लाइव न्यूज़ :

अजित की बगावत ने शरद पवार की 41 साल पहले की कहानी याद दिला दी!

By भाषा | Updated: November 24, 2019 06:48 IST

राकांपा नेता अजित पवार का रातोंरात बगावत कर भाजपा से हाथ मिलाने का निर्णय उनके चाचा शरद पवार की 41 वर्ष पहले की कहानी को याद दिलाता है, जब वह कांग्रेस के दो धड़ों द्वारा बनाई गई सरकार गिराकर राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे।

Open in App
ठळक मुद्देपवार ने 1978 में जनता पार्टी और पीजेन्ट्स वर्कर्स पार्टी के गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था1978 में अपनी पार्टी बनाकर उसे एक दशक तक चलाने के पवार के निर्णय के कारण राजनीतिक हलकों में उन्हें प्रभावशाली नेता कहा जाने लगा।

राकांपा नेता अजित पवार का रातोंरात बगावत कर भाजपा से हाथ मिलाने का निर्णय उनके चाचा शरद पवार की 41 वर्ष पहले की कहानी को याद दिलाता है, जब वह कांग्रेस के दो धड़ों द्वारा बनाई गई सरकार गिराकर राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे। पवार ने 1978 में जनता पार्टी और पीजेन्ट्स वर्कर्स पार्टी के गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था, जो दो वर्ष से भी कम समय तक चली थी। संयोग से इस बार भी वह राज्य में कांग्रेस और शिवसेना से हाथ मिलाकर इसी तरह का गठबंधन तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं।

अजित ने शनिवार सुबह उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिस पर पवार ने कहा कि भाजपा को समर्थन देने के निर्णय का उन्होंने समर्थन नहीं किया है और यह उनके भतीजे की व्यक्तिगत फैसला है। वास्तव में 1978 में अपनी पार्टी बनाकर उसे एक दशक तक चलाने के पवार के निर्णय के कारण राजनीतिक हलकों में उन्हें प्रभावशाली नेता कहा जाने लगा। पवार ने अपनी किताब ‘ऑन माई टर्म्स’ में लिखा है कि 1977 में आपातकाल के बाद के चुनावों में राज्य और देश में इंदिरा विरोधी लहर से कई लोग स्तब्ध थे। पवार के गृह क्षेत्र बारामती से वी एन गाडगिल कांग्रेस की टिकट से हार गए। इंदिरा गांधी ने जनवरी 1978 में कांग्रेस का विघटन कर दिया और कांग्रेस (एस - सरदार स्वर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली) से अलग होकर कांग्रेस (इंदिरा) का गठन किया। पवार कांग्रेस (एस) के साथ बने रहे और उनके राजनीतिक मार्गदर्शक यशवंतराव चव्हाण भी इसी पार्टी में थे।

एक महीने बाद राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस (एस) ने 69 सीट, कांग्रेस (आई) ने 65 सीट पर जीत दर्ज की। जनता पार्टी ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की थी और इस तरह किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुआ। कांग्रेस के दोनों धड़ों ने मिलकर कांग्रेस (एस) के वसंतदादा पाटिल के नेतृत्व में सरकार का गठन किया, जिसमें कांग्रेस (आई) के नासिकराव तिरपुदे उपमुख्यमंत्री बने। बहरहाल, कांग्रेस के दोनों धड़ों के बीच टकराव जारी रहा जिससे सरकार चलाना कठिन हो गया था। पवार ने सरकार छोड़ने का निर्णय किया। जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर के साथ उनके संबंधों के कारण उन्हें काफी सहयोग मिला।

चंद्रशेखर ने पवार से कहा, ‘‘इसमें आपको महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।’’ इसके मुताबिक पवार ने विधायकों का समर्थन जुटाना शुरू कर दिया। बाद में सुशील कुमार शिंदे, दत्ता मेघे और सुंदरराव सोलंकी ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया। उल्लेखनीय है कि शिंदे आगे चल कर राज्य के मुख्यमंत्री और फिर केंद्रीय गृह मंत्री बने। पवार ने कांग्रेस के 38 विधायकों के साथ मिलकर नयी सरकार बनाई जिसे समानांतर सरकार कहा जाता है। पवार तब 38 वर्ष की उम्र में राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे। वरिष्ठ पत्रकार अनंत बगैतकार ने कहा कि नयी सरकार जनता पार्टी, पीजेंट वर्कर्स पार्टी और अन्य छोटे दलों की गठबंधन सरकार थी। पवार लिखते हैं, ‘‘सदन में जब पूरक मांगों पर चर्चा चल रही थी, सरकार अल्पमत में आ गई थी जिसके बाद मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल ने अपना इस्तीफा सौंप दिया।’’

बहरहाल, 1980 में इंदिरा गांधी के सत्ता में लौटते ही (पवार नीत) सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। राजनीतिक विश्लेषक सुहास पालसीकर ने एक मराठी पत्रिका में पवार पर लिखे परिचय ‘पवार के नाम पर एक अध्याय’ में लिखा कि पवार ने एक दशक से अधिक समय तक पार्टी का नेतृत्व किया और राजीव गांधी के नेतृत्व के तहत अपनी मूल पार्टी में लौट आए। पालसीकर ने लिखा, ‘‘चूंकि उन्होंने अपनी पार्टी गठित करने का निर्णय किया और इसे एक दशक तक चलाया जिससे उन्हें प्रभावशाली नेता की छवि हासिल करने में मदद मिली।’’

टॅग्स :महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019अजित पवारशरद पवार
Open in App

संबंधित खबरें

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतमहाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव 2025ः 246 नगरपालिका परिषद और 42 नगर पंचायत पर 2 दिसंबर को मतदान, 3 दिसंबर को मतगणना, 1.07 करोड़ मतदाता और 13,355 मतदान केंद्र

भारतबीड सरपंच हत्याकांड: सरपंच संतोष देशमुख के परिवार से मिले उपमुख्यमंत्री अजित पवार, विरोध तेज करेंगे मराठा नेता मनोज जरांगे

भारतनूरा कुश्ती या भड़ास निकालने का सही समय, महायुति में मारामारी

भारतमहाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव 2025ः ‘महायुति’ के सामने दो प्रमुख चुनौतियां?, बीजेपी-शिवसेना में रार और ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर कानूनी चुनौती, कैसे पार लगाएंगे सीएम फडणवीस?

राजनीति अधिक खबरें

राजनीतिDUSU Election 2025: आर्यन मान को हरियाणा-दिल्ली की खाप पंचायतों ने दिया समर्थन

राजनीतिबिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से मिलीं पाखी हेगड़े, भाजपा में शामिल होने की अटकलें

राजनीतिBihar voter revision: वोटरों की सही स्थिति का पता चलेगा, SIR को लेकर रूपेश पाण्डेय ने कहा

राजनीतिबिहार विधानसभा चुनावः बगहा सीट पर बीजेपी की हैट्रिक लगाएंगे रुपेश पाण्डेय?

राजनीतिगोवा विधानसभा बजट सत्रः 304 करोड़ की 'बिना टेंडर' परियोजनाओं पर बवाल, विपक्ष का हंगामा