नयी दिल्ली: राजधानी दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, जिससे राजधानी के हॉस्पिटलों में बेड की भारी कमी हो गयी है। हर रोज़ बेड न मिल पाने के कारण दर्जनों कोरोना मरीज़ हॉस्पिटल के बाहर ही दम तोड़ रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट ने आज इस सच्चाई का खुलासा किया है।
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट के साथ पत्रकार अजय झा का वीडियो शेयर किया है जिसमें अजय झा रोते हुये मोदी सरकार और केजरीवाल सरकार के उन दावों की पोल खोल रहे हैं, जिसमें कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पर्याप्त हॉस्पिटल और बेड होने की बात कही गई है।
बता दें कि पत्रकार अजय के परिवार में सभी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। अब तक परिवार के दो सदस्यों को कोरोना निगल चुका है लेकिन सरकार को उनकी फ़रियाद सुनाई नहीं दे रही है। अजय झा ने सोशल मीडिया पर वीडियो डाल कर मदद मांगी है।
यह हाल केवल अजय का नहीं है बल्कि दिल्ली में हर रोज़ यह हो रहा है। लोग पूरे शहर के हॉस्पिटलों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन बेड नहीं मिल रहे जिससे कोरोना मरीज़ गाड़ियों और सड़कों पर ही दम तोड़ रहे हैं। यह हाल तब है जब दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या 27 हज़ार को पार कर चुकी है।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मानें तो जुलाई तक यह संख्या साढ़े पांच लाख तक पहुंच जाएगी और सरकार 81 हज़ार बेड होने का दावा कर रही है। सच में कितने बेड हैं इसका कोई सही आंकड़ा सामने नहीं आ रहा है। बढ़ते मरीजों की संख्या देख मुख्यमंत्री केज़रीवाल ने राज्य सरकार के हॉस्पिटलों में बेड दिल्ली वालों के लिये आरक्षित कर दिये हैं।
भाजपा ने इसका कड़ा विरोध किया और इस मामले में राजनीति शुरू हो गयी है। सोमवार को 24 घंटों के अंदर जैसा भाजपा चाहती थी, उसी के मुताबिक, उप राज्यपाल अनिल बैजल ने केजरीवाल का फ़ैसला पलट दिया। जब बेड को लेकर राजनैतिक विवाद ने तूल पकड़ा तो कांग्रेस कहां पीछे रहने वाली थी।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन ने मानवाधिकार आयोग में ज्ञापन देकर केजरीवाल सरकार और केंद्र को निर्देशित करने की मांग की। उन्होंने राजधानी दिल्ली के सभी हॉस्पिटलों 70 फ़ीसदी बेड कोरोना पीड़ितों के लिये आरक्षित किये जाने का सरकार को निर्देश देने की बात अपने ज्ञापन में लिखी है।
इस समय कुल 57194 बेड के 8 फ़ीसदी ही कोरोना मरीज़ों के लिये आरक्षित हैं जिससे राजधानी में कोरोना मरीज़ों को हॉस्पिटल न तो एडमिट कर रहे हैं न ही उनका इलाज़ कर रहे हैं। मरीज़ खुली सड़कों पर अपने सगे संबंधियों के सामने दम तोड़ रहे हैं। वहीं, राजनैतिक दल ,केंद्र सरकार और राज्य सरकार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर राजनीति करने में लगे हैं।