जयराम रमेश की आपत्ति पर जावड़ेकर ने कहा- पर्यावरण प्रभाव आकलन प्रारूप पर आपके सुझाव निराधार हैं

By भाषा | Published: July 27, 2020 05:33 AM2020-07-27T05:33:52+5:302020-07-27T05:33:52+5:30

रमेश ने अपने 25 जुलाई के पत्र में कहा था कि ईआईए प्रारूप किसी परियोजना का काम पूरा होने के बाद भी स्वीकृति की अनुमति देता है जो पर्यावरण मंजूरी से पहले होने वाले मूल्यांकन और सार्वजनिक भागीदारी के सिद्धांतों के प्रतिकूल है

On the objection of Jairam Ramesh, Javadekar said - Your suggestions on the Environmental Impact Assessment format are baseless. | जयराम रमेश की आपत्ति पर जावड़ेकर ने कहा- पर्यावरण प्रभाव आकलन प्रारूप पर आपके सुझाव निराधार हैं

जयराम को जावड़ेकर का जवाब (फाइल फोटो)

Highlightsपूर्व पर्यावरण मंत्री और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति के मौजूदा अध्यक्ष रमेश ने उन्हें पत्र लिखकर ईआईए अधिसूचना के प्रारूप के बारे में चिंताओं को उठाया था इसके जवाब में जावड़ेकर का यह जवाब आया है

पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना के प्रारूप के संबंध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश के कड़ी आपत्ति जताये जाने के एक दिन बाद केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को उनके सुझावों को ‘‘निराधार’’ और ‘‘गलत व्याख्या’’ पर आधारित बताया हैं। पूर्व पर्यावरण मंत्री और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति के मौजूदा अध्यक्ष रमेश ने उन्हें पत्र लिखकर ईआईए अधिसूचना के प्रारूप के बारे में चिंताओं को उठाया था।

इसके जवाब में जावड़ेकर का यह जवाब आया है। पत्र के जरिये ही रमेश को जवाब देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मुझे 25 जुलाई की तिथि में लिखा आपका पत्र प्राप्त हुआ जिसे साथ ही प्रेस को भी जारी किया गया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘टिप्पणियों और सुझावों के लिए प्रारूप अधिसूचना को सार्वजनिक रखा गया है। आपकी टिप्पणियों पर ध्यान दिया गया है। सुझावों के लिए 15 और दिन हैं। आपके सभी सुझाव निराधार हैं और गलत व्याख्या पर आधारित हैं।

मैं आपको विस्तार से उत्तर दूंगा।’’ जावड़ेकर ने कहा कि सरकार विभिन्न सुझावों पर विचार करने के बाद मसौदे को अंतिम रूप देगी और ‘‘सरकार के निर्णयों की संसद और स्थायी समितियों द्वारा छानबीन की जा सकती है।’’ इस वर्ष मार्च में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा ईआईए अधिसूचना जारी की गई थी और सार्वजनिक सुझाव आमंत्रित किए गए थे। इससे पहले, मंत्रालय ने कहा था कि यह समय सीमा 30 जून से आगे नहीं बढ़ेगी। समय सीमा अब 12 अगस्त तक है।

रमेश ने अपने 25 जुलाई के पत्र में कहा था कि ईआईए प्रारूप किसी परियोजना का काम पूरा होने के बाद भी स्वीकृति की अनुमति देता है जो पर्यावरण मंजूरी से पहले होने वाले मूल्यांकन और सार्वजनिक भागीदारी के सिद्धांतों के प्रतिकूल है। कांग्रेस नेता ने पत्र में कहा था ,‘‘यह केन्द्र सरकार को राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकारियों की नियुक्ति के लिए पूर्ण अधिकार देता है। सहकारी संघवाद के ताबूत पर यह एक और कील है। ये परिवर्तन तीनों ऑडिट, आकलन और विश्लेषण पर आधारित नहीं हैं।’’ 

Web Title: On the objection of Jairam Ramesh, Javadekar said - Your suggestions on the Environmental Impact Assessment format are baseless.

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