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राहुल गांधी जैसे नेता भारतीय राजनीति में बिरले ही होते हैं, हम सबको उनसे सीख लेनी चाहिए: अधीर रंजन 

By भाषा | Updated: October 9, 2019 17:57 IST

पश्चिम बंगाल में पांच बार से लोकसभा सदस्य चौधरी ने कहा, ‘‘हां, मैंने कुछ नेताओं के बयानों के बारे में सुना है। मैं सिर्फ यही कहूंगा, हां, अच्छा होता अगर राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष बने रहते। लेकिन साथ ही हमें नैतिक जवाबदेही की मिसाल की भी सराहना करनी चाहिए जो उन्होंने सबके सामने पेश की है।’’

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ठळक मुद्देराहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने पर राज्य और केंद्रीय स्तर के कई नेताओं ने उनकी आलोचना की थी।असंतुष्ट नेताओं ने दावा किया था कि राहुल गांधी के इस्तीफे ने समर्थकों और पार्टी नेताओं दोनों को अधर में छोड़ दिया है।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी नेता राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने पर उनकी आलोचना के बीच लोकसभा में पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी ने बुधवार को कहा कि राहुल जैसे नेता मौजूदा राजनीति में बिरले ही होते हैं जिन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद त्याग दिया।

लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने पर राज्य और केंद्रीय स्तर के कई नेताओं ने उनकी आलोचना की थी। असंतुष्ट नेताओं ने दावा किया था कि राहुल गांधी के इस्तीफे ने समर्थकों और पार्टी नेताओं दोनों को अधर में छोड़ दिया है।

पश्चिम बंगाल में पांच बार से लोकसभा सदस्य चौधरी ने कहा, ‘‘हां, मैंने कुछ नेताओं के बयानों के बारे में सुना है। मैं सिर्फ यही कहूंगा, हां, अच्छा होता अगर राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष बने रहते। लेकिन साथ ही हमें नैतिक जवाबदेही की मिसाल की भी सराहना करनी चाहिए जो उन्होंने सबके सामने पेश की है।’’

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जैसे नेता भारतीय राजनीति में बिरले ही होते हैं जो नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ देते हैं और हम सबको उनसे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर राहुल लौटते हैं तो हम सभी को अच्छा लगेगा। उन्होंने कहा कि यह राहुल गांधी का निर्णय था और उनका सम्मान किया जाना चाहिए।

चौधरी ने कहा, ‘‘क्या आप किसी अन्य पार्टी में ऐसा कोई उदाहरण दे सकते हैं जहां नेता ने पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ दिया है? इसका जवाब नहीं है। राहुल जी ने अपने कदमों के जरिए एक संदेश दिया है कि अधीनस्थों को व्याख्यान देने से पहले नेता को खुद उदाहरण स्थापित करना चाहिए।’’

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के अंदर नाराजगी ने आगामी चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर ‘‘सवालिया निशान’’ लगा दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 543 सीटों में से सिर्फ 52 सीटें जीतीं थीं। वहीं भाजपा की सीटें बढ़कर 303 हो गयी जो 2014 में 282 थी। 

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