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यूपी पंचायत चुनाव: 75 जिला पंचायतों में कई वार्ड खत्‍म, राज्य में ग्राम प्रधानों के 880 पद भी हुए कम

By विनीत कुमार | Updated: January 19, 2021 12:13 IST

यूपी पंचायत चुनाव: यूपी में इस बार ग्राम प्रधानों के 880 पद कम हो गये हैं। ग्राम पंचायतों की संख्या कम होने के साथ ही ग्राम पंचायतों के वार्ड भी कम हो गये हैं।

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ठळक मुद्देयूपी में इस बार साल 2015 के 59,074 की जगह 58,194 ग्राम पंचायतों में पड़ेगा प्रधानी के लिए वोटयूपी पंचायत चुनाव के लिए आज जारी हो सकती है गांव की आरक्षण लिस्ट मुरादाबाद, गोंडा और संभल में पिछली बार की तुलना में बढ़ जाएगी जिला पंचायत सदस्यों की संख्या

उत्तर प्रदेशपंचायत चुनाव के लिए जारी तैयारी के बीच 75 जिला पंचायतों में कई वार्ड खत्‍म कर दिए गए हैं। इसके तहत जिला पंचायतों के 3120 वार्ड अब घटकर 3051 रह गए हैं। 

इसके साथ ही 2015 की तुलना में पांच सालों में पंचायतों का दायरा और सिमट गया है। दरअसल, 880 ग्राम पंचायत शहरी क्षेत्र में मिल गए हैं। इन सबके बीच आज पंचायतों में नई आरक्षण नीति की घोषणा की जा सकती है।

58 हजार ग्राम पंचायतों में प्रधानी के लिए वोट

यूपी में इस बार 59,074 की जगह 58,194 ग्राम पंचायतों में प्रधानी के लिए वोट पड़ेगा। इस तरह राज्य में ग्राम प्रधानों के 880 पद कम हो गये हैं। साथ ही 826 ब्लॉक प्रमुखों का चुनाव करने के लिए यूपी में 75 हजार 805 क्षेत्र पंचायत सदस्य चुने जाएंगे।

2015 से इस बार की तुलना करें तो ग्राम पंचायत वार्ड 7,44,558 से घटकर 7,31,813 रह गए हैं। क्षेत्र पंचायत सदस्य भी 77,801 से कम होकर 75,805 ही रहेंगे।

यूपी पंचायत चुनाव: तीन जिलों में बढ़ गए सदस्य 

वहीं, तीन जिले ऐसे भी हैं जहां साल 2015 की तुलना में ज्यादा सदस्य चुने जाएंगे। मुरादाबाद में जहां 34 की जगह 39, तो वहीं गोंडा में 51 की जगह 65 सदस्यों का चयन होगा। इसके साथ ही संभल में 27 की जगह 35 जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होंगे।

नए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में सर्वाधिक 1858 ग्राम पंचायतों वाला जिला आजमगढ़ है। साल 2015 में यहां कुल 1872 ग्राम पंचायतें थीं। दूसरे नम्बर पर सबसे ज्यादा ग्राम पंचायतें जौनपुर में 1740 हैंष 2015 के चुनाव में यहां 1773 पंचायत थी।

गौरतलब है कि प्रदेश में 25 दिसंबर को ग्राम प्रधानों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण नीति आज जारी हो सकती है। बताया जा रहा है कि ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव के लिए चक्रानुक्रम आरक्षण लागू हो सकता है।

वहीं, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के निर्वाचन क्षेत्रों में आरक्षण में बदलाव हो सकता है।

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