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शिवसेना ने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कांग्रेस को बताया पुरानी चरमराती खटिया, कांग्रेस नाराज

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 17, 2020 05:10 IST

शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में संजय राऊत ने लिखा कि विभिन्न विचारधाराओं वाले दलों के गठबंधन में नाराजगी होना लाजमी है.

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ठळक मुद्देसंजय राऊत ने कहा कि कांग्रेस ऐतिहासिक विरासत वाली पुरानी पार्टी है, जहां नाराजगी की सुगबुगाहट ज्यादा है.शिवसेना ने कहा कि चाहे कांग्रेस हो या राकांपा, दोनों दलों में तपे-तपाये नेता हैं, जिन्हें पता है कि कब पाला बदलना है.सामना के संपादकीय में कांग्रेस को आघाड़ी सरकार का 'तीसरा स्तंभ' करार दिया है।

मुंबई: महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही शिवसेना ने आज अपनी सहयोगी कांग्रेस को 'पुरानी चरमराती खटिया' बताया. साथ ही भाजपा नेताओं को आगाह किया कि वे फिर से सुबह-सुबह राजभवन में शपथ लेने के सपने न देखें. इस संपादकीय के बाद कांग्रेस ने नाराजगी दिखाई है. लेकिन, महाविकास आघाड़ी की सरकार में बने रहने की बात कही है. शिवसेना के मुखपत्र के संपादकीय, जिसे कार्यकारी संपादक एवं पार्टी सांसद संजय राऊत लिखते हैं, में कहा गया कि विभिन्न विचारधाराओं वाले दलों के गठबंधन में नाराजगी होना लाजमी है.

कांग्रेस ऐतिहासिक विरासत वाली पुरानी पार्टी है, जहां नाराजगी की सुगबुगाहट ज्यादा है. खटिया पुरानी है. इस खटिया पर करवट बदलने वाले लोग भी बहुत हैं... चाहे कांग्रेस हो या राकांपा, दोनों दलों में तपे-तपाये नेता हैं, जिन्हें पता है कि कब असंतोष प्रकट करना है और कब पाला बदलना है. पार्टी में कई ऐसे लोग हैं, जो पाला बदल सकते हैं. यही कारण है कि चरमराहट महसूस की जा रही है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आघाड़ी सरकार में ऐसी चरमराहट सहन करने को तैयार रहना चाहिए.''

गठबंधन में शिवसेना का बलिदान सबसे बड़ा-

शिवसेना का बलिदान सबसे बड़ा : संपादकीय में कांग्रेस को आघाड़ी सरकार का 'तीसरा स्तंभ' करार देते हुए दावा किया कि शिवसेना ने सत्ता साझेदारी में सबसे ज्यादा बलिदान दिया है. इसमें कहा गया है, ''खुसर-फुसर क्यों हैं? उनकी यह शिकायत कि उनकी नहीं सुनी जाती है, का क्या मतलब है? कांग्रेस के नेता और मंत्री बालासाहब थोरात और अशोक चव्हाण, दोनों के पास शासन का लंबा अनुभव है. उन्हें याद याद रखना चाहिए कि राकांपा प्रमुख शरद पवार को भी प्रशासन में लंबा अनुभव है. लेकिन, उनकी पार्टी से तो कोई शिकायत नहीं है.

नौकरशाही को लेकर शिकायत है. लेकिन, कितना ही बड़ा अधिकारी क्यों न हो, वह सरकारी सेवक होता है और उसे मुख्यमंत्री का आदेश मानना होता है. भाजपा पर भी व्यंग्य : संपादकीय में यह भी कहा गया है, ''लेकिन, किसी के मन में भी यह झूठी धारणा नहीं होनी चाहिए कि महाविकास आघाड़ी सरकार (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस) गिर जाएगी और राजभवन के द्वार उनके लिए एक बार फिर सुबह-सुबह खोले जाएंगे.

''संपादकीय में साफ तौर पर पिछले साल सत्ता-साझेदारी को लेकर शिवसेना और उसके तत्कालीन सहयोगी दल भाजपा के बीच गतिरोध के बीच नवंबर में राजभवन में सुबह-सुबह भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाने का हवाला दिया गया है. क्या है मामला कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से कोविड-19 महामारी और चक्रवात 'निसर्ग' से प्रभावित लोगों को राहत देने समेत अन्य कई मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. लेकिन, कांग्रेस से नहीं. इससे नेताओं में भावना पैदा हो रही है कि उनकी पार्टी को अलग-थलग कर दिया गया है.

कांग्रेस ने मुख्यमंत्री से जल्द गठबंधन के तीनों दलों की बैठक करने की अपील की है, ताकि राज्य विधान परिषद में नामांकन के लिए 12 सदस्यों के नाम तय किए जा सकें. मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद समस्याएं हल हो जाएंगी : थोरात मुंबई। 16 जून। लोस सेवा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात ने आज कहा कि कांग्रेस नेता जनहित के मुद्दों पर जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलने जा रहे हैं.

कांग्रेस की शिकायत है कि सरकार के निर्णय प्रक्रिया में उसे जगह नहीं दिया जा रहा है-

इस मुलाकात के बाद सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा. लेकिन, शिवसेना सांसद संजय राऊत का आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर कांग्रेस पर पार्टी मुखपत्र पर संपादकीय लिखकर टीका-टिप्पणी करना जायज नहीं है. दरअसल, कांग्रेस की शिकायत है कि सरकार की निर्णय प्रक्रिया में उसे सहभागी नहीं किया जा रहा है. पार्टी का यह भी मानना है कि राज्यपाल की ओर से विधान परिषद में किए जानेवाले मनोनयन में उसे ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए. इस मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए समय मांगा है.

कांग्रेस के इस रुख पर शिवसेना के मुखपत्र में संपादकीय लिखकर कटाक्ष किया गया है. संपादकीय में लिखा गया है, ''जर्जर खटिया चर्रमर्र क्यों कर रही है?'' इस पर थोरात ने कहा, ''अगर शांति से सोना है, तो चर्रमर्र करनेवाली खाट (चारपाई) को बेहतर करना पड़ता है. उसके लिए चौपाल पर जाकर झगड़ा करने की जरूरत नहीं है.

हम अधिकारियों के तबादले के लिए मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय नहीं मांग रहे हैं. राज्य के विकास कार्यों के सवालों को लेकर यह मुलाकात होनी है. लेकिन, लगता है कि राऊत ने आधी-अधूरी जानकारी पर संपादकीय लिखा है. मुख्यमंत्री के ससुर का देहांत हो जाने की वजह से मुलाकात फिलहाल टल गई है. हम पूरी तरह महाविकास आघाड़ी में हैं और साथ में रहेंगे. शिवसेना के मुखपत्र में बाद में इस बारे में एक और अग्रलेख लिखना होगा.''

टॅग्स :शिव सेनामहाराष्ट्रकांग्रेससंजय राउत
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