चीन के समर्थन से आर्टिकल 370 फिर लागू करने वाले बयान पर बीजेपी का पलटवार, कहा- फारूक अब्दुल्ला ने किया देशद्रोही कमेंट
By रामदीप मिश्रा | Published: October 12, 2020 04:37 PM2020-10-12T16:37:59+5:302020-10-12T16:37:59+5:30
फारुख अब्दुल्ला ने कहा था, 'वो LAC पर जो कुछ भी कर रहे हैं, वो इसलिए क्योंकि आर्टिकल 370 को हटा दिया गया। इस बात को वो कभी स्वीकार नहीं करेंगे।'
नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला के उस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है जिसमें उन्होंने चीन के समर्थन से जम्मू-कश्मीर में फिर से अनुच्छेद 370 को लागू करने की बात कही है। इस पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पलटवार किया है और कहा है कि यह न केवल चिंतनीय है बल्कि दुखद है।
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, 'वर्तमान सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला एक इंटरव्यू में कहते हैं कि अनुच्छेद 370 जिसे संवैधानिक तरीके से भारत के संसदीय पटल पर हटाया गया था, चीन की सहायता से दोबारा अनुच्छेद 370 को वापस लाया जाएगा। यह न केवल चिंतनीय है बल्कि दुखद है।'
उन्होंने कहा, 'फारूक अब्दुल्ला जी का मानना है कि आज अगर चीन आक्रामक हुआ है तो इसका एक ही कारण है कि अनुच्छेद 370 को हिन्दुस्तान ने हटाया। फारूक अब्दुल्ला एक देशद्रोही कमेंट करते हुए कहते हैं कि भविष्य में अगर हमें मौका मिलेगा तो हम चीन के साथ मिलकर अनुच्छेद 370 वापस लाएंगे।'
फ़ारूक अब्दुल्ला जी का मानना है कि आज अगर चीन आक्रामक हुआ है तो इसका एक ही कारण है कि अनुच्छेद 370 को हिन्दुस्तान ने हटाया। फ़ारूक अब्दुल्ला एक देशद्रोही कमेंट करते हुए कहते हैं कि भविष्य में अगर हमें मौका मिलेगा तो हम चीन के साथ मिलकर अनुच्छेद 370 वापस लाएंगे : संबित पात्राhttps://t.co/SMaZaoLIQe
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 12, 2020
दरअसल, इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान फारुख अब्दुल्ला ने कहा था, 'वो LAC पर जो कुछ भी कर रहे हैं, वो इसलिए क्योंकि आर्टिकल 370 को हटा दिया गया। इस बात को वो कभी स्वीकार नहीं करेंगे। मुझे उम्मीद है कि उनकी मदद से आर्टिकल 370 को जम्मू कश्मीर में दोबारा लागू किया जाएगा।'
उन्होंने आगे कहा था, 'मैंने कभी चीन के राष्ट्रपति को नहीं बुलाया। वो पीएम मोदी थे जिन्होंने ना केवल उन्हें इनवाइट किया बल्कि उनके साथ झूले की सवारी भी की। वे (पीएम मोदी) उन्हें (चीनी राष्ट्रपति) चेन्नई ले गए और उनके साथ खाना खाया। सरकार ने जो पांच अगस्त 2019 को किया वो स्वीकार नहीं किया जा सकता है।'