Exclusive: दिल्ली में कोरोना काबू में कैसे आया और मौजूदा संकट में राम मंदिर पर क्या सोचते हैं अरविंद केजरीवाल, पढ़िए पूरा इंटरव्यू
By विकास झाड़े | Published: July 30, 2020 06:06 AM2020-07-30T06:06:35+5:302020-07-30T06:06:35+5:30
अरविंद केजरीवाल ने लोकमत को दिए इंटरव्यू में कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। दिल्ली में कोरोना के काबू में आने पर उन्होंने कहा कि वे फिलहाल कोई क्रेडिट लेने की लडाई में नहीं पड़ना चाहते हैं। साथ ही राजस्थान का जिक्र होने पर उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों पर हमला बोला।
दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण एक समय बेहद खतरनाक होता नजर आ रहा था। हालांकि, अब इस पर बहुत हद तक काबू पा लिया गया है। दिल्ली में कोरोना कैसे काबू में आया, इस बारे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोकमत से बात की। उन्होंने इस दौरान राजस्थान सहित मध्य प्रदेश की राजनीति में जो कुछ हो रहा है या हुआ, उस पर भी अपनी बात रखी। साथ ही कोरोना संकट के बीच अयोध्य में शुरू होने जा रहे हैं राम मंदिर को लेकर भी अपने विचार रखें। पढ़िए, उनका पूरा इंटरव्यू।
प्रश्न-1. प्लाज्मा थेरेपी का दिल्ली ने नया आदर्श देश को दिया, इस को आप कैसे देखते है?
उत्तर - मुझे कई जगह से पता चला कि प्लाज्मा ट्रायल से दुनिया भर में फायदा हो रहा है। तब मैंने दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल को केंद्र सरकार से प्लाज्मा थेरेपी की परमिशन के लिए अप्लाई करने को बोला। दिल्ली में सरकार का एलएनजेपी अस्पताल देश का पहला अस्पताल बना, जिसे प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल करने की परमिशन मिली। हमारे डॉक्टर्स ने खूब मेहनत की और इसके शुरूआती नतीजे काफी सकारात्मक निकले।
धीरे-धीरे दिल्ली के अन्य अस्पतालों में भी हमने प्लाज्मा थेरेपी शुरू करवा दी। जब बहुत लोगों को इसका लाभ मिलने लगा, तो अचानक प्लाज्मा की डिमांड बढ़ने लग गई और हमारे पास रोज फोन आने लगे कि हमारे रिश्तेदार के लिए प्लाज्मा की व्यवस्था करनी है, डोनर चाहिए। तब हमने तय किया कि कोई भी व्यक्ति प्लाज्मा के लिए भटकता रहा, तो उतने समय में मरीज की हालत और खराब हो सकती है।
इसलिए हमने दिल्ली सरकार के आईएलबीएस अस्पताल में देश का पहला प्लाज्मा बैंक शुरू किया। आज मुझे बहुत खुशी है कि कोरोना से ठीक हुए मरीज रोजाना वहां जाकर प्रतिदिन दान करते हैं। किसी की जान बचाने के बहुत कम मौके मिलते हैं। सभी को आगे बढ़ कर प्रतिदिन दान करना चाहिए।
2. दिल्ली का रिकवरी औसत रेट 88 प्रतिशत सें ज्यादा है, क्या आप मानते हैं कि दिल्ली सरकार को कोरोना वायरस से लड़ने में सफलता मिली या फिर लड़ाई बाकी है?
