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नरेंद्र मोदीः दबे पांव तेजी से बढ़ रही हैं आर्थिक चुनौतियां, लेकिन...

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: August 27, 2020 21:51 IST

एकसाथ कई कार्य करने के कारण बेहतर प्रयासों के बावजूद कोशिशों के सापेक्ष कामयाबी नहीं मिली है. यही नहीं, स्वयं, क्षमता से अधिक कार्य करना और दूसरों के काम पर भरोसा नहीं करना, ये दो ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से काम का परिमाण तो विशाल नजर आता है, लेकिन परिणाम अपेक्षाकृत बहुत कम मिलता है.

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ठळक मुद्देशनि गोचर का साथ थोड़ा बचाव भी करेगा, लिहाजा नाकामयाबी के सापेक्ष लोकप्रियता उतनी कम नहीं होगी.सेहत और थकान पर भी फोकस करना होगा, वरना माइग्रेन, एपोप्लेक्सी जैसी परेशानियां उभर सकती हैं. पीएम मोदी की प्रचलित कुंडली कहती है कि उनका चन्द्र अंदर के भाव को दबने नहीं देता और चेहर पर प्रतिक्रिया नजर आने लगती है.

जयपुरः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आनेवाले समय में बड़ी आर्थिक चुनौतियों का मुकाबला करना होगा, क्योंकि उनकी प्रचलित कुंडली के वर्षफल पर भरोसा करें तो वह इसी ओर इशारा कर रहा है, लेकिन शनि गोचर का साथ थोड़ा बचाव भी करेगा, लिहाजा नाकामयाबी के सापेक्ष लोकप्रियता उतनी कम नहीं होगी.

पीएम मोदी को जीवन अच्छे अवसर देता रहा है, परन्तु एकसाथ कई कार्य करने के कारण बेहतर प्रयासों के बावजूद कोशिशों के सापेक्ष कामयाबी नहीं मिली है. यही नहीं, स्वयं, क्षमता से अधिक कार्य करना और दूसरों के काम पर भरोसा नहीं करना, ये दो ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से काम का परिमाण तो विशाल नजर आता है, लेकिन परिणाम अपेक्षाकृत बहुत कम मिलता है.

अब उन्हें, सेहत और थकान पर भी फोकस करना होगा, वरना माइग्रेन, एपोप्लेक्सी जैसी परेशानियां उभर सकती हैं. पीएम मोदी की प्रचलित कुंडली कहती है कि उनका चन्द्र अंदर के भाव को दबने नहीं देता और चेहर पर प्रतिक्रिया नजर आने लगती है. इतना ही नहीं, वे तत्काल बोलते भले ही ना हों, किन्तु बाद में यह प्रतिक्रिया उनके व्यवहार में भी झलकने लगती है.

वर्ष 2020-21 पर नजर डाले तो तीन बड़े सवाल हैं.... आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियां, प्रयास के सापेक्ष परिणाम नहीं मिलना और पद की सुरक्षा. सितम्बर के उतरार्ध से नवम्बर 2020 के पूर्वार्ध के बीच लक्ष्य पर तो नजर रहेगी किन्तु जरूरत से ज्यादा विश्लेषण के कारण समय का उतना सद्उपयोग नहीं कर पाएंगे. यदि इस दौरान स्वाभिमान, अभिमान में बदला तो, कुछ प्रमुख सहयोगी दूर हो सकते हैं.

नवम्बर के उतरार्ध से दिसम्बर 2020 तक एक बार फिर कामकाज पटरी पर आएगा, आत्मविश्वास भी बढ़ेगा, किन्तु सेहत को लेकर सतर्क रहना होगा.जनवरी-फरवरी 2021 में पीएम मोदी फिर विरोधियों के निशाने पर आ जाएंगे, सच्चे-झूठे आरोप भी लग सकते हैं, इन हालातों में उनका झुकाव आध्यात्म की ओर भी बढ़ सकता है. सेहत को नजरअंदाज करना परेशानी का सबब बन सकता है.

मार्च माह और अप्रैल 2021 का पूर्वार्ध सियासी तनाव बढ़ाने वाला रहेगा, तो आर्थिक मामलों में सोच-समझ कर निर्णय लेने होंगे, वरना फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है.,अप्रैल के उतरार्ध और मई 2021 के पूर्वार्ध में उम्मीदें तो बहुत नजर आएंगी, किन्तु परिणाम संतोषजनक नहीं रहेंगे. अलबत्ता, इस दौरान प्रचार-प्रसार का लाभ मिलेगा.

मई के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई 2021 के पहले सप्ताह के बीच राहतवाली खबरें मिलेंगी, बड़े कारोबारियों का सहयोग-समर्थन मिलेगा, तो विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकलने का रास्ता भी नजर आएगा. जुलाई 2021 के उतरार्ध में परेशान करनेवाली खबरें मिल सकती हैं, परन्तु जल्दीबाजी में कोई निर्णय करना ठीक नहीं होगा. कभी-कभी खामोशी सियासी रिश्ते टूटने से बचा लेती है.

अगस्त 2021 में आर्थिक मोर्चे पर कुछ राहत मिलेगी, सहयोगियों का समर्थन मिलेगा, तो कुछ मन के काम पूरे होंगे. इस दौरान यात्राएं भी संभव हैं. सितम्बर 2021 का पूर्वार्ध कई कारणों से बेचैन कर सकता है. विरोधी सियासी हमले कर सकते हैं, तो सहयोगियों का भी पर्याप्त समर्थन हांसिल करना थोड़ा मुश्किल रहेगा. इसके बाद समय और भी बदलनेवाला है, लिहाजा सियासी मोर्चे पर ज्यादा सतर्कता की जरूरत रहेगी!  

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