जयपुरः राजस्थान विधानसभा में प्रदेश की कांग्रेस सरकार को विश्वास मत मिलने के साथ ही अब मंत्रिमंडल के विस्तार की गहमागहमी तेज हो गई है। भले ही गहलोत सरकार पर आया सियासी संकट टल गया हो, लेकिन सत्ता और संगठन में संकट और बढ़ गया है।
सबसे बड़ा संकट मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल का है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने समर्थक विधायकों की नाराजगी का भय भी सता रहा है। पायलट की बगावत के बाद उन्होंने अपने समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान देने के जो मंसूबे बनाये थे, उन पर सचिन पायलट खेमे की वापसी के कारण पानी फिर गया।
अब पायलट खेमे को नजरअंदाज कर अपने समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान देने मुख्यमंत्री के लिए बडी चुनौती है। ऐसे में सबसे अधिक नाराजगी सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों की ओर से देखने को मिल सकती है। सूत्रों के अनुसार पायलट खेमा 3 केबिनेट और 2 राज्यमंत्री के पदों को लेकर अड़ा हुआ है।
ऐसा बताया जा रहा है कि मौजूदा विधानसभा सत्र के तुरंत बाद मंत्रिमंडल विस्तार की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री जल्द ही सोनिया गांधी से मिलकर इस संबंध में चर्चा कर सकते हैं। वहीं लंबे समय से बीमार चल रहे सामाजिक न्याय मंत्री भंवरलाल मेघवाल को मंत्रिमंडल से हटाया जाना तय है। साथ ही प्रदेशाध्यक्ष की कमान संभालने वाले शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को भी मंत्रिमंडल से हटाये जाने की चर्चा जोरों पर है।