Basant Panchami: जब नदी में डूबने जा रहे कालिदास को मां सरस्वती के आशीर्वाद से मिला ज्ञान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 26, 2023 08:28 IST2020-01-30T09:07:57+5:302023-01-26T08:28:53+5:30
Basant Panchami: बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पहली बार मां सरस्वती प्रकट हुई थीं।

कालिदास को मिला मां सरस्वती के आशीर्वाद से ज्ञान
Basant Panchami: हिंदू मान्यताओं में बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पूजने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां सरस्वती पहली बार प्रकट हुई थीं और इस सृष्टि को ध्वनि और संगीत प्रदान किया। बसंत पंचमी से जुड़ी कई और कहानियां भी हैं।
मसलन, ये भी मान्यता है कि इसी दिन से त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की शिक्षा आरंभ हुई थी। इस दिन से बसंत ऋतु की भी शुरुआत मानी जाती है। साथ ही मान्यता है कि नया काम शुरू करने के लिहाज से आज का दिन बेहद शुभ होता है।
कालिदास से भी जुड़ी है बसंत पंचमी की कथा
इस दिन के साथ महान कवि कालिदास के जीवन की घटना भी जुड़ी है। पौराणिक कथा के अनुसार कालिदास की राजकुमारी पत्नी को जब पता लगा कि लोगों ने धोखे से उसकी शादी एक मूर्ख के साथ करा दी है, तो उन्होंने कालिदास को धक्का मार घर से बाहर कर दिया।
इससे कालिदास बेहद आहत हुए और आत्महत्या करने का विचार किया। वे आत्महत्या करने के लिए एक नदी के किनारे जा रहे थे। उनके मन में बार-बार ये विचार आ रहा था कि वे नदी में कूद कर अपनी जान दे देंगे। वे इस बारे में अभी विचार कर ही रहे थे कि तभी मां सरस्वती उनके सामने प्रकट हुईं और उन्हें पानी में डुबकी लगाने के लिए कहा।
कहते हैं कि कालिदास ने डुबकी लगाई और उनका जीवन बदल गया। उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह आगे जाकर संस्कृत भाषा के महान कवि बन गए।