सोमवती अमावस्याः 20 साल बाद आज बन रहा है विशेष योग, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

By गुणातीत ओझा | Updated: July 20, 2020 08:13 IST2020-07-20T08:04:12+5:302020-07-20T08:13:18+5:30

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है। इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व होता है।

after 20 years Sawan s Monday and somwati amawasya are on same day know how it is special | सोमवती अमावस्याः 20 साल बाद आज बन रहा है विशेष योग, जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं।

Highlightsआज श्रावण माह के तीसरे सोमवार के दिन अमावस्या भी है।आज सोमवती अमावस्या के दिन शिव के पूजन के साथ पितरों के निमित्त किया गया दान, तर्पण, भी अक्षय फल प्रदान करने वाला होगा।

आज श्रावण माह के तीसरे सोमवार के दिन अमावस्या भी है। अत: यह सोमवती अमावस्या से युक्त श्रावण का सोमवार है। चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव स्वयं होते है, एवं अमावस्या तिथि के स्वामी पितर होते हैं। आज सोमवती अमावस्या के दिन शिव के पूजन के साथ पितरों के निमित्त किया गया दान, तर्पण, भी अक्षय फल प्रदान करने वाला होगा।

उज्जैन के पंडित मनीष शर्मा के अनुसार इसी दिन हरियाली अमावस्या भी रहेगी। पुनर्वसु नक्षत्र रहेगा एवं बुध, गुरु, शुक्र एवं शनि अपनी स्वयं की राशि में गोचर करेंगे। शाम को 4 बजे तक चंद्र भी अपनी स्वयं की राशि कर्क में आ जाएगा। इस तरह पांच ग्रह अपनी स्वयं की राशि में गोचर करेंगे। इनमें से गुरु एवं शनि वक्रि रहेंगे। श्रावण में सोमवती अमावस्या का यह योग इससे पूर्व 31/7/2000 को 20 वर्ष पूर्व हुआ था।  इसी तारीख को सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।

सोमवती अमावस्या की महिमा

पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है। अतः सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भंवरी (परिक्रमा करना ) देता है, उसके सुख और सौभग्य में वृद्धि होती है। जो हर अमावस्या को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं कि भंवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश कि पूजा करता है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

सोमवती अमावस्या का विधान

ऐसी परम्परा है कि पहली सोमवती अमावस्या के दिन धान, पान, हल्दी, सिन्दूर और सुपाड़ी की भंवरी दी जाती है। उसके बाद की सोमवती अमावस्या को अपने सामर्थ्य के हिसाब से फल, मिठाई, सुहाग सामग्री, खाने कि सामग्री इत्यादि की भँवरी दी जाती है। भंवरी पर चढ़ाया गया सामान किसी सुपात्र ब्रह्मण, ननद या भांजे को दिया जा सकता है। अपने गोत्र या अपने से निम्न गोत्र में वह दान नहीं देना चाहिए।

पीपल की परिक्रमा

सोवमती अमावस्या के दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। सावन सोमवार और सावन की सोमवती अमावस्या को पूजा-पाठ करने और जलाभिषेक का विशेष फल प्राप्त होता है। बहुत से भक्त भगवान शिव की असीम कृपा पाने के लिए सोमवती अमावस्या को व्रत भी रखते हैं। अमावस्या को महिलाएं तुलसी/पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा भी करती हैं। अमावस्या के दिन पितर देवताओं की पूजा करने और श्राद्ध करने की भी परंपरा है। मान्यता है कि इससे अज्ञात तिथि पर स्वर्गलोकवासी हुए पूर्वजों को मुक्ति मिलती है।

सोमवती अमावस्या तिथि मुहूर्त-

अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 20 जुलाई 2020 को 12:10AM से
अमावस्या तिथि समाप्त - 20 जुलाई 2020 को 11:02PM तक

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