Pranab Mukherjee: मोहन भागवत बोले- मुखर्जी RSS के लिए मार्गदर्शक रहे, हमारे प्रति उनका स्नेह था, निधन से अपूरणीय क्षति

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 31, 2020 08:32 PM2020-08-31T20:32:36+5:302020-08-31T21:06:30+5:30

मोहन भागवत ने कहा कि मुखर्जी आरएसएस के लिए मार्गदर्शक की तरह थे और हमारे प्रति उनका स्नेह था। उनके निधन से संघ को अपूरणीय क्षति हुई है। पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर RSS ने कहा कि भारत के राजनीतिक-सामाजिक जीवन में उपजी इस शून्यता को भरना आसान नहीं होगा।

Pranab Mukherjee Mohan Bhagwat Guide for RSS he had affection for us, irreparable damage | Pranab Mukherjee: मोहन भागवत बोले- मुखर्जी RSS के लिए मार्गदर्शक रहे, हमारे प्रति उनका स्नेह था, निधन से अपूरणीय क्षति

संसदीय व प्रशासनिक क्षेत्र में उनका अनुभव बेजोड़ था। व्यक्तिगत संबंधों में उन्होंने राजनीतिक जुड़ाव को कभी बाधा नहीं बनने दिया।

Highlightsसंघ के प्रति उनके प्रेम और सद्भाव के चलते हमारे लिए तो वे एक मार्गदर्शक थे। उनका जाना संघ के लिए एक अपूरणीय क्षति है।पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरे भारत में 31 अगस्त से 6 सितंबर तक सात दिवसीय राजकीय शोक मनाया जाएगा।लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर मैं शोक व्यक्त करता हूं।

नई दिल्ली/नागपुरः भारत के सर्वाधिक सम्मानित राजनेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार की शाम निधन हो गया। मुखर्जी 21 दिन तक कई बीमारियों से संघर्ष करते रहे। वह 84 वर्ष के थे। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रहित को हमेशा सर्वोपरि रखा, राजनीतिक भेदभाव में कभी यकीन नहीं किया। मुखर्जी आरएसएस के लिए मार्गदर्शक की तरह थे और हमारे प्रति उनका स्नेह था। उनके निधन से संघ को अपूरणीय क्षति हुई है। पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर RSS ने कहा कि भारत के राजनीतिक-सामाजिक जीवन में उपजी इस शून्यता को भरना आसान नहीं होगा।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को उन्हें संघ के लिये एक “मार्गदर्शक” करार दिया और कहा कि वह राजनीतिक छुआछूत में विश्वास नहीं करते थे। भागवत ने संघ के महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी के साथ एक संयुक्त बयान में कहा कि मुखर्जी एक कुशल प्रशासक थे जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते थे। बयान में उन्होंने कहा कि मुखर्जी राजनीतिक अस्पृश्यता नहीं मानते थे और सभी दल उनका सम्मान करते थे।

इसमें कहा गया, “वह संघ के लिये एक मार्गदर्शक थे और संगठन के प्रति उनका स्नेह था तथा उनके निधन से आरएसएस की अपूर्णीय क्षति हुई है।” सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के वैचारिक संरक्षक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रम में जून 2018 में शामिल होने पर मुखर्जी अपनी ही पार्टी में निशाने पर आ गए थे। मुखर्जी द्वारा अपने भाषण में बहुलतावाद, सहिष्णुता और समावेश को भारत की आत्मा बताने के बाद कांग्रेस ने भी उनकी सराहना की थी।

अपने संबोधन में मुखर्जी ने चेतावनी दी थी कि “धर्म, घृणा, हठधर्मिता और असहिष्णुता” के जरिये भारत को परिभाषित करने के किसी भी प्रयास से हमारा अस्तित्व कमजोर होगा और सार्वजनिक चर्चाओं को हिंसा के सभी रूपों से मुक्त रखना चाहिए।

अक्सर हिंदूवादी दक्षिणपंथी संगठन के तौर पर देखे जाने वाले संगठन के सैकड़ों प्रचारकों और संघ के शीर्ष पदाधिकारियों को मुखर्जी के इस संदेश को कांग्रेस द्वारा “संघ को सच्चाई का आइना दिखाना” करार दिया गया था। पार्टी के कई नेता पूर्व में नागपुर में संघ मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में प्रणब के भाग लेने के फैसले को लेकर उनकी आलोचना कर रहे थे। दिल्ली में सेना के एक अस्पताल में 84 वर्षीय मुखर्जी का सोमवार को निधन हो गया।

संघ के प्रति उनके प्रेम और सद्भाव के चलते हमारे लिए तो वे एक मार्गदर्शक थे। उनका जाना संघ के लिए एक अपूरणीय क्षति है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरे भारत में 31 अगस्त से 6 सितंबर तक सात दिवसीय राजकीय शोक मनाया जाएगा।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर मैं शोक व्यक्त करता हूं। संसदीय व प्रशासनिक क्षेत्र में उनका अनुभव बेजोड़ था। व्यक्तिगत संबंधों में उन्होंने राजनीतिक जुड़ाव को कभी बाधा नहीं बनने दिया। उनका निधन हम सबके लिए एक अपूरणीय क्षति है।

योग गुरु रामदेव ने कहा कि प्रणब मुखर्जी साहब का बहुत बड़ा योगदान भारतीय राजनीति में है। उन्होंने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। यह भारतीय राजनीति और राष्ट्र की एक अपूरणीय क्षति है। वो युगों-युगों तक भारतीय राजनीति का, समाज का, देश का मार्गदर्शन करते रहेंगे।

तेलंगाना मुद्दे से प्रणब मुखर्जी को विशेष आत्मीयता थी : चन्द्रशेख राव

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव ने सोमवार को कहा कि उनकी (मुखर्जी) तेलंगाना मुद्दे से विशेष आत्मीयता थी। उन्होंने कहा कि पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के लिए तत्कालीन संप्रग सरकार द्वारा गठित समिति के प्रमुख प्रणब मुखर्जी को तेलंगाना राज्य गठन विधेयक पर हस्ताक्षर करने का सम्मान प्राप्त हुआ।

मुखर्जी (84) का सोमवार को नयी दिल्ली में सेना के अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और मस्तिष्क में जमे खून के थक्के को निकालने के लिए सर्जरी भी की गई थी। बाद में उन्हें फेंफड़े में संक्रमण हो गया और वह वेंटीलेटर पर थे।

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, राव ने कहा कि बहुत दुख की बात है कि पिछले कुछ सप्ताह से डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयास के बावजूद बीमार चल रहे पूर्व राष्ट्रपति की जीवन रक्षा नहीं की जा सकी। तेलंगाना की जनता और अपनी ओर से शोक व्यक्त करते हुए राव ने कहा कि मुखर्जी के निधन से राजनीति में पैदा हुआ शून्य कभी नहीं भरेगा।

मुखर्जी देश के बहुत ही दूरदर्शी और सम्मानित नेताओं में से एक थे

मुखर्जी देश के बहुत ही दूरदर्शी और सम्मानित नेताओं में से एक थे। मुखर्जी को गत 10 अगस्त को सेना के ‘रिसर्च एंड रेफ्रल हास्पिटल’ में भर्ती कराया गया था। उसी दिन उनके मस्तिष्क की सर्जरी की गई। उनके परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री हैं। लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे मुखर्जी सात बार सांसद रहे ।

अस्पताल में भर्ती कराये जाने के समय वह कोविड-19 से संक्रमित पाये गए थे। साथ ही उनका फेफड़ों में संक्रमण के लिए भी इलाज किया जा रहा था। उन्हें इसके चलते रविवार को ‘सेप्टिक शॉक’ आया था। चिकित्सकों ने कहा कि शाम साढ़े चार बजे दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी ने उनके निधन की सबसे पहले जानकारी दी। अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘भारी मन से आपको सूचित करना है कि मेरे पिता श्री प्रणब मुखर्जी का अभी कुछ समय पहले निधन हो गया।

आरआर अस्पताल के डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों और पूरे भारत के लोगों की प्रार्थनाओं और दुआओं के लिए मैं आप सभी को हाथ जोड़कर धन्यवाद देता हूं।’’ मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति थे। उनके निधन पर विभिन्न हस्तियों ने दुख जताया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुखर्जी के निधन को एक युग का अंत बताया। कोविंद ने ट्विटर पर कहा, ‘‘उन्होंने सार्वजनिक जीवन में एक विराट कद हासिल किया, उन्होंने भारत माता की सेवा एक संत की तरह की। एक विलक्षण सपूत के चले जाने से समूचा राष्ट्र शोकाकुल है।

उनके परिजनों, मित्रों और सभी नागरिकों के प्रति संवेदनाएं।’’ कोविंद ने कहा, ‘‘असाधारण विवेक के धनी, भारत रत्न मुखर्जी के व्यक्तित्व में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम था।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उन्हें सर्वोत्कृष्ट विद्वान और उच्च कोटि का राजनीतिज्ञ बताया जिनकी सभी राजनीतिक दलों और समाज के सभी वर्गों द्वारा प्रशंसा की जाती थी।’’ मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर भारत आज दुखी है।

देश के विकास में वह अमिट छाप छोड़ गए हैं। वह एक सर्वोत्कृष्ट विद्वान और उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ थे जिनकी सभी राजनीतिक दलों और समाज के सभी वर्गों द्वारा प्रशंसा की जाती थी।’’ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, ‘‘हमारे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी के दुखद निधन की खबर मिली। देश बहुत दुखी है। मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने में खुद को देश के साथ जोड़ता हूं। उनके परिवार और मित्रों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।’’ 

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