बिहार कांग्रेस में सुलगने लगी है आग, पार्टी के वरिष्ठ नेता ने आलाकमान को पत्र लिखकर की कार्रवाई की मांग
By एस पी सिन्हा | Published: March 2, 2021 07:19 PM2021-03-02T19:19:14+5:302021-03-02T19:20:58+5:30
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया है कि गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर में मजबूत करने के स्थान पर प्रधानमंत्री मोदी की तारिफ कर कमजोर करने का काम किया है।
पटना,2 मार्च। कांग्रेस के असंतुष्ट जी-23 ग्रुप के कुछ सांसदों द्वारा वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के साथ जम्मू में कार्यक्रम आयोजित करने के बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में अब खुलकर फूट सामने आ गई है। कांग्रेस के अंदर पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। कई नेता दबी जुबान में अंसतुष्टों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं, लेकिन कोई खुलकर सामने नही आ रहा है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक भरत सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से अंसतुष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इस सिलसिले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अलग-अलग पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने असंतुष्ट नेताओं पर पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के बीच पार्टी को कमजोर करने और कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल भी कम हुआ है। आजाद के पोस्टरों में भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी नहीं दिखे। दरअसल, पांच राज्यों के विधानसभ अचुनाव के बीच कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं ने अपने बयानों से पार्टी की मुश्किलें बढा दी हैं। बिहार कांगेस के एक वरिष्ठ नेता ने आलाकमान से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर डाली है।
पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने वाले 23 असंतुष्ट नताओं में शामिल पूर्व केन्द्रीय मंत्री आनन्द शर्मा ने बंगाल विधानसभा चुनाव में पीर जादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट(आईएसएफ) को कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन में शामिल करने पर सवाल उठाया है। शर्मा ने ट्वीट कर कहा है कि आईएसएफ और ऐसी अन्य ताकतों के साथ गठबंधन कांग्रेस के मूल विचारधारा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय नेतृत्व का यह फैसला पार्टी की आत्मा गांधीवादी-नेहरूवादी सेक्युलरिज्म के सिद्धांत के विपरीत है।
भरत सिंह ने अपने पत्र में असंतुष्ट नेताओं के जम्मू में आयोजित सम्मेलन का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि उस सम्मेलन में शामिल गुलाम नबी आजाद, आनन्द शर्मा और कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेताओं ने गांधी टोपी की जगह भगवा पगड़ी बांधकर साफ संकेत दे दिया है कि उनका इरादा क्या है। उन्होंने जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं उनकी जगह जम्मू में सम्मेलन किये जाने के औचित्य पर भी सवाल उठाया है।
भरत सिंह ने अपने पत्र में यह भी याद दिलाया है कि राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने किस तरह बेहद भावुक अंदाज में उन्हें विदाई देते हुए कहा था कि वह चाहते हैं कि उनके अनुभवों का लाभ संसद को मिलता रहे। भरत सिंह का मानना है कि भाजपा को कश्मीर में एक मजबूत मुस्लिम चेहरे की जरूरत है। इसलिए वह आजाद पर डोरे डाल रही है।
दरअसल, पार्टी नहीं चाहती है कि इससे आने वाले चुनावों से लोगों का ध्यान भंग हो, जबकि विद्रोही पार्टी से अलग होने की बात नहीं कर रहे हैं। ऐसे में आजाद के दौरे के अंतिम दिन जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की तो उसके बाद से ही ये अनुमान लगाया जाने लगा था कि अब कांग्रेस की घुटबाजी और आंतरिक कलाह सड़कों पर आ सकती है।