकर 33 मिट है। वहीं छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।