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सरकार विश्वास मत हासिल किये बिना नहीं कर सकती मंत्रिमंडल का विस्तार, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने कहा

By धीरेंद्र जैन | Updated: July 15, 2020 19:47 IST

कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी किया गया व्हिप मान्य नहीं है क्योंकि विधानसभा चलने पर ही व्हिप मान्य होता है। ऐसे में वर्तमान हालातों में सरकार अपने बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करा सके, यह संभव नहीं है। सरकार में अंतर्विरोध के कारण सचिन पायलट, रमेश मीणा और विश्वेन्द्र सिंह को मंत्रिमंडल से हटाया गया है।

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ठळक मुद्देसरकार के भीतर की विश्वास पर सवालिया निशान लग गया हो तब राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती हैं। राज्यपाल का यह संवैधानिक उत्तरदायित्व है कि वे विधानसभा बुलाकर फ्लोर टेस्ट का निर्देश दें।सरकार को सदन में विश्वास मत हासिल करना आवश्यक है। इसके बिना कैबिनेट का विस्तार नहीं हो सकता।

जयपुरः राजस्थान विधानसभा की पूर्व अध्यक्षा सुमित्रा सिंह ने आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा मंत्रिमंडल विस्तार किया जा सकता है या नहीं? इस प्रश्न पर एक विषय विशेषज्ञ के रूप में अपनी राय प्रकट करते हुए कहा कि सरकार सदन के विश्वास से चलती है और यदि इसी में अविश्वास हो गया तो सरकार को पुनः विश्वास का नवीनीकरण कराना होता है, इससे पूर्व मंत्रिमंडल विस्तार नहीं किया जा सकता।उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी किया गया व्हिप मान्य नहीं है क्योंकि विधानसभा चलने पर ही व्हिप मान्य होता है। ऐसे में वर्तमान हालातों में सरकार अपने बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करा सके, यह संभव नहीं है। सरकार में अंतर्विरोध के कारण सचिन पायलट, रमेश मीणा और विश्वेन्द्र सिंह को मंत्रिमंडल से हटाया गया है।

अतः जब सरकार के भीतर की विश्वास पर सवालिया निशान लग गया हो तब राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती हैं। राज्यपाल का यह संवैधानिक उत्तरदायित्व है कि वे विधानसभा बुलाकर फ्लोर टेस्ट का निर्देश दें।वर्तमान परिस्थितियों में स्पष्ट है कि गहलोत सरकार प्रजातांत्रिक एवं संवैधानिक दृष्टिकोण से खुद की पार्टी और आमजन में विश्वास खो चुकी है और इसे पुनः प्राप्त करने के लिए सरकार को सदन में विश्वास मत हासिल करना आवश्यक है। इसके बिना कैबिनेट का विस्तार नहीं हो सकता।

मुझे इस बात का भी आश्चर्य है कि खुद मंत्रिमंडल सदस्य होने के बावजूद सचिन पायलट गहलोत सरकार पर विश्वास मत खोने की बात कह रहे हैं। ऐसा मैंने अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में पहली बार देखा है। जबकि मेरे विचार में होना यह चाहिए था कि सचिन पायलट व उनके समर्थक मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देते हुए कहते की सरकार ने विधायकों का विश्वास खो दिया है। इसलिए गहलोत को फ्लोर टेस्ट देना चाहिए। 

टॅग्स :राजस्थानजयपुरभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)कांग्रेसअशोक गहलोतसचिन पायलट
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