Champa Shashti 2019: चंपा षष्ठी आज, भगवान शिव और कार्तिकेय को होता है समर्पित
By मेघना वर्मा | Published: December 2, 2019 09:23 AM2019-12-02T09:23:37+5:302019-12-02T12:26:35+5:30
चंपा षष्ठी के दिन भगवान शिव को बैंगन और बाजरा का भोग लगाया जाता है। मुख्य रूप से ये पर्व महाराष्ट्र में मनाया जाता है। लोग इस दिन सूरज उगने से पहले उठकर स्नानादि करते हैं इसके बाद शिव का ध्यान करते हैं।
देशभर में भगवान शिव के कई रूपों की उपासना करते हैं। भगवान शिव के लिए होने वाले कई सारे व्रत और पर्व में खास है चंपा षष्ठी। मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी का व्रत किया जाता है। ये पर्व इस साल 2 दिसंबर को पड़ा है। इस दिन भगवान शिव की मार्कंडेय स्वरूप की पूजा की जाती है।
भारत कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य में इस पर्व को मुख्य त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। यहां भगवान शिव के अवतार खंडोबा को किसानों के देवता के रूप में पूजा जाता है। जिनकी पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। स्कंदपुराण के अनुसार यह पर्व भगवान कार्तिकेय को भी समर्पित बताया जाता है। इसीलिए इसका नाम स्कंद षष्ठी भी है।
भगवान शिव को लगता है भोग
चंपा षष्ठी के दिन भगवान शिव को बैंगन और बाजरा का भोग लगाया जाता है। मुख्य रूप से ये पर्व महाराष्ट्र में मनाया जाता है। लोग इस दिन सूरज उगने से पहले उठकर स्नानादि करते हैं इसके बाद शिव का ध्यान करते हैं। कुछ लोग घर पर तो कुछ मंदिर जाकर शिव की उपासना करते हैं। इस दिन भगवान शिव को देसी खांड का भोग लगाया जाता है।
ना करें तेल का सेवन
इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा भी पूरे विधि-विधान से की जाती है। स्कंद षष्ठी के दिन दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठें। कार्तिकेय प्रभु को घी और दही के साथ जल अर्पित करें। इसके बाद भगवान कार्तिकेय को फूल चढ़ाएं। खासकर इस दिन भगवान कार्तिकेय को चंपा के फूल अर्पित किए जाते हैं। इस दिन रात में तेल का सेवन ना करें।
माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से सभी पाप कट जाते हैं। साथ ही सभी परेशानियों पर विराम लग जाता है। यही नहीं इससे सुख और शांति की प्राप्ति भो होती है। मान्यता है कि षष्ठी व्रत करने से जीवन में खुशहाली बनी रहती है। भगवान कार्तिकेय को मंगल ग्रह का स्वामी भी बताया जाता है इसलिए अपने मंगल को मजबूत बनाने के लिए भी इस व्रत के नियमों का पालन करते हैं।