Year Ender 2017: 'अर्श' से 'फर्श' पर गिरे कई दिग्गज, बिहार में पूरे साल बनते-बिगड़ते रहे सियासी समीकरण

By IANS | Published: December 28, 2017 09:26 AM2017-12-28T09:26:15+5:302017-12-28T09:27:35+5:30

गुजरा वर्ष न केवल सियासी समीकरणों के उल्टफेर के लिए याद किया जाएगा, बल्कि इस एक साल में लोगों ने कई दिग्गज नेताओं को भी 'अर्श' से 'फर्श' पर आते देखा।

Year Ender 2017: Bihar political scenario and interesting events | Year Ender 2017: 'अर्श' से 'फर्श' पर गिरे कई दिग्गज, बिहार में पूरे साल बनते-बिगड़ते रहे सियासी समीकरण

Year Ender 2017: 'अर्श' से 'फर्श' पर गिरे कई दिग्गज, बिहार में पूरे साल बनते-बिगड़ते रहे सियासी समीकरण

देश की राजनीति में अगर किसी राज्य की राजनीति सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, तो उसमें सबसे आगे बिहार का नाम आएगा। ऐसे तो बिहार की राजनीति में प्रत्येक वर्ष नए समीकरण बनते और बिगड़ते रहे हैं, परंतु गुजरे वर्ष के सियासी समीकरणों में आए बदलाव ने न केवल देशभर में सुर्खियां बनी बल्कि बिहार से लेकर देश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी। गुजरा वर्ष न केवल सियासी समीकरणों के उल्टफेर के लिए याद किया जाएगा, बल्कि इस एक साल में लोगों ने कई दिग्गज नेताओं को भी 'अर्श' से 'फर्श' पर आते देखा। 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस वर्ष भ्रष्टाचार के एक मामले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के घिरते ही बेहद नाटकीय घटनाक्रम में न केवल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व लालू प्रसाद यादव की राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर बनाए गए महागठबंधन को भी तोड़ दिया। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली एनडीए में वे एकबार फिर न केवल शामिल हो गए, बल्कि बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। 

इस नए समीकरण में राज्य की सबसे बड़ी पार्टी राजद सत्ता से बाहर हो गई। इसके बाद आरजेडी के कई नेता सत्ता से बाहर हो गए और उनकी मंत्री की कुर्सी छीन गई। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में नीतीश ने करीब चार साल पहले ही भाजपा का 17 वर्ष का साथ छोड़ दिया था। वैसे नीतीश का महागठबंधन में रहते केंद्र सरकार के जीएसटी के मुद्दे पर खुलकर समर्थन में आना और एनडीए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देना भी इस साल सुर्खियों में रही। 

वैसे, इस वर्ष के प्रारंभ में 350वें प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरोधी रिश्तों के बीच मंच साझा करना, गर्मजोशी से मिलना तथा इस मंच पर आरेजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद को जगह नहीं दिया जाना भी काफी चर्चा में रहा। इस मंच से मोदी और नीतीश ने एक-दूसरे की जमकर प्रशंसा की थी। 

वैसे, महागठबंधन के टूटने और भाजपा के साथ नीतीश कुमार के जाने के बाद जेडीयू में भी विरोध के स्वर मुखर हो गए। जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव और राज्यसभा सांसद अली अनवर ने नीतीश के खिलाफ विद्रोह कर दिया। ये दोनों नेता खुलकर नीतीश के विरोध में आ गए। इसके बाद चुनाव आयोग में दोनों धड़ों ने खुद को असली जेडीयू बताते हुए लड़ाई लड़ी। यह अलग बात है कि अंत में फैसला नीतीश कुमार के पक्ष में आया। इस विरोध के कारण शरद यादव और अली अनवर को राज्यसभा की सदस्यता भी गंवानी पड़ी। 

इधर, बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी भी नीतीश के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद कर इस वर्ष के उतरार्ध में सुर्खियों में हैं। दलित राजनीति के एक बड़े नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले उदय नारायण चौधरी 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में इमामगंज विधनसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी चुनाव जीते थे। इसके बाद चौधरी पार्टी में हाशिये पर चले गए। इसके बाद भाजपा के साथ मिलते ही उन्होंने खुलकर बगावत तेवर अख्तियार कर लिया है। 

बहरहाल, साल के अंतिम समय में बिहार के दिग्गज नेता लालू प्रसाद भी चारा घोटाले के एक मामले में अदालत द्वारा दोषी पाए जाने के बाद सुर्खियों में हैं। वैसे, अब नए साल में बिहार की राजनीति में कौन समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे अब यह देखने वाली बात होगी। 

Web Title: Year Ender 2017: Bihar political scenario and interesting events

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