ये है राजस्‍थान की राजनीति का इतिहास, 30 सालों से दोबारा नहीं लौटतीं सरकारें

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 22, 2018 05:59 PM2018-06-22T17:59:06+5:302018-06-23T11:44:21+5:30

इस वक्त राजस्‍थान में भारतीय जनता पार्टी की वसुंधरा राजे सरकार है।

History of Rajsthan Politics Vasundhara Raje scindia sachin pilot | ये है राजस्‍थान की राजनीति का इतिहास, 30 सालों से दोबारा नहीं लौटतीं सरकारें

ये है राजस्‍थान की राजनीति का इतिहास, 30 सालों से दोबारा नहीं लौटतीं सरकारें

जयपुर, 22 जून (रिपोर्ट-विभव देव शुक्ला): राजस्‍थान छह महीने बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इसके मद्देनजर वहां की दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। राजनैतिक दलों के लिहाज़ से राजस्थान हमेशा दो विकल्पों से घिरा रहा है, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)। राजस्‍थान में राजनीति की शुरुआत देखें तो दो नेताओं का जिक्र होता है, बीजेपी से भैरो सिंह शेखावत और कांग्रेस से मोहन लाल सुखाड़िया।

हालांकि आज़ादी के लगभग 17 वर्ष तक राजस्थान पर कांग्रेस का शासन रहा और इस दौरान इनका मजबूती से विरोध किया शेखावत ने। यह उस दौर की बात है जब भाजपा जनसंघ के नाम से जानी जाती थी। 1960 के दशक के अंत में राजस्थान की कद्दावर नेता राजमाता गायत्री देवी के साथ मिल कर शेखावत ने स्वतंत्र सीट के बैनर तले कांग्रेस के विरुद्ध सत्ता की लड़ाई लड़ी और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे। लेकिन यह जीत उन्हें सीएम की कुर्सी तक नहीं पहुंचा पाई। नतीजतन सुखाड़िया की अगुवाई में कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आई। लेकिन राजस्थान में कांग्रेस का शासन पूरा होते-होते देश पर आपातकाल लागू हुआ। इसमें जेल जाने वाले जनसंघ के नेताओं की पहली श्रृंखला में एक नाम शेखावत का भी था।

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आपातकाल हटते ही राजस्थान में चुनाव हुए और शेखावत को प्रचंड बहुमत मिला। 1980 के दशक में जनता पार्टी के दो हिस्सों में बँटने का सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ और सुखाड़िया सत्ता में आए। ठीक इस तरह आगामी कई दशकों तक राजस्थान की राजनीति दो दलों के बीच झूलती रही।

आपातकाल के एक वर्ष बाद जब राजस्‍थान में चुनाव हुए तो शेखावत के हिस्से सत्ता आई। इस बार शेखावत सरकार ने कार्यकाल पूरा किया और कहा जाता है कि इस कार्यकाल के दौरान धरोहरों, पर्यटन, रेगिस्तान, जंगलों को विशेष महत्त्व दिया गया। पर 1993 के चुनाव में भाजपा सत्ता से बेदखल हुई और इस तरह शेखावत और सुखाड़िया राजस्थान की राजनीति के दो मज़बूत चेहरे के तौर पर पहचाने जाने लगे।  

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दल वही रहे लेकिन राजस्थान को भाजपा से वसुंधरा राजे और कांग्रेस से अशोक गहलोत के रूप में नए और प्रभावी चेहरे मिले। पिछले कुछ चुनावों की बात की जाए तो नब्बे के दशक के अंत में गहलोत की सरकार बनी और 2003 में वसुंधरा राजे की। 2008 में एक बार फिर कांग्रेस तो 2013 में भाजपा। दोनों ही सरकारों से जनता संतुष्ट नहीं थी जिसका साफ़ सबूत है इन सरकारों का हर पांच वर्ष में बदले जाना। हालांकि संभव यह भी है कि प्रदेश की जनता के पास विकल्प भी सीमित हैं। पिछले चुनावों में वसुंधरा राजे नेतृत्व में भाजपा को 200 में 163 सीटें हासिल हुईं और कांग्रेस को मात्र 21, जनादेश बिलकुल स्पष्ट था लेकिन जैसा राजस्थान का राजनैतिक इतिहास रहा है हर वर्ष सरकार का चेहरा बदल दिया जाता है।

एक तरह से वह चेहरा निश्चित भी होता है क्योंकि परिणाम दलों के बीच ही मिलना होता है और इस हिसाब से इस बार कांग्रेस की संभावनाएं भाजपा से अधिक हैं। और तो और इस बार कांग्रेस के पास सचिन पायलट के तौर पर एक नया और युवा चुनावी चेहरा भी है। इसके अलावा राजस्थान के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, पिछले ही चुनावों में कुल 7 निर्दलीय प्रत्याशी विधानसभा तक पहुंचे थे। भले पिछले चुनावों में इनकी कोई मज़बूत भूमिका नहीं रही हो लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों में यह महत्वपूर्ण साबित होंगे क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि जब आम चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है उन हालातों में दोनों दलों के लिए यह चुनाव जीतना बेहद ज़रूरी हो जाता है। शायद इसलिए दोनों ही दल अपनी पूरी राजनैतिक क्षमता के साथ इस चुनाव में उतरेंगे।

Web Title: History of Rajsthan Politics Vasundhara Raje scindia sachin pilot

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