साल 2019 का पहला चंद्रग्रहण 21 जनवरी को पड़ रहा है। यह ग्रहण सुबह 10.11 बजे से 11.12 बजे तक लगेगा। बता दें कि यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इसे मध्य-पूर्व अफ्रीका ,योरप, अमेरिका,एवं पूर्वी रूस में देखा जा सकेगा। सोमवार को पड़ने वाला यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। इसे खगोलशास्त्र में ब्लड मून कहते है। बता दें कि चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा। शास्त्रों के मुताबिक चंद्रग्रहण के दौरान इन बातों ध्यान रखना चाहिए।
चंद्रग्रहण के दौरान इन बातों का दें ध्यान
- चंद्रग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, रोगी और बच्चों को बाहर नहीं निकलना चाहिए। ग्र- सुई और नुकीली चीजों का उपयोग भी नहीं करना चाहिए। अपने कक्ष तुलसी और नीम के पत्ते रखना चाहिए।- शास्त्रों के मुताबिक सूतक काल अच्छा समय नहीं माना जाता है। कहा जाता है कि अगर चंद्रग्रहण का असर किसी व्यक्ति पर पड़ता है तो वह 108 दिनों तक बना रहता है। - सूतक में भोजन नहीं करना चाहिए। हालांकि गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और बीमार व्यक्तियों पर यह नियम लागू नहीं होता। - मूर्ति पूजा और मूर्तियों का स्पर्श न करें, न ही तुलसी के पौधे का स्पर्श करना चाहिए।- इस दौरान नये काम की शुरुआत न करें।
जानिए कितने बजे लगेगा सूतकाल
इस चंद्रग्रहण का सूतककाल 21 जनवरी की रात लगभग 1 बजे से लगा। सूतक का मतलब है खराब समय या ऐसा समय जब प्रकृति ज्यादा संवेदनशील होती है, ऐसे में किसी अनहोनी के होने की संभावना ज्यादा होती है।
कब लगता है चंद्रग्रहण
पूर्ण चंद्रग्रहण तब लगता है जब धरती, सूर्य और चांद एक सीध में आ जाते हैं। आपको अगर यह चंद्रग्रहण देखना है तो आप बिना किसी उपकरण के आसानी से देख सकते हैं। बस इसके लिए रात को बस आकाश साफ होना चाहिए। और आपको आकाश में ग्रहण स्पष्ट दिखाई देगा। आपको चंद्र ग्रहण देखने के लिए किसी विशेष फिल्टर या सुरक्षात्मक चश्में पहनने की आवश्यकता नहीं है।सूर्य ग्रहण के विपरीत, चंद्रग्रहण आपकी आंखों के लिए नुकसानदायक नहीं है क्योंकि चंद्रमा से ग्रहण के समय कोई भी हानिकारक किरण नहीं निकलती।
क्यों हो जाता है चंद्रमा लाल
पूर्ण चंद्र ग्रहण का सबसे खूबसूरत नजारा तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह से होता है और यह लाल हो जाता है। इसने घटना को रक्त चंद्रमा या ब्लड मून के नाम से भी जाना जाता है। साइंस की माने तो इस समय चांद का लाल रंग इसलिए होता है क्योंकि सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी के वायुमंडल के माध्यम से हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को अपवर्तन भी कहा जाता है और यह सूरज से पृथ्वी के पीछे की जगह में लेंस की तरह लाल रोशनी देता है। इसका असर यह होता है कि चांद पूरा का पूरा लाल हो जाता है। चंद्रमा का यह सटीक रंग पृथ्वी के वायुमंडल और उसकी परिस्थितियों पर निर्भर करता है। इसलिए चांद का रंग हल्का लाल प्रतीत होता है।