दिल्ली में नगर निगम के महापौर और उप मेयर का चुनाव 24 जून को, पहली बार सभी इलेक्शन एक साथ, जानिए कार्यक्रम
By भाषा | Published: June 12, 2020 09:17 PM2020-06-12T21:17:39+5:302020-06-12T21:17:39+5:30
दिल्ली नगर निगम पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। इस बीच तीनों निगम में एस साथ चुनाव होगा। 24 जून को मेयर और उप मेयर के लिए मतदान कराए जाएंगे। 2017 में नगर निगम का चुनाव हुआ था।
नई दिल्लीःदिल्ली में तीन निकायों के महापौर और उप महापौर के चुनाव के लिए 24 जून को मतदान होगा। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
ऐसा संभवतः पहली बार हो रहा है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौरों का चुनाव एक ही दिन होगा। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को 2012 में उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली में विभाजित किया गया था।
एक वरिष्ठ निकाय अधिकारी ने कहा, “तीनों नगर निगम के महापौर के चुनाव के लिए 24 जून को मतदान होगा। दक्षिणी दिल्ली के महापौर के लिए मतदान सुबह होगा, उत्तरी दिल्ली के महापौर के लिए मतदान दोपहर में होगा और उसके बाद पूर्वी दिल्ली के महापौर के लिए मतदान होगा। इस दौरान सभी सुरक्षा नियमों का पालन कराया जाएगा।” वर्तमान में दिल्ली के तीनों नगर निगम पर भाजपा का कब्जा है। इस वर्ष कोरोना वायरस महामारी के कारण चुनाव देर से हो रहे हैं।
The Chairmen of the Wards Committees have fixed the meetings of the Wards Committees for the election of their respective Chairman and Deputy Chairman on 26th June: North Delhi Municipal Corporation pic.twitter.com/sCVvqokp0f
— ANI (@ANI) June 12, 2020
श्रीनगर के महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया
श्रीनगर के महापौर जुनैद अजीम मट्टू ने कहा कि भाजपा के इशारे पर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। हालांकि उन्होंने कहा कि नगर निगम में बहुमत उनके साथ है और वह इस चुनौती का लोकतांत्रिक और कानूनी तरीके से सामना करेंