मध्यप्रदेशः 15 अगस्त 2020 को कमलनाथ जी मुख्यमंत्री के तौर पर ध्वजारोहण करेंगे और परेड की सलामी लेंगेः कांग्रेस
By गुणातीत ओझा | Published: March 29, 2020 10:53 AM2020-03-29T10:53:22+5:302020-03-29T10:53:22+5:30
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने एक ट्वीट कर कहा था कि 15 अगस्त 2020 को कमलनाथ जी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर ध्वजारोहण करेंगे और परेड की सलामी लेंगे.. ये बेहद अल्प विश्राम है। यह ट्वीट मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से किया गया था।
मध्यप्रदेश की राजनीति फिर कोई नया रुख ले सकती है। कांग्रेस ने अभी हार नहीं मानी है। मध्यप्रदेश कांग्रेस ने एक ट्वीट कर कहा था कि 15 अगस्त 2020 को कमलनाथ जी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर ध्वजारोहण करेंगे और परेड की सलामी लेंगे.. ये बेहद अल्प विश्राम है। यह ट्वीट मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार गिरने के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से किया गया था।
बताते चलें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के बाद कांग्रेस के 22 बागी विधायकों ने भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद अब राज्य में उन सीटों पर उपचुनाव होंगे। ऐसी स्थित में अगर कांग्रेस उन सीटों पर जीत दर्ज कर लेती है तो राज्य में सियासी समीकरण बदल सकते हैं।
इस ट्वीट को सँभाल कर रखना-
— MP Congress (@INCMP) March 20, 2020
15 अगस्त 2020 को कमलनाथ जी मप्र के मुख्यमंत्री के तौर पर ध्वजारोहण करेंगे और परेड की सलामी लेंगे।
ये बेहद अल्प विश्राम है।
कमलनाथ ने दे दिया था इस्तीफा
मध्यप्रदेश में 22 बागी विधायकों के इस्तीफा देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट के माध्यम से विधानसभा में बहुमत साबित करने का अल्टीमेटम दिया था। लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इसके बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान को चौथा मौका दे दिया।
मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया बने भाजपा के किंगमेकर
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के लिए मुश्किल तब खड़ी हो गई जब ज्योतिरादित्य सिंधिया नाराज हो गए। उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। उनके साथ ही उनके खेमे के विधायक ने भी इस्तीफा दे दिया। तकरीबन एक सप्ताह तक चली सियासी उठापटक के बीच सभी 22 बागी विधायक बेंगलुरु में रहे। सारे प्रयासों के बाद कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करने का कोई रास्ता नहीं दिखा तो उन्होंने राज्यपाल लाल जी टंडन को इस्तीफा सौंप दिया था।