हर शादीशुदा महिला को सुनने पड़ते हैं ये 5 ताने, कुछ देती हैं जवाब तो कुछ रह जाती हैं चुप
By मेघना वर्मा | Published: June 30, 2020 09:37 AM2020-06-30T09:37:22+5:302020-06-30T09:37:38+5:30
बचपन से बड़ा होने तक और फिर शादी होने के बाद मां बनने तक हर महिला को कुछ ताने सुनने ही पड़ते हैं।
एक लड़की की जिंदगी में समय के साथ बहुत बदलाव होते हैं। सिर्फ फिजीकली ही नहीं वो मेंटली भी बहुत सारे बदलावों को स्वीकार करती है। महिलाओं की ही जिंदगी में उन्हें बहुत बार समाज के ताने भी सुनने पड़ते हैं। कई महिलाएं इन तानों के खिलाफ बोलती हैं अपनी आवाज उठाती है जबकि कई महिलाएं सिर्फ इन तानों को सुन लेती हैं।
बचपन से बड़ा होने तक और फिर शादी होने के बाद मां बनने तक हर महिला को कुछ ताने सुनने ही पड़ते हैं। ये ताने उनके घर वाले नहीं बल्कि आस-पड़ोस के लोग या उनके रिश्तेदार उन्हें मारते हैं। आज हम आपको यहां ऐसी ही कुछ बातें बताने जा रहे हैं जिन्हें अक्सर महिलाओं को सुनना पड़ता है।
तुम बिल्कुल शादी-शुदा नहीं लगती
आज की महिलाएं शादी होने के बाद भी खुद को बहुत मेंटेन रखती है। अपनी बॉडी और फिटनेस पर बहुत ध्यान देती हैं जो कि सही भी है। मगर इसी वजह से उन्हें अक्सर ये लाइन सुनने को मिलती है कि वो कहीं से भी शादी-शुदा नहीं लगतीं।
बच्चे कब करोगी
शादी से पहले शादी कब करोगी उम्र निकली जा रही है के ताने सुनों फिर शादी होने के बाद ये ताने सुनने को मिलते हैं कि बच्चे कब पैदा करोगी। इस ताने को घरवाले और रिश्तेदार दोनों ही सुनाते हैं। अक्सर महिलाएं इस सवाल या इस ताने को टाल जाती हैं।
औरतों को ड्राइविंग नहीं करनी चाहिए
औरतों की ड्राइविंग को लेकर अक्सर सवाल होता है। सड़क चलते भी कई बार महिलाओं के ये सुनने को मिल जाता है कि तुम ड्राइविंग कैसे करोगी गाड़ी संभाल लोगी? भारतीय समाज की इस मानसिकता कि लड़कियां ड्राइविंग नहीं कर सकतीं, की वजह से हर बार महिलाओं को ये ताना सुनन पड़ता है।
ऐसे कपड़े मत पहनों जिससे लोगों को गलत साइन मिले
कपड़ों के ताने तो आज की 21वीं सदी में भी महिलाओं को मिलते आ रहे हैं। छोटे कपड़े मत पहनो, बाजू नहीं दिखना चाहिए जैसी बातें हर महिला को सुननी पड़ती है। कुछ तो यहां तक सुनती हैं कि तुम रिवीलिंग या छोटे कपड़े पहन कर सामने वाले को हिंट मत दो। इस ताने पर अब महिलाएं अपनी आवाज उठाने लगी हैं।
तुम्हें खाना पकाना नहीं आता
ऐसा लगता है समाज ने खाना पकाने का जिम्मा बचपन से ही लड़कियों के कंधों पर डाल दिया है। तभी तो खाना पकाने की जिम्मेदारी सिर्फ लड़कियों को ही दी जाती है। अक्सर लड़कियों को ये सुनना पड़ता है कि उन्हें खाना पकाना नहीं आता।