Special Report: कश्मीर का हाल, 32 सालों में 1000 के करीब राजनेता शिकार, सिलसिला जारी

By सुरेश एस डुग्गर | Published: July 9, 2020 06:04 PM2020-07-09T18:04:48+5:302020-07-09T18:04:48+5:30

पिछले 32 सालों के आतंकवाद के दौर के दौरान सरकारी तौर पर आतंकियों ने 1000 के करीब राजनीति से सीधे जुड़े हुए नेताओें को मौत के घाट उतारा है। इनमें ब्लाक स्तर से लेकर मंत्री और विधायक स्तर तक के नेता शामिल रहे हैं।

Jammu Kashmir terrorists target Kashmir's condition about 1000 politicians hunted in 32 years | Special Report: कश्मीर का हाल, 32 सालों में 1000 के करीब राजनेता शिकार, सिलसिला जारी

र्ष 2002 के विधानसभा चुनाव उससे अधिक खूनी साबित हुए थे जब 87 राजनीतिक मारे गए थे। (file photo)

Highlightsमुख्यमंत्री या उप-मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंच पाए लेकिन ऐसी बहुतेरी कोशिशें उनके द्वारा जरूर की गई हैं।राज्य में विधानसभा चुनावों के दौरान हमेशा सबसे ज्यादा राजनीतिकों को निशाना बनाया गया है।वर्ष 1996 के विधानसभा चुनावों में अगर आतंकी 75 से अधिक राजनीतिकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारने में कामयाब रहे थे।

जम्मूः सुरक्षाबलों और राज्य सरकार के दावों के बावजूद इस सच्चाई से मुख नहीं मोड़ा जा सकता कि कश्मीर में फैले आतंकवाद में राजनीतिक आतंकियों के नर्म लक्ष्य रहे हैं।

कश्मीर में होने वाले हर किस्म के चुनावों में आतंकियों ने राजनीतिकों को ही निशाना बनाया है। उन्होंने न ही पार्टी विशेष को लेकर कोई भेदभाव किया है और न ही उन राजनीतिकों को ही बख्शा जिनकी पार्टी के नेता अलगाववादी सोच रखते हों।

यह इसी से स्पष्ट होता है कि पिछले 32 सालों के आतंकवाद के दौर के दौरान सरकारी तौर पर आतंकियों ने 1000 के करीब राजनीति से सीधे जुड़े हुए नेताओें को मौत के घाट उतारा है। इनमें ब्लाक स्तर से लेकर मंत्री और विधायक स्तर तक के नेता शामिल रहे हैं। हालांकि वे मुख्यमंत्री या उप-मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंच पाए लेकिन ऐसी बहुतेरी कोशिशें उनके द्वारा जरूर की गई हैं।

राज्य में विधानसभा चुनावों के दौरान हमेशा सबसे ज्यादा राजनीतिकों को निशाना बनाया गया है। इसे आंकड़े भी स्पष्ट करते हैं। वर्ष 1996 के विधानसभा चुनावों में अगर आतंकी 75 से अधिक राजनीतिकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारने में कामयाब रहे थे तो वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव उससे अधिक खूनी साबित हुए थे जब 87 राजनीतिक मारे गए थे।

ऐसा भी नहीं था कि बीच के वर्षों में आतंकी खामोश रहे हों बल्कि जब भी उन्हें मौका मिलता वे लोगों में दहशत फैलाने के इरादों से राजनीतिज्ञों को जरूर निशाना बनाते रहे थे। अगर वर्ष 1989 से लेकर वर्ष 2005 तक के आंकड़ें लें तो 1989 और 1993 में आतंकियों ने किसी भी राजनीतिक की हत्या नहीं की और बाकी के वर्षों में यह आंकड़ा 8 से लेकर 87 तक गया है। इस प्रकार इन सालों में आतंकियों ने कुल 671 राजनीतिकों को मौत के घाट उतार दिया।

अगर वर्ष 2008 का रिकार्ड देंखे तो आतंकियों ने 16 के करीब कोशिशें राजनीतिज्ञों को निशाना बनाने की अंजाम दी थीं। इनमें से वे कइयों में कामयाब भी रहे थे। चौंकाने वाली बात वर्ष 2008 की इन कोशिशों की यह थी कि यह लोकतांत्रिक सरकार के सत्ता में रहते हुए अंजाम दी गईं थी जिस कारण जनता में जो दहशत फैली वह अभी तक कायम है।

Web Title: Jammu Kashmir terrorists target Kashmir's condition about 1000 politicians hunted in 32 years

राजनीति से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे