भगवान विष्णु को एकादशी काफी प्रिय होती है। हर महीने पड़ने वाली एकादशी पर श्रद्धालु भगवान विष्णु का व्रत करते हैं। इस महीने भगवान विष्णु को प्रिय अचला एकादशी पड़ने वाली है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी को अचला एकादशी मनाई जाती है।
माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अपार धन-दौलत की प्राप्ति होती है। साथ इंसान को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। अचला एकादशी का व्रत करने से सभी तरह के पापों और कष्टों का नाश होता है। आइए आपको बताते हैं क्या है अचला एकादशी की व्रत कथा-
कब है अचला एकादशी?
अचला एकादशी - 18 मई 2020एकादशी तिथि प्रारंभ - 12:42 PM 17 मई कोएकादशी तिथि समाप्त - 03:08 PM 18 मई कोअचला एकादशी पारण का समय - 05:28 AM से 08:12 AM तक
अपरा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक राज्य में महीध्वज नाम का बहुत ही धर्मात्मा राजा था। राजा महीध्वज जितना सच्चा और ईमानदार था उसका छोटा भाई वज्रध्वज उतना ही पापी था। वज्रध्वज बड़े भाई महीध्वज से चिढ़ता था। एक बार वह अपने मंसूबे में कामयाब हो गया और महीध्वज को मारकर उसे जंगल में फिंकवा देता है।
असमय मौत के कारण महीध्वज को प्रेत का जीवन जीना पड़ता है। वो पीपल के पेड़ पर रहने लगता है। उसकी मृत्यु के बाद राज्य में उसके दुराचारी भाई से तो प्रजा दुखी थी ही साथ ही अब महीध्वज भी प्रेत बनकर आने जाने वाले को दुख पंहुचाने लगा था।
एक बार एक ज्ञानी ऋषि वहां से गुजर रहे थे। उन्हें आभास हुआ कि कोई प्रेत उन्हें तंग करने का प्रयास कर रहा है। अपने तपोबल से उन्होंने उसे देख लिया और उसका भविष्य सुधारने का जतन सोचने लगे। सबसे पहले उन्होंने प्रेत को पकड़कर उसे अच्छाई का पाठ पढ़ाया फिर उसके मोक्ष के लिए स्वयं ही अपरा एकादशी का व्रत रखा।
खुद व्रत और संकल्प लेकर अपने व्रत का पुण्य प्रेत को दान कर दिया। इस प्रकार उसे प्रेत जीवन से मुक्ति मिली और बैकुंठ गमन कर गया।
अचला एकादशी पूजा विधि
1. इस दिन सुबह जल्दी उठें स्नान करके व्रत का संकल्प लें।2. भगवान विष्णु की धूप, दीप, फल, फूल, तिल आदि चढ़ा कर पूजा करें। 3. पूरे दिन निर्जल उपवास करें। अगर ना हो पाए तो 1 समय पानी और 1 फल खा सकते हैं। 4. पारण के दिन भगवान की दुबारा पूजा, कथा और पाठ करें। 5. कथा समाप्त करने के बाद प्रसाद बाटें तथा ब्राह्मण को भोजन खिला कर दक्षिणा देकर भेजना चाहिये। 6. बाद में आप व्रत खोल कर भोजन कर सकते हैं। 7. व्रत वाले दिन 'ओम नमो नारायण' मंत्र का जाप करें। साथ में मन को शांत करने के लिये प्रभु के नाम को दोहराएं।