इनेलो विधायक अभय चौटाला ने विस अध्यक्ष को भेजा इस्तीफा, जानिए क्या है मामला
By बलवंत तक्षक | Published: January 12, 2021 12:29 PM2021-01-12T12:29:50+5:302021-01-12T12:32:17+5:30
कृषि कानूनों को लेकर किसान और सरकार के बीच गतिरोध जारी है, दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन का आज 48वां दिन है.
चंडीगढ़ः इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रधान महासचिव व ऐलनाबाद क्षेत्र के विधायक अभय सिंह चौटाला ने विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को ई-मेल के जरिए अपना इस्तीफा भेज दिया है.
उन्होंने कहा कि चौधरी देवीलाल ने हमेशा किसानों के लिए संघर्ष किया था, आज फिर से वही परिस्थितियां देश-प्रदेश के सामने आ खड़ी हुई हैं. संकट की इस घड़ी में उनका दायित्व बनता है कि वे किसानों के भविष्य और अस्तित्व पर आए खतरे को टालने की हरसंभव कोशिश करें.
कड़ाके की ठंड के कारण साठ से ज्यादा किसान अपनी शहादत दे चुके हैं
चौटाला ने लिखा कि केंद्र की सरकार ने असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक तरीके से तीन काले कृषि कानून किसानों पर थोंप दिए हैं, जिसका देशभर में विरोध हो रहा है. इन कृषि कानूनों के विरोध में 48 दिन से आंदोलन चल रहा है और कड़ाके की ठंड के कारण साठ से ज्यादा किसान अपनी शहादत दे चुके हैं.
केंद्र सरकार किसान संगठनों से आठ दौर की वार्ता कर चुकी है, लेकिन अभी तक इन कानूनों को वापिस नहीं लिया गया है. विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके चौटाला ने कहा कि सरकार ने जिस तरह की परिस्थितियां पैदा कर दी हैं, उन्हें देखते हुए नहीं लगता कि विधानसभा के एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में वे कोई ऐसी भूमिका निभा सकते हैं, जिससे किसानों के हितों की रक्षा की जा सके.
विधायकों से इस्तीफे मांगेंगेः किसान संगठन दिल्ली बॉर्डर पर किसान संगठनों ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि उनके प्रतिनिधि हर उस नेता से तुरंत इस्तीफा देने का आग्रह करने उनके पास जाएंगे, जो इस्तीफा देने की बात करते रहे हैं. इससे यह साफ हो जाएगा कि ऐसे विधायक किसानों के साथ हैं या फिर ढकोसला कर रहे हैं.
किसानों आंदोलन पर पवार ने की वाम नेताओं से चर्चा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को वामपंथी नेताओं सीताराम येचुरी और डी. राजा से मुलाकात की और किसानों के मौजूदा आंदोलन पर चर्चा की. भाकपा के महासचिव राजा ने कहा,''हमने उच्चतम न्यायालय के आदेश पर अनौपचारिक चर्चा की. लेकिन क्या करना है, इस पर फैसला किसानों को लेना है. उन्हें इस पर जवाब देना है.
हम कानूनों को निरस्त करने की उनकी मांग के साथ खड़े हैं.'' पवार के आवास पर यह मुलाकात ऐसे दिन हुई है, जब उच्चतम न्यायालय की पीठ ने सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए यहां तक संकेत दिया कि अगर सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है. राजा ने कहा, ''हमें पता है कि उन्होंने एक बयान जारी किया है. हम टिप्पणी के पहले उनकी समग्र प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे.''