पहले सरकार आयकर के सदुपयोग की ईमानदारी तो दिखाए!, तीस प्रतिशत हिस्सा केवल सेना के उपयोग में हो
By प्रदीप द्विवेदी | Published: August 14, 2020 03:12 PM2020-08-14T15:12:25+5:302020-08-14T15:12:25+5:30
अपने कार्य-व्यवसाय में से लाभ का हिस्सा जब कोई व्यक्ति सरकार को देता है, तो कोरोना काल जैसी आपदा में जब मंदी के काले बादल गहरा रहे हों, उसे भी सरकार की ओर से सहयोग मिलना चाहिए. यदि सरकार सहयोग करने की हालत में नहीं हो तो कम-से-कम आयकरदाता को ब्याजमुक्त ऋण तो देना ही चाहिए.
जयपुरः आयकर किसी भारतीय की ओर से देशहित में दिया गया योगदान है, किसी सरकार का हक नहीं है. इसलिए, ईमानदारी से आयकर देने की अपील अच्छी तो है, लेकिन इसके दो पक्ष हैं जिन पर सरकार को भी ध्यान देना होगा.
अपने कार्य-व्यवसाय में से लाभ का हिस्सा जब कोई व्यक्ति सरकार को देता है, तो कोरोना काल जैसी आपदा में जब मंदी के काले बादल गहरा रहे हों, उसे भी सरकार की ओर से सहयोग मिलना चाहिए. यदि सरकार सहयोग करने की हालत में नहीं हो तो कम-से-कम आयकरदाता को ब्याजमुक्त ऋण तो देना ही चाहिए.
आयकर की राशि का सरकार को मनमाना उपयोग करने का अधिकार नहीं होना चाहिए. यदि इस राशि का उपयोग देशहित में प्रतिशत के आधार पर विभिन्न आवश्यक क्षेत्रों में किया जाए, तो कई नए आयकरदाता आगे आ सकते हैं. उदाहरण के लिए.... आयकर की कुल राशि का तीस प्रतिशत हिस्सा केवल सेना के उपयोग के लिए होना चाहिए.
इसी तरह आयकर का तीस प्रतिशत हिस्सा कृषकों के लिए होना चाहिए जिस राशि से उन्हें खाद-बीज, सोलर सिस्टम, कृषि उपकरण आदि मुफ्त दिए जा सकें.आयकर की तीस प्रतिशत राशि सरकारी संस्थानों की सुरक्षा और विकास के लिए होनी चाहिए. इन पैसों का उपयोग सरकारी अस्पताल, सरकारी स्कूल-काॅलेज सहित विभिन्न सरकारी संस्थानों के विकास और सुरक्षा के लिए होना चाहिए.
शेष दस प्रतिशत राशि सरकार की विभिन्न योजनाओं के लिए होनी चाहिए. यदि आयकर की राशि का देशहित में प्रत्यक्ष सद्उपयोग होता है, तो कई नए स्वैच्छिक आयकरदाता सामने आ सकते हैं!