उत्तर- दिल्ली में जून के महीने में स्थिति काफी खराब थी। जून में जब लॉकडाउन खुला तब कोरोना के केस तेजी से बढ़ने लगे। लेकिन हमने हार नहीं मानी। मैंने सभी एक्सपर्ट्स से मिलकर पूरी प्लानिंग की। और उस प्लान को सफल बनाने के लिए हमने सबकी मदद मांगी। अब बहुत मेहनत और कठिनाइयों का सामना करने के बाद स्थिति एक बार फिर काबू में आ रही है।
आज दिल्ली में 88 प्रतिशत से ज्यादा मरीज पूरी तरह ठीक हो चुके हैं और एक्टिव केस 9 प्रतिशत से भी कम हैं। दिल्ली एक्टिव मामलों की लिस्ट में कुछ दिन पहले तक दूसरे स्थान पर था, अब 10वें पर है। हमने इस लड़ाई में 3 सिद्धांत अपनाए। पहला था टीम वर्क- हमने यह महसूस किया कि कोरोना इतनी बड़ी महामारी है कि इसके खिलाफ लड़ाई अकेले नहीं लड़ी जा सकती है।
हमने केंद्र सरकार, सामाजिक संस्थान, धार्मिक संस्थान, दिल्ली के प्राइवेट हॉस्पिटल, होटल इत्यादि सभी का सहयोग लिया। दूसरा सिद्धांत था कि जब भी किसी ने हमारी आलोचना की, हमने उस आलोचना को अपनी ताकत बनाया और वो सारी चीजें ठीक करते गए।
अक्सर सरकार में बैठे लोगों को लगता है कि आलोचक विपक्षी पार्टी के हैं। हम भी बाकियों की तरह उनको गाली निकाल सकते थे, लेकिन हमने वैसा नहीं किया। हम एक-एक कमियों को लिखते गए और उनको ठीक करते गए। तीसरा सिद्धांत हमारा था कि हम हार नहीं मानेंगे। रात-दिन 24 घंटे मेहनत करेंगे, तो भगवान भी साथ देगा ही।
लेकिन अभी लड़ाई जीत गए, कहना बहुत जल्दबाजी होगी। इसीलिए हमने तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी है और सभी को सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क और साबुन से हाथ धोना, इन चीजों को करते रहना है। मगर हां, ये बात तो जरूर कही जा सकती है कि दिल्ली ने बहुत बड़ा फासला पूरा किया है।
3. सिरो सर्वे का डाटा आया है, आप को क्या लगता है, दिल्ली में उच्चतम स्तर पार हो चुका हैं या कम्युनिटी स्प्रेड का डर है?
उत्तर - इस सर्वे को हमें हर्ड इम्यूनिटी के नजरिए से देखना चाहिए। दिल्ली में हुआ सीरो सर्वे दिखाता है कि लगभग 24 प्रतिशत दिल्ली वासियों के पास कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज हैं। इसका मतलब है कि यह सभी लोग कोरोना से संक्रमित हो कर ठीक हो चुके हैं। यह सर्वे 27 जून और 10 जुलाई के बीच किया गया था।
इसलिए इस सर्वे में 15 दिन पुराना डेटा है, जो लगभग 15 जून के आसपास की तस्वीर है। अगर जून में यह फिगर लगभग 24 प्रतिशत थी, तो आज यह 30-35 प्रतिशत को पार कर गया होगा। दिल्ली में हर्ड इम्यूनिटी आई है या नहीं, कम्युनिटी स्प्रेड हुआ की नहीं, यह केवल विशेषज्ञ ही बता सकते हैं। लेकिन हम हर्ड इम्यूनिटी की ओर जरूर बढ़ रहे हैं।
4. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन कोरोना से बच गए. आप हमेशा लोगों को कहते हैं कि सरकारी अस्पताल में उपचार कराओ, फिर उनको सरकारी अस्पताल से पांच सितारा अस्पताल में दाखिल किया गया, सरकारी सिस्टम में अभी भी सुधर नहीं पाया, या वहां सभी सुविधाएं नहीं है...आप क्या कहेंगे?
उत्तर - सत्येंद्र जी का इलाज हमारे एक बेहतरीन सरकारी अस्पताल, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में चल रहा था। लेकिन जब उनकी तबियत बिगड़ती गई, तो डॉक्टर्स ने कहा कि उनको प्लाज्मा थेरेपी की सख्त जरूरत है। उस समय उस अस्पताल को केंद्र से प्लाज्मा थेरेपी करने की परमिशन नहीं मिली थी। तब उनके परिवार का यह निजी निर्णय था कि उनको प्राइवेट हस्पताल में शिफ्ट करवाया जाए, जहां पर उनको तुरंत प्लाज्मा थेरेपी की ट्रीटमेंट मिल सके।
5. कोरोना से बचने के लिए कौन से सूत्र अपनाने पड़ेंगे, महाराष्ट्र में कोरोना काबू में नहीं आ रहा है, क्या उनको नीति बदलनी चाहिए, आपने उनको कुछ सुझाव दिए हैं....
उत्तर - वैसे तो सभी सरकारें अपनी परिस्थिति के अनुसार अच्छा काम कर रही हैं। हमने भी धारावी मॉडल से कुछ चीजे सीखी हैं। लेकिन दिल्ली मॉडल से चार चीजे सीखी जा सकती हैं, पहला- मुझे लगता है कि होम आइसोलेशन का सबसे ज्यादा फायदा मिला। केंद्र सरकार ने शुरू में एक आदेश पारित कर दिल्ली में होम आइसोलेशन बंद कर दिया था। लेकिन जनता ने आवाज उठाई और केंद्र सरकार को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।
मैं समझता हूं कि अगर वह ऑर्डर वापस नहीं लिया जाता, तो दिल्ली की स्थिति काबू में नहीं आ पाती। आज अन्य राज्यों में लोगों को डर लगा रहता है कि अगर हमने टेस्ट कराया और कोरोना निकला, तो सरकार उठा कर कोरोना सेंटर ले जाएगी। इसीलिए कई लोग जिनको कोरोना के लक्षण आते भी हैं, वो सोचते हैं कि बिना टेस्ट किए घर में ही किसी तरह मैनेज कर लेते हैं। लेकिन फिर बहुत देर हो जाती है, इलाज नहीं मिलता और मौत का दर बढ़ जाता है।
वहीं, दिल्ली में जो लोग होम आइसोलेशन में होते हैं, उनको एक डॉक्टर की टीम देखने जाती है, रोज दो बार फोन पर मरीज का हाल जाना जाता है और सबसे महत्वपूर्ण है, जो हमने सबको सुरक्षा कवच यानी ऑक्सीमीटर दिया है। क्योंकि कोरोना में सबसे क्रिटिकल चीज होती है ऑक्सिजन। तो होम आइसोलेशन में जितने लोग हैं, वो सभी लोग अपने-अपने घर पर रह कर ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहते हैं, ताकि अगर कुछ गड़बड़ लगे, तो तुरंत डॉक्टर को फोन करके बता सकें और एंबुलेंस आकर उसे ले जाए।
दूसरा, हमने अधिक से अधिक टेस्टिंग करवाई। दिल्ली में देश की सबसे ज्यादा 50,000 टेस्ट प्रति मिलियन हो रही है। दिल्ली में रोज 20,000 से ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं। टेस्टिंग होगी, तभी तो संक्रमित लोगों का पता चल पाएगा और हम इन लोगों को आइसोलेट कर पाएंगे। तीसरा, हमने बड़े पैमाने पर प्राइवेट और सरकारी अस्पताल में बेड्स की व्यवस्था बढ़ाई।
जब शुरूआती दौर में लोगों को बेड्स की समस्या आ रही थी, तो हमें पता चला कि बेड्स होने के बावजूद लोगों को इसकी जानकारी नहीं मिल रही है और वह एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहे थे। तो हमने पूरा सिस्टम पारदर्शी कर दिया, सारे बेड का डेटा रियल टाइम में दिल्ली कोरोना एप पर उपलब्ध करवाया। उससे लोगों तक सही जानकारी भी पहुंची और हमने किसी अस्पताल को कालाबाजारी करने का मौका भी नहीं छोड़ा। लोगों का इससे सिस्टम पर भरोसा बहुत बढ़ गया। और चौथा था प्लाज्मा थेरेपी।
6. दिल्ली के लेबर अपने-अपने राज्य में गए हैं, दिल्ली में कोरोना की स्थिति सुधरने के आसार हैं, ऐसे स्थिति में दिल्ली में फिर से निर्माण कार्य हेतु उनकी जरुरत होगी, क्या उन्हें फिर से वापस लाने के लिए आप कोई योजना बना रहे हैं....
उत्तर - तीन महीने पहले, जब दिल्ली में कोरोना बढ़ रहा था, तब दिल्ली से बहुत सारे प्रवासी मजदूर भाई दिल्ली छोड़ कर घर चले गए थे। कोरोना को नियंत्रित करने के बाद अब वे सारे लोग वापस भी आने लगे हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जब वह वापस आएं, तो उन्हें नौकरी ढूंढने में कोई परेशानी न हो।
इसके लिए दिल्ली के सभी लोगों को मिल कर अर्थ व्यवस्था की ओर ध्यान देना पड़ेगा। जून में जब लॉकडाउन खुला, तो दिल्ली में केस बढ़े। इस दौरान हमने अपनी स्थिति को सुधारा। हमने दोबारा लॉकडाउन नहीं किया। मुझे इस बात की खुशी है कि हम दोबारा बिना लॉकडाउन किए बिना कोरोना को नियंत्रित किए। लॉकडाउन के दौरान जो इंडस्ट्री बंद हो गई थी, वह आज दोबारा खुलने लगी है।
निर्माण कार्य भी दोबारा शुरू होने लगा है, लेकिन काम करने वाले लोग नहीं मिल रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, जिन लोगों की नौकरियां गई हैं, उन लोगों को काम नहीं मिल रहा है। इन दोनों के बीच में तालमेल बैठाने के लिए दिल्ली सरकार ने ‘रोजगार बाजार’ मुहिम की शुरूआत की है, जिसके जरिए बेहद आसानी से लोग अपनी पसंद की नौकरी और व्यापारी अपनी पसंद के कर्मचारी पा सकते हैं।
इसके लिए दिल्ली सरकार ने एक वेबसाइट तैयार की है। मुझे खुशी है कि एक ही दिन में इस वेबसाइट पर 1 लाख नौकरियों का और 1 लाख 90 हजार जॉब-सीकर्स का रजिस्ट्रेशन हुआ है।
7. कोरोना काल में देश की अर्थ व्यवस्था ठप हो गई है. दिल्ली भी उससे अलग नहीं, क्या राजस्व बढ़ाने और दिल्ली का कारोबार चलाने के लिए सरकारी तिजोरी भरने के क्या प्लान है?
उत्तर - सच बात तो यह हैं कि जब तक महामारी काबू में नहीं आएगी, तब तक लोगों में डर कम नहीं होगा और जब तक लोगों के अंदर डर रहेगा, तब तक हमारी इकोनॉमी सुधर नहीं सकती। आज अगर दिल्ली में इकोनॉमी रिकवरी होने के आसार दिखाई दे रहे हैं तो वो इसीलिए है कि दिल्ली में अब लोगों में कॉन्फिडेंस बढ़ गया है। लोगों को लगता है कि अगर हम सारे नियमों का पालन करें तो हम संक्रमण से बच जाएंगे और अगर किसी को कोरोना हो भी जाए, तो उसे भरोसा है कि उसे बेहतरीन इलाज मिलेगा।
यह कॉन्फिडेंस जब तक लोगों में नहीं पैदा होगा, तब तक हम इकोनॉमी रिकवरी नहीं देख पाएंगे। इसीलिए केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी का फोकस यहीं होना चाहिए कि महामारी को काबू करने में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए।
लॉकडाउन का, जो फायदा लेना था, अब वो सभी सरकारें ले चुकी हैं। अब लॉकडाउन करने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि चंद दिनों के लिए लोगों को घर पर रख कर कोई कोरोना की चेन नहीं टूटेगी और इकोनॉमिक रिकवरी उतनी ही मुश्किल होती जाएगी। हम लगातार दिल्ली के व्यापारियों और इंडस्ट्रियल एसोसिएशंस से बातचीत कर रहें है और वह सारे कदम उठाएंगे, जिससे इकोनॉमिक रिकवरी में मदद मिले।
8. दिल्ली में कोरोना की स्थिति अभी बेहतर दिख रही है, लेकिन भाजपा के नेता इसका श्रेय अमित शाह जी को देते हैं, क्या उनके ध्यान देने के बाद ही स्थिति में सुधार आया है, या राजनीति हो रही है....
उत्तर - मुझे लगता है कि यह क्रेडिट लेने का समय नहीं है। मैने कई बार कहा है - सारा क्रेडिट उनका, सारी जिम्मेदारी मेरी। दिल्ली का मुख्यमंत्री होने के नाते सारी जिम्मेदारी मेरी है। समस्याओं को दूर करने के लिए हम सब के पास गए, केंद्र सरकार के पास भी गए।
उन्होंने हमें ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटीलेटर, टेस्टिंग आदि दिए। जैसा कि मैंने पहले भी कहा, यह महामारी कोई भी एक सरकार अपने आप काबू में नहीं कर सकती। इसमें सभी को एकजुट हो कर लड़ना ही पड़ेगा और कोई चारा नहीं है। हमने दिल्ली में सबसे सहयोग मांगा, केंद्र सरकार, प्राइवेट अस्पतालों, होटलों, सामाजिक संस्थाएं, सबने हमें सहयोग दिया। हम सबका शुक्रिया करना चाहते हैं। मुझे किसी क्रेडिट के लड़ाई में नहीं पड़ना है।
9. एक तरफ पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है, दूसरी तरफ राजस्थान की सरकार गिराने की कोशीश हो रही है, आप क्या कहोगे....
उत्तर- आज जो परिस्थिति है, ऐसे समय में जब चीन बॉर्डर पर दस्तक दे रहा है, कोरोना पूरे देश में है। कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी सत्ताधारी पार्टी का इस तरह से किसी भी चुनी हुई सरकार में दखल देना सही नहीं है। वैसे कभी भी इस तरह का दखल सही नहीं है, लेकिन ऐसे समय तो सबको साथ ले कर चलना चाहिए था। उनसे लड़ाई या सरकार गिराने की कोशिश करने के बजाए साथ मिल कर चलना था।
सुनने में आया है कि 22 मार्च को लॉकडाउन इसलिए लागू किया क्योंकि उससे पहले एमपी की सरकार गिरानी व बनानी थी। इस तरह से चुनी हुई सरकारें गिरा गिरा कर विधायक खरीद-खरीद कर अपनी सरकार बनाना सही राजनीति नहीं है। लोग इसे पसंद नहीं करते। लोगों ने एक आदमी को या एक पार्टी को वोट दिया, जो बहुत बड़ी बात होती है। जनता का विश्वास होता है। जनता ने विश्वास में वोट दिया है। कोई पार्टी या व्यक्ति उस विश्वास को बेचता या खरीदता है, तो यह पूरे देश के साथ गद्दारी होती है।
कांग्रेस का क्या हाल है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गोवा के लोगों ने कोंग्रेस को वोट दिया और कोंग्रेस ने उसे आगे बेच दिया। कर्नाटक में लोगों ने कांग्रेस की सरकार बनाई तो कांग्रेस ने भाजपा की सरकार बनवा दी।
एमपी में लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया, तो कांग्रेस ने वहां बेच दिया। कांग्रेस को वोट देने का मतलब है कि कांग्रेस अपने वोट बेच कर भाजपा की सरकार बनवा देगी। दोषी तो दोनों ही पार्टियां है। दोनों मंडी में बैठी है। एक खरीदने को तैयार है, तो दूसरा बिकने को तैयार है।
10. जिस राज्य में भाजपा की सरकार नही है, वहा के राज्यपाल या उपराज्यपाल केंद्र सरकार के दबाव में आकर काम करते है, और राज्य सरकार को काम नहीं करने देती, ऐसे आरोप होते रहे हैं?
उत्तर -राज्यपाल या उपराज्यपाल पद की एक संवैधानिक गरिमा है और उन्हें हमेशा इसी के दायरे में रह कर, निष्पक्ष तरीके से काम करना चाहिए। दिल्ली में हमारे पिछले टर्म की शुरूआत में बहुत विवाद हुए थे। हमारे हर निर्णय को तत्कालीन एलजी पलट देते थे। हमने जनता के साथ मिल कर इसका विरोध किया था, कोर्ट भी गए।
सुप्रीम कोर्ट के कॉन्स्टिटूशन बेंच ने 2018 में हमारे पक्ष में आॅर्डर दिया था। उसके बाद दिल्ली की चुनी हुई सरकार और एलजी साहब के बीच एक-दो मुद्दे छोड़ कर अन्य सारे अधिकारों को डिफाइन किया गया और जाहिर सी बात है आपस में तालमेल भी बढ़ गया।
अभी सारी चीजें हम मिल कर करते हैं, उनका सहयोग भी मिलता आया है और उम्मीद है कि आगे भी मिलेगा। कभी उनके मन में कोई गलतफहमी होती है, जैसे होम आइसोलेशन पर हुई, तो हमने उनको समझाया और वो हमारी बात मान गए।
11. भारत - चीन सीमा पर माहौल खराब है, जब यह सीमा का सवाल है तो आप इसको किस नजरे से देखते हैं?
उत्तर - अभी तो पूरे देश को यही लग रहा है कि चीन ने हमारी जमीन पर जो कब्जा किया है, किसी भी हालत में हमारी जमीन वापस आनी चाहिए। देश की जमीन पर कब्जा देश का अपमान है, 20 शहीदों की शहादत का अपमान है। पूरा देश पीएम, केंद्र और आर्मी के साथ खड़ा है। सभी पार्टियों ने एक सुर में कहा है कि हम केंद्र के साथ है। उस दिशा में अब सबको काम करना चाहिए। देश ये बर्दाश्त नहीं कर सकता कि हमारे देश में घुसकर कोई बैठ जाए।
12. क्या भारत और चीन के संबध मे सुधार हो सकता है, कैसे?
उत्तर- सुधार तभी हो सकता है, जब दोस्ती बराबरी की हो। हमने यह कई बार देखा है - चाहे वह सन 1962 हो या 2020 की भारत ने जब दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो चीन ने हमारी पीठ पर छूरा मार दिया। इसका एक बड़ा कारण है चीन पर हमारी निर्भरता। मुझे लगता है कि इस हालात को हमें एक अवसर के रूप में देखना चाहिए।
चीन से इतना ज्यादा इंपोर्ट होने लगा था कि छोटी से छोटी चीज भी चीन से आ रही थी। दिवाली पर भी लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां भी चीन से आ रहीं थी।
केंद्र को चीन से होती इंपोर्ट होती सारी आइटम की लिस्ट बनानी चाहिए और एक-एक आइटम वाइज, सेक्टर वाइज बिजनेसमैन को बुलाए कि वे भारत में इनका यूनिट सेटअप करें। युद्धस्तर पर प्रोडक्शन करें। उद्योगपतियों की हर संभव मदद करें। साथ ही इन चीजों का इंपोर्ट बंद किया जाए। इससे जीडीपी बढ़ेगी, रोजगार पैदा होगा। अर्थव्यवस्था सुधरेगी।
13. भारत - पाकिस्तान के संबंध में आपकी क्या राय है?
उत्तर - भारत अपने किसी भी पड़ोसी के साथ कभी भी अक्रामक नहीं रहा है, लेकिन इसे कभी भी हमारी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। पाकिस्तान का हमने हमेशा दोस्तों (हाथ आगे बढ़ाया है) की तरह स्वागत किया है, लेकिन उसने हमेशा हमारे भरोसे के साथ विश्वासघात किया है।
हमारी नीति स्पष्ट होनी चाहिए कि किसी भी परिस्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा... पूरा देश हमेशा अपनी सेना के साथ खड़ा है। पाकिस्तान हमारी सीमा में आतंकवादियों को भेजने या हमारी जमीन में घुसने की कोशिश करता है और हम हर बार उसका मुंहतोड़ जबाव देंगे।
14. बात मंदिर की हो रही है...देश को लड़ना कोरोना सें है.....
उत्तर - इस बड़ी महामारी से भारत में हालात बहुत खराब हो सकते हैं और मेरा मानना है कि हमारे पास प्रभु राम का आशीर्वाद है, जिसके कारण हम इससे सकारात्मक रूप से लड़ रहे हैं।
अभी तक, हमें जिस चीज की सबसे अधिक आवश्यकता है, वह यह सुनिश्चित करने की है कि हमारे डॉक्टरों के पास लोगों की जिंदगी बचाने के लिए सभी आवश्यक बुनियादी ढांचा हो... भगवान राम की पूजा करने से बेहतर तरीका क्या हो सकता है कि एक गरीब की जान बचा ली जाए, जो अभी डरा हुआ है और उसे हमारी मदद की जरूरत है। अगर हम गरीबों के लिए काम करते रहेंगे, चाहे वह शिक्षा के लिए हो या स्वास्थ्य के लिए हो, भगवान राम का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेगा।