Chaitra Navratri 2021 Day 3: आज होती है मां चंद्रघंटा की पूजा,समस्त पाप और बाधाएं होंगी खत्म, जानिए पूजा विधि
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 15, 2021 10:18 AM2021-04-15T10:18:24+5:302021-04-15T10:18:24+5:30
माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. माता के तीन नैत्र और दस हाथ हैं. इनके कर-कमल गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, खप्पर, चक्र और अस्त्र-शस्त्र हैं, अग्नि जैसे वर्ण वाली, ज्ञान से जगमगाने वाली दीप्तिमान देवी हैं चंद्रघंटा. ये शेर पर आरूढ़ है तथा युद्ध में लड़ने के लिए उन्मुख है.
चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन यानि आज 15 अप्रैल दिन गुरुवार को माता चंद्रघंटा देवी की पूजा की जाती है. इस दिन भक्त माता चंद्रघंटा की पूजा करके मां का आशीर्वाद लेते हैं. मां का यह रूप सुंदर, मोहक और अलौकिक है. माँ चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं, दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है तथा विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियाँ सुनाई देती हैं
देवी चंद्रघंटा का पूजन मंत्र
पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
इसके अलावा मां का आशीर्वाद पाने के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करने से फायदा मिलेगा.
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
इस विधि से करें पूजन
सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करके भूरे या सुनहरे रंग का वस्त्र पहनें. घर में जहां कलश स्थापना हुई है वहां लाल रंग के आसन पर देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ जाएं. भोग चढ़ाने के बाद स्फटिक की माला लें और ऊपर दिए मंत्रों का 108 बार जाप करें.
मां चंद्रघंटा की पूजा करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
मां की पूजा-अर्चना करते समय मंदिर की घंटी अवश्य बजानी चाहिए. घंटे की ध्वनि से मां अपने भक्तों पर हमेशा आशीर्वाद बनातीं हैं. मां को मखाने की खीर का भोग लगाना शुभ माना जाता है. मां की आराधना से भक्तों को अहंकार नहीं होता और उनमें सद्भावना बढ़ती है. मां की आराधना से घर-परिवार में शांति आती है. तृतीय नवरात्र पर लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है. मां को गाय का दूध अर्पित करने से दुखों से मुक्ति मिलती है.
देवी चंद्रघंटा की पूजा से मिलेगा ये फल
देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से आपके चेहरे पर तेज आएगा. इसके अलावा उपासक पराक्रमी और निर्भय हो जाता है. इसके अलावा देवी प्रेतबाधा से भी उपासकों की रक्षा करती हैं. मां चंद्रघंटा को अलौकिक शक्तियों वाली देवी माना गया है तो इस दिन साधना से अलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है.
स्वर्ण के समान चमकीला है मां का रंग
माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. माता के तीन नैत्र और दस हाथ हैं. इनके कर-कमल गदा, बाण, धनुष, त्रिशूल, खड्ग, खप्पर, चक्र और अस्त्र-शस्त्र हैं, अग्नि जैसे वर्ण वाली, ज्ञान से जगमगाने वाली दीप्तिमान देवी हैं चंद्रघंटा. ये शेर पर आरूढ़ है तथा युद्ध में लड़ने के लिए उन्मुख है.
मां चंद्रघंटा की आरती
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।
मस्तक पर है अर्ध चन्द्र, मंद मंद मुस्कान॥
दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।
घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण॥
सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके सवर्ण शरीर।
करती विपदा शान्ति हरे भक्त की पीर॥
मधुर वाणी को बोल कर सब को देती ग्यान।
जितने देवी देवता सभी करें सम्मान॥
अपने शांत सवभाव से सबका करती ध्यान।
भव सागर में फसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण॥
नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।
जय माँ चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा॥