लाइव न्यूज़ :

Chaitra Navratri 2022 Day 5: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी स्कंदमाता की आराधना, जानें पूजा विधि, मंत्र, कथा एवं आरती

By रुस्तम राणा | Updated: April 5, 2022 15:30 IST

चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि जो कोई भक्त मां के इस रूप की पूजा करता है मां उसकी मुरादें शीघ्र पूरी करती हैं।

Open in App

Chaitra Navratri 5th Day 2022: चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। 6 अप्रैल, बुधवार को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है और इस दिन पूरे समय सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि जो कोई भक्त मां के इस रूप की पूजा करता है मां उसकी मुरादें शीघ्र पूरी करती हैं। आइए जानते हैं मां स्कंदमाता कौन है? उनका स्वरूप कैसा और उनकी पूजा विधि, मंत्र क्या हैं? 

मां स्कंदमाता का स्वरूप

मां दुर्गा का यह रूप मातृत्व को परिभाषित करता है। मां स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं और इनकी गोद में भगवान स्कंद विराजमान हैं और दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपरी भुजा वरमुद्रा में और नीचे वाली भुजा में भी कमल हैं। माता का वाहन शेर है। स्कंदमाता कमल के आसन पर भी विराजमान होती हैं।

मां स्कंद माता की पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर व्रत और पूजा का संकल्प लें। मां को गंगाजल से स्नान करा कर वस्त्र अर्पित करें। मां को श्रृंगार अर्पित करें। उन्हें सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप-दीप, पुष्प, फल प्रसाद आदि से देवी की पूजा करें। उन्हें केले और इलायची का भोग लगाएं। मंत्र सहित मां की आराधना करें, उनकी कथा पढ़ें और अंत में आरती करें।  

स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

स्कंद माता की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक तारकासुर नामक राक्षस था। अपनी कठोर तपस्या के बल पर उसने ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरता का वरदान मांगा लेकिन, ब्रह्मा जी ने उसे समझाया कि जिसका जन्म हुआ है उसे मरना ही होगा। फिर तारकासुर ने निराश होकर ब्रह्मा जी से कहा कि प्रभु ऐसा कर दें कि शिवजी के पुत्र के हाथों ही उसकी मृत्यु हो। उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वो सोचता था कि कभी-भी शिवजी का विवाह नहीं होगा तो उनका पुत्र कैसे होगा। इसलिए उसकी कभी मृत्यु नहीं होगी। फिर उसने लोगों पर हिंसा करनी शुरू कर दी। हर कोई उसके अत्याचारों से परेशान था। सब परेशान होकर शिवजी के पास पहुंचे। उन्होंने शिवजी से प्रार्थना की कि वो उन्हें तारकासुर से मुक्ति दिलाएं। तब शिव ने पार्वती से विवाह किया और कार्तिकेय के पिता बनें। बड़े होने के बाद कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया। स्कंदमाता कार्तिकेय की माता हैं।

टॅग्स :चैत्र नवरात्रिहिंदू त्योहारमां दुर्गा
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठMargashirsha Purnima 2025 Date: कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए तिथि, दान- स्नान का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय और महत्व

पूजा पाठDecember Vrat Tyohar 2025 List: गीता जयंती, खरमास, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, दिसंबर में पड़ेंगे ये व्रत-त्योहार, देखें पूरी लिस्ट

पूजा पाठVivah Panchami 2025: विवाह पंचमी 25 नवंबर को, वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ाने के लिए इस दिन करें ये 4 महाउपाय

भारतदरगाह, मंदिर और गुरुद्वारे में मत्था टेका?, बिहार मतगणना से पहले धार्मिक स्थल पहुंचे नीतीश कुमार, एग्जिट पोल रुझान पर क्या बोले मुख्यमंत्री

पूजा पाठKartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा आज, जानें महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय