हिन्दू पंचाग के अनुसार इस समय ज्येष्ठ का पावन महीना चल रहा है। वहीं इसके बाद पांचवा महीना यानी आषाढ़ शुरू हो जाएगा। इस महीने को संधि काल का महीना कहा जाता है। इसी महीने में लोगों को गर्मी से कुछ राहत मिलती है साथ ही वर्षा ऋतु की भी शुरुआत होती है। ज्येष्ठ माह के बाद इसकी शुरुआत होने वाली है।
आषाढ़ माह की शुरूआत 6 जून से होने वाली है। ये महीना 5 जुलाई 2020 को समाप्त होगा। आषाढ़ माह में हिन्दू धर्म के कई बढ़े त्योहार और तीज-व्रत पढ़ते हैं। इसी महीने में सूर्य की उपासना भी की जाती है। इसी महीने देवशयनी एकादशी है। जिसमें भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं।
आषाढ़ माह
आषाढ़ महीने की बड़ी महीमा मानी जाती है। इस महीने दान और पुण्य का काफी महत्व बताया जाता है। साथ ही इसी महीने से बहुत सारी किदवंतियां भी जुड़ी हुई हैं। आइए आपको बताते हैं इस महीनें में कौन-कौन से हैं तीज त्योहार और क्या है खास।
सूर्य का मिथुन में प्रवेश, विष्णु जाएंगे निद्रा में
आषाढ़ मास की इन तिथियों में कुछ बेहद महत्वपूर्ण हैं। 15 जून को मिथुन संक्रांति है। यानी इस दिन सूर्य का प्रवेश मिथुन राशि में होगा। वहीं इसी मास में सूर्य ग्रहण भी लगेगा। 23 जून से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू होगी। एक जुलाई को देवशयनी एकादशी है जिसके बाद से सभी शुभ काम कुछ समय के लिए रुक जाएंगे।
भगवान विष्णु की होती है उपासना
आषाढ़ के महीने में सबसे ज्यादा फलदायी उपासना गुरु की होती है। इसके साथ ही देवी की उपासना भी शुभ फल देती है। आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु की उपासना से भी संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। आषाढ़ के महीने में ही महीने में जल की उपासना भी की जाती है। मान्यता है कि जल की पूजा से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है।
ना करें इस फल का सेवन
मान्यता है कि आषाढ़ के महीने में संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसलिए इस पूरे महीने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बताया जाता है कि इस पूरे महीने बेल को बिलकुल भी नही खाना चाहिए। जहां तक हो सके तेल वाली चीजे कम खाएं। सौंफ, हींग और नींबू का प्रयोग लाभकारी होता है।