लालू यादव के बडे़ बेटे तेज प्रताप को नजर अंदाज करना तेजस्वी को पड़ा भारी, दो सीटों पर RJD उम्मीदवारों की हुई करारी हार
By एस पी सिन्हा | Published: May 25, 2019 06:15 PM2019-05-25T18:15:53+5:302019-05-25T18:15:53+5:30
लालू यादव के बडे बेटे तेजप्रताप यादव ने शिवहर और जहानाबाद सीट पर भी अपने उम्मीदवार अंगेश कुमार और चंद्रप्रकाश को टिकट दिलाने के लिए तेजस्वी यादव को कहा था, लेकिन वह नहीं माने
लोकसभा चुनाव में बिहार में जीरो पर आउट हुई राजद के कारणों पर चर्चा चाहे जो भी हो, लेकिन पार्टी से बगावत कर जहानाबाद सीट से अपना उम्मीदवार देने वाले तेजप्रताप भी उस सीट से राजद के उम्मीदवार को हराने में सफल रहे. पार्टी ने एक अन्य सीट यानि शिवहर को भी खोया जहां से तेजप्रताप यादव ने अपना उम्मीदवार उतारा था, हालांकि अंगेश सिंह नाम के इस शख्स का नामांकन रद्द हो गया था.
चूंकि तेजस्वी बाहर अगर विरोधियों से लडते रहे तो घर के अंदर भी कभी उन्हें बडे भाई तेजप्रताप तो कभी बहन मीसा से भी चुनौती मिलती रही. जहानाबाद में राजद और जदयू के बीच की लडाई काफी टफ थी और हार-जीत का फासला भी 1711 मतों का रह गया. इस सीट से जदयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी ने राजद के सुरेंद्र यादव को हराया.
सुरेंद्र यादव को जहां 333833 वोट मिले, वहीं चंद्रवंशी को 335584 वोट. जहानाबाद से ही तेजप्रताप के उम्मीदवार चंद्रप्रकाश को 7755 वोट मिले. अगर यह वोट सुरेंद्र यादव के खाते में गए होते तो वहां की तस्वीर कुछ दूसरी होती और राजद के उम्मीदवार सुरेंद्र यादव न केवल जीत हासिल करते बल्कि पार्टी भी अपना खाता खोलने में सफल होती. वहीं, शिवहर सीट की बात करें तो इस सीट से भाजपा की रमा देवी जीतने में सफल रहीं.
भाजपा की रमा को 608678 वोट मिले, वहीं राजद के सैयद फैसल अली को मिले वोटों की संख्या 268318 थी. इस सीट से अंगेश भले ही चुनाव में नहीं थे, लेकिन उन्होंने राजद के लिए खूब काम बिगाड़ा. यही नही तेज प्रताप ने सैयद फैसल अली के बारे में यह प्रचार किया था कि यह भाजपा का आदमी है और मोख्तार अब्बास नकवी का करीबी है. वहीं, सुरेन्द्र यादव के खिलाफ प्रचार करते हुए तेज प्रताप ने उन्हें हथियार का तस्कर से लेकर छनौटा चोर तक कह डाला था.
दरअसल, लालू यादव के बडे बेटे तेजप्रताप यादव ने शिवहर और जहानाबाद सीट पर भी अपने उम्मीदवार अंगेश कुमार और चंद्रप्रकाश को टिकट दिलाने के लिए तेजस्वी यादव को कहा था, लेकिन वह नहीं माने. अब नतीजा सबके सामने है और इन दोनों ही सीटों पर राजद के प्रत्याशियों की हार हो गई है. इसतरह से राजद के अंदर चल रहे इस भीतरघात का खामियाजा पूरे बिहार में महागठबंधन को उठाना पडा है और 40 में से 39 सीटों पर उसके प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा है.