अमरनाथ यात्रा: फिर पिघला शिवलिंग, 18 से 3 फुट हो गया ?

By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 24, 2023 04:25 PM2023-07-24T16:25:12+5:302023-07-24T16:25:28+5:30

अमरनाथ यात्रा स्थापना बोर्ड ने अब इसकी पुष्टि की है कि हिमलिंग को अपने पूर्ण आकार में रखने की खातिर उसने रक्षा अनुसंधान विभाग से संपर्क किया है।

Amarnath Yatra Shivling melted again became 3 feet from 18 | अमरनाथ यात्रा: फिर पिघला शिवलिंग, 18 से 3 फुट हो गया ?

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

श्रीनगर: अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों को एक बार फिर निराशा का सामना करना पड़ सकता है। 45 किमी की दुर्गम पैदल यात्रा करने के बाद भी उन्हें 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में हिमलिंग के पूर्ण रूप में दर्शन नहीं हों तो मन मसोस कर ही रहना पड़ सकता है।

यात्रा से वापस लौटने वालों के अनुसार, यूं यूं भीड़ बढ़ती जा रही है हिमलिंग गर्मी से पिघलता जा रहा है और भक्त निराश होते जा रहे हैं। इसके लिए भक्तों की गर्मी को दोषी ठहराया जा रहा है।

हालांकि अब अमरनाथ यात्रा स्थापना बोर्ड ने हिमलिंग को बरकरार रखने की खातिर रक्षा अनुसंधान की मदद लेने की जरूरत फिर महसूस होने लगी है। पिछले साल यह 20 जुलाई को ही पूरी तरह से पिघल गया था।

‘हर हर महादेव’, ‘बम बम भोले’ और ‘जयकारा वीर बजरंगी’ के नारों के बीच शून्य तापमान तथा प्रकृति की आंख मिचौली के बीच अमरनाथ गुफा में हिम से बनने वाले शिवलिंग के दर्शन करने वालों में एक बार फिर शिविलिंग का आकार चर्चा का विषय तो बनने ही लगा है निराशा का कारण भी।

यात्रा के दो सौ सालों के इतिहास में यह लगातार 22वां वर्ष है जब 14500 फुट की ऊंचाई पर स्थित 60 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी तथा 15 फुट गहरी इस गुफा में बर्फ से बनने वाले लिंग, जिसे शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है, का आकार श्रद्धालुओं की संख्या के बढ़ने के साथ ही घटने लगा है।

इस बार 30 जून को इसकी ऊंचाई करीब 18 से 20 फीट के बीच थी। बताया जा रहा है कि 30 जून को यात्रा के आरंभ होने से पूर्व यह अपने पूर्ण आकार में 22 फीट के करीब था। यही चिंता व चर्चा का विषय है उन हजारों यात्रियों के बीच जो प्रकृति की आंख मिचौली, प्रतिकूल मौसम के बीच भी अनेकों बाधाओं तथा अव्यवस्थाओं के दौर से गुजर कर शिवलिंग के दर्शनों की चाहत में पहुंच रहे हैं।

अमरनाथ यात्रा, जिसे अमरत्व की यात्रा भी कहा जाता है, में प्रथम बार भाग लेने वालों के लिए तो इतने बड़े हिमलिंग के दर्शन ही तन-मन को शांति पहुंचाने वाले हैं लेकिन शिवलिंग के लगातार घटने के कारण यह उन अमरनाथ यात्रियों के लिए चिंता और चर्चा का विषय है जो पिछले कई सालों से लगातार इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं।

सनद रहे कि इस गुफा में बनने वाले शिवलिंग के आकार और आकृति में अंतर 1994 से ही आना आरंभ हुआ था जो अभी तक जारी है। वर्ष 1994 में तो यह श्रावण पूर्णिमा को भी बना ही नहीं था। हालांकि तब इसके न बनने पर भी विवाद था। तब कई तर्क दिए गए थे इसके न बनने के पीछे और उसके अगले साल यह बना था लेकिन थोड़ा था और गत वर्ष भी यह पतले रूप में विद्यमान था।

हिमलिंग के आकार में लगातार होने वाले परिवर्तन के लिए मौसम में होने वाले बदलाव के तर्क को अधिकतर लोग सही मान रहे हैं। वे इस बार की यात्रा के दौरान भी मौसम में अचानक होने वाले परिवर्तन को हिमलिंग के आकार में होने वाले परिवर्तन का कारण मान रहे हैं।

हालांकि भगवान में अधिक आस्था रखने वाले इसे भगवान की माया कहते तो विज्ञान में विश्वास रखने वाले इसे वैज्ञानिक कारण मानते।
इस परिवर्तन के लिए चाहे कोई भी कारण बताया जा रहा हो लेकिन तात्कालिक कारण सबको यही लग रहा है कि हिमलिंग के दर्शन करने वालों की भीड़ लगातार बढ़ रही है।

परिणाम हजारों भक्तों तथा उनके हाथों की गर्मी भी हिमलिंग को पिघला रही है। भक्तों की संख्या कितनी है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यात्रा में 24 दिनों में सवा 3 लाख श्रद्धालु शामिल हो चुके हैं।

हालांकि अमरनाथ यात्रा स्थापना बोर्ड ने अब इसकी पुष्टि की है कि हिमलिंग को अपने पूर्ण आकार में रखने की खातिर उसने रक्षा अनुसंधान विभाग से संपर्क किया है और उससे यह आग्रह किया है कि वह ऐसी तकनीक खोज निकाले जिससे भक्तों की गर्मी भी हिमलिंग को पिघला न सके।

Web Title: Amarnath Yatra Shivling melted again became 3 feet from 18

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