भाजयुमो अध्यक्ष बनने का मौका चूके तेजस्वी सूर्या! विवादित ट्वीट की चुकानी पड़ सकती है कीमत
By हरीश गुप्ता | Published: May 16, 2020 06:55 AM2020-05-16T06:55:08+5:302020-05-16T06:55:08+5:30
भाजपा के उभरते नेता और लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ से दूर होते नजर आ रहे हैं. कर्नाटक का यह युवा नेता हिंदुत्ववादी विचारों और कांग्रेस पर तीखे प्रहारों के चलते चर्चा में आया था और जल्द ही लोकप्रिय भी हो गया था.
नई दिल्ली। भाजपा के उभरते नेता और लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ से दूर होते नजर आ रहे हैं. कर्नाटक का यह युवा नेता हिंदुत्ववादी विचारों और कांग्रेस पर तीखे प्रहारों के चलते चर्चा में आया था और जल्द ही लोकप्रिय भी हो गया था. संसद में चर्चाओं के दौरान भी तेजस्वी सूर्या ने भाजपा आलाकमान को प्रभावित किया और वे भाजयुमो अध्यक्ष पद की रेस में सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के रूप में उभरे. भाजपा नेतृत्व ने पूनम महाजन के भाजयुमो अध्यक्ष के रूप में तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद सूर्या को इस पद पर बिठाने का सर्वसम्मति से फैसला किया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते बदले हालात के कारण इसमें देर हो गई.
पूनम महाजन को इस पद पर दिसंबर, 2016 में नियुक्त किया गया था. लेकिन, अब तेजी से बदले घटनाक्रम में तेजस्वी सूर्या इस पद को पाने से चूकते नजर आ रहे हैं. दरअसल, वर्ष 2015 में अरब महिलाओं के संदर्भ में किया गया एक ट्वीट तेजस्वी सूर्या के लिए मुसीबत बन गया है. इस ट्वीट को तेजस्वी सूर्या पहले ही डिलीट कर चुके हैं, लेकिन दुबई की एक व्यवसायी नूरा अल-गुरैर द्वारा हाल ही में इसका स्क्रीनशॉट पोस्ट किए जाने के बाद अरब देशों के लोगों समेत सोशल मीडिया के ढेरों उपयोगकर्ताओं ने तेजस्वी सूर्या पर निशाना साधा है. वर्ष 2015 के इस ट्वीट में तेजस्वी सूर्या ने लेखक तारिक फतेह के हवाले से अरब महिलाओं के संबंध में एक विवादित टिप्पणी लिखी थी. हालांकि इस पूरे मामले पर तेजस्वी सूर्या ने लंबी सफाई दी और कहा कि जब उन्होंने यह ट्वीट किया था, तब नेता के रूप में अपना करियर शुरू भी नहीं किया था और यह विवाद खड़ा करना विपक्ष की साजिश है. लेकिन ताजा हालात में तेजस्वी का भाजयुमो अध्यक्ष बनना कठिन नजर आ रहा है.
हालात संभालने के लिए आगे आना पड़ा था राजदूत को
पिछले सप्ताह इस मामले ने उस समय फिर तूल पकड़ लिया, जब संयुक्त अरब अमीरात के शाही परिवार की सदस्य राजकुमारी हेंद अल-कासिमी ने नफरत फैलाने वाले भाषणों के संबंध में एक कानून का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया. उन्होंने ट्वीट किया, ''नफरती भाषणों के बारे में यूएई के कानून यहां के नागरिकों और गैर-नागरिकों, दोनों पर लागू होते हैं.'' आखिरकार, यूएई में भारत के राजदूत पवन कपूर को हालात संभालने के लिए आगे आना पड़ा. उन्होंने ट्वीट किया, ''भारत और यूएई भेदभाव न करने के मूल्य को साझा करते हैं. भेदभाव हमारे नैतिक तानेबाने और कानून के नियमों के खिलाफ है. यूएई में मौजूद भारतीय नागरिकों को इसका ख्याल रखना चाहिए.''