कांग्रेस के मुस्लिम विधायकों ने जैसलमेर के होटल में मनाई ईद
By भाषा | Published: August 1, 2020 11:09 PM2020-08-01T23:09:15+5:302020-08-01T23:19:45+5:30
कांग्रेस एवं उसके समर्थक विधायकों को शुक्रवार को राजधानी जयपुर से दूर सीमावर्ती शहर जैसलमेर स्थानांतरित कर दिया गया है.
राजस्थान में चल रही राजनीतिक रस्साकशी के बीच कांग्रेस के मुस्लिम विधायकों ने शनिवार को ईद जैसलमेर के एक निजी होटल में मनाई जहां उन्हें कल जयपुर से स्थानांतरित किया गया था। राजस्थान में कांग्रेस के नौ मुस्लिम विधायक हैं। इनमें कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद के साथ साथ अमीन खान, दानिश अबरार, जाहिदा खान, वाजिब अली, हाकम अली खान, रफीक खान अमीन खान, साफिया जुबेर हैं। सालेह मोहम्मद की ओर से ईद के उपलक्ष में दावत दी गयी। कुछ विधायक सुबह योग और होटल की जिम में व्यायाम करते दिखे तो कुछ ने होटल में ही बनी गौशाला में गायों को चारा दिया और अस्तबल घोड़ों के साथ समय बिताया।
निजी होटल में रुके कांग्रेस के दो विधायक गुरमीत सिंह एवं बाबूलाल नागर की तबीयत बिगड़ने पर चिकित्सक ने उनकी जांच की। होटल की सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतज़ामात किये गए हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य में चल रहे सियासी घमासान में विधायकों को तोड़ने की आशंका के बीच कांग्रेस एवं उसके समर्थक विधायकों को शुक्रवार को राजधानी जयपुर से दूर सीमावर्ती शहर जैसलमेर स्थानांतरित कर दिया गया।
गहलोत को अपने ही विधायकों पर भरोसा नहीं : सतीश पूनियां
बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने शनिवार को कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने ही विधायकों पर भरोसा नहीं है इसलिए उन्हें पुलिस के पहरे में होटल में रखा गया है। पूनियां ने कहा,‘‘ ऐसे में जब लोग कोरोना वायरस संक्रमण में परेशान हो रहे हैं, तब गहलोत की सरकार जैसलमेर में लग्जरी होटल में बाड़े में बंद हैं। मुख्यमंत्री गहलोत को अपने मंत्रियों और विधायकों पर विश्वास नहीं है, इसलिए उन्हें पुलिस के कड़े पहरे में होटल के बाड़े में बंद कर रखा है।’’
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान में विधायकों को तोड़ने की आशंका के बीच कांग्रेस एवं उसके समर्थक विधायकों को शुक्रवार को राजधानी जयपुर से दूर सीमावर्ती शहर जैसलमेर स्थानांतरित कर दिया गया। पूनियां ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत के पास अगर संख्याबल होता तो शायद यह नौबत नहीं आती। भाजपा नेता ने कहा,‘‘ आपके पास संख्या होती, भरोसा होता, तो शायद यह नौबत नहीं आती कि आप विधायकों को इधर से उधर घुमाते फिरते।’’