'विपक्ष एकजुट नहीं तो सरकार को होता रहेगा फायदा', किसान आंदोलन को लेकर बोलीं हरसिमरत कौर, विपक्षी दलों के रवैये पर जताया अफसोस
By वैशाली कुमारी | Published: July 31, 2021 06:36 PM2021-07-31T18:36:05+5:302021-07-31T18:36:05+5:30
शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने शनिवार को कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को विपक्षी दलों से समर्थन की कमी पर अफसोस जताया।
नई दिल्लीः शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने शनिवार को कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को विपक्षी दलों से समर्थन की कमी पर अफसोस जताया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जब तक विपक्ष किसानों के पक्ष में एकजुट होने का फैसला नहीं करता तब तक मोदी सरकार को फायदा होता रहेगा।
हरसिमरत कौर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य शामिल थे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैंने एक साथ मुद्दों को उठाने के लिए कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके के नेताओं से संपर्क किया, लेकिन दुख की बात है कि आज तक किसी ने जहमत नहीं उठाई।' उन्होंने कहा, 'जब तक विपक्ष एकजुट नहीं होगा, तब तक सरकार को फायदा होता रहेगा।'
मुद्दे को सुलझाने के लिए हो समिति का गठन
उन्होंने आगे कहा, 'केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान 500 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त समिति का गठन किया जाना चाहिए।'
8 महीनों से बैठे किसान, केन्द्र नहीं दे रहा ध्यानः जरनैल सिंह
एक दिन पहले दिल्ली विधानसभा ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य जरनैल सिंह द्वारा मानसून सत्र के दूसरे दिन पेश किया गया प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया।
जरनैल सिंह ने कहा कि आप सदस्यों ने केंद्र को उसके “अड़ियल व्यवहार“ और इन कानूनों को वापस लेने के लिए कहा है। जरनैल सिंह ने कहा, “लगभग आठ महीने हो गए हैं कि लाखों किसान दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों के विरोध में बैठे हैं। हालांकि, केंद्र ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया। इससे पता चलता है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश के किसानों के साथ कैसा व्यवहार करती है।
इस प्रस्ताव में केंद्र का विरोध करने वाले किसानों से बात करने और लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को हल करने की भी बात कही गई है।