Valentine's 2018: वेलेंटाइन वीक में इन 15 शेरों से करें अपनी गर्लफ्रेंड को 'इम्प्रेस'
By धीरज पाल | Published: February 6, 2018 03:49 PM2018-02-06T15:49:19+5:302018-02-06T16:55:39+5:30
प्यार पर एक मशहूर नज्म है कि ज़माना हुस्न नज़ाकत बला जफ़ा शोख़ी, सिमट के आ गए सब आप की अदाओं में"।
वेलेंटाइन डे नजदीक आ रहा है और लोग इसकी तैयारियों में जुट गए हैं। इस मौके पर अक्सर लोग अपने प्यार का इजहार अलग-अलग तरीके से करते हैं। कोई अपनी माशुका को गुलाब देकर अपने प्यार का इजहार तो कोई घूटनों के बल बैठकर अपनी माशुका के साथ जिंदगीभर खुश रखने की बात करता है। 14 फरवरी वेलेनटाइन डे है जिसकी शुरुआत 7 फरवरी से हो रही है। अगर आप भी इस वेलेंटाइन डे पर अपनी माशुका को कुछ मशहूर शायर व कवि की शायरी से अपने प्यार का इजहार करना चाहते हैं तो यहां आपके लिए 15 फेमस शायरी मौजूद हैं जिसे आप अपने करीबियों और माशुका को व्हाट्सएप्प कर सकते हैं। इस मौके पर एक मशहूर कवि कवि व शायर में से एक कालीदास गुप्ता रज़ा का एक नज्म याद आ रहा है, "ज़माना हुस्न नज़ाकत बला जफ़ा शोख़ी, सिमट के आ गए सब आप की अदाओं में"
1. अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
*बशीर बद्र*
2. इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है
*मुस्तफ़ा ज़ैदी*
3. इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
* मिर्ज़ा ग़ालिब*
4. उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया
देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया
*मीर तक़ी मीर*
5. एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है
*जोश मलीहाबादी*
6. इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है
*अकबर इलाहाबादी*
7. आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
*साहिर लुधियानवी*
8. उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से
तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है
*बशीर बद्र*
9. काफ़ी है मिरे दिल की तसल्ली को यही बात
आप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया
*शकील बदायुनी*
10. क्या जाने किस अदा से लिया तू ने मेरा नाम
दुनिया समझ रही है कि सच-मुच तिरा हूँ मैं
*क़तील शिफ़ाई*
11. चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते
*क़तील शिफ़ाई*
12. जिस को हम ने चाहा था वो कहीं नहीं इस मंज़र में
जिस ने हम को प्यार किया वो सामने वाली मूरत है
*ऐतबार साजिद*
13. ज़िंदगी यूँही बहुत कम है मोहब्बत के लिए
रूठ कर वक़्त गँवाने की ज़रूरत क्या है
*अज्ञात*
14. अंदाज़ अपना देखते हैं आईने में वो
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो
*निज़ाम रामपुरी*
15. इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
*मिर्ज़ा ग़ालिब*