एक साथ हुए लोकसभा-विधानसभा चुनाव तो BJP के सामने चित्त हो जाएगा महागठबंधन, ये रहे सबूत
By जनार्दन पाण्डेय | Published: August 18, 2018 08:35 AM2018-08-18T08:35:28+5:302018-08-29T13:23:19+5:30
One Nation One Poll: बीजेपी एक देश एक चुनाव की मांग अब और तेज कर देगी। जानिए क्यों...
नई दिल्ली, 18 अगस्तः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पहले देश में सबसे मुद्दा एक साथ चुनाव थे। ट्विटर पर दो दिनों तक टॉप ट्रेंड में #OneNationOnePoll ट्रेड चलता रहा। यह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पहल थी। इसके पीछे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का दिमाग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति थी। चुनाव आयोग ने मामले को विधि आयोग से पास कराने को कहा है। लेकिन बीजेपी ऐसा क्यों चाहती है। पीएम मोदी ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि ऐसा करने से काफी खर्च बच जाएगा। पर क्या वास्तव में यही सच्चाई है? या बीजेपी इसके पीछे कुछ और साधना चाहती है?
पहले घटनाक्रम देखिए
पहले बीजेपी नेताओं की एक टीम लॉ कमीशन से मिलती है। वह देशभर में एक चुनाव कराने की संस्तुति देती है। फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मीडिया में इंटरव्यू देते हैं और विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ कराने के चलते होने वाले फायदों को गिनाते हैं। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चुनाव विधि आयोग को चिट्ठी लिखकर एक साथ चुनाव कराने की मांग करते हैं।
फिर पूरे देश में यह चर्चा छिड़ जाती है कि एक साथ चुनाव के कितने फायदे हैं। लोग का सीधा रिएक्शन ट्विटर दिखता है। लोग दो फड़ों में बंट जाते हैं। ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा नजर आती है जो एक साथ चुनाव के पक्षधर हैं।
खलबली मचती है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के बिहार के सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) प्रमुख नीतीश कुमार खुद सामने आते हैं और कहते हैं कि यह संभव नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकश रावत खुद सामने आते हैं। उन्होंने मंगलवार को 'एक देश, एक चुनाव' अपना बयान दिया। उन्होंने कहा 'अभी हमारे देश में यह संभव नहीं है। इसके लिए पहले कानून में संसोधन करना होगा इसके बाद ही यह संभव हो सकता है।
इसी बीच बीजेपी के सबसे धाकड़ नेता भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो जाता है। इसकी पूरी उम्मीद की जानी चाहिए कि बीजेपी अपना मुद्दा दोबारा उठाएगी।
अब मामले को गहराई जानिए
लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव, इनमें जो सबसे बेसिक अंतर होता है, वो है लोकसभा ऐसे शख्स को जिताओ जो देश संभाल सके, विधानसभा ऐसे को जिताओ को प्रदेश संभाल सके। भारत में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा कोई ऐसी पार्टी नहीं जो देश और प्रदेश दोनों एक साथ संभालने का माद्दा रखती हो।
बीजेपी यह भलीभांति जानती है। और यह भी जानती है कि मामला बीजेपी बनाम कांग्रेस हो गया, तो मौजूदा हालात में बीजेपी भारी पड़ेगी। इसका सीधा आशय है कि बीजेपी आगामी लोकसभा चुनाव के मुद्दों पर ही 11 विधानसभा चुनाव भी लड़ना चाहती है। इसमें बीजेपी को विधानसभा चुनावों में सीधा फायदा मिलेगा।
दूसरी अहम बात, महाठबंधन जो भी संकल्पना है वह लोकसभा चुनावों को लेकर है। जैसे ही बात विधानसभा चुनावों आएगी, क्षेत्रीय दल तत्काल अधिक सक्रिय हो जाएंगे और महागठबंधन में आपसी मतभिन्नता तेज हो जाएगी।
हालांकि कर्नाटक को आधार मानें तो कांग्रेस इस मूड में दिखाई देती है कि वह विधानसभा चुनावों में क्षेत्रीय पार्टियों को महत्व देगी। लेकिन हाल ही में जिस तरह से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में केवल बहुजन समाजपार्टी से गठबंधन में ही नाको चना चबाना पड़ा। उसे देखते हुए लगता है कि अगर लोकसभा चुनाव के साथ 11 विधानसभा चुनाव हुए तो यह महागठबंधन के लिए शामत और बीजेपी के लिए जश्न लेकर आएगा।
आजादी के बाद एक साथ ही होते थे चुनाव
आजादी के बाद जब भारत में 1951 में संविधान लागू हुआ और 1952 में चुनाव होने शुरू हुए तो साथ ही चुनाव होते थे। लेकिन बाद के दिनों में कभी राज्य में तो कभी केंद्र में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत ना मिलने की वजह मध्यावधि चुनाव व राष्ट्रपति शासन जैसी स्थितियों से गुजरना पड़ा और यह साथ चुनाव की प्रथा टूट गई।
किन राज्यों के चुनाव लोकसभा के साथ करानी चाहती है बीजेपी
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल जनवरी तक समाप्त हो जाएगा। जबकि हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र अगले साल की दूसरी छमाही में। वहीं कांग्रेस शासित मिजोरम का कार्यकाल भी अगले साल दिसंबर तक खत्म हो रहा है। एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले साल आंध्र प्रदेश, तेलंगना, ओडिशा, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र बिहार और जम्मू कश्मीर के चुनाव अगले साल लोकसभा के साथ कराने की तैयारी है।
इसी बीच व्हाट्सएप पर ऐसे मैसेज भी तेजी से बंटने लगे हैं कि अटल बिहारी को असली श्रद्धांजलि तब होगी जब अगली बार बीजेपी जीत जाए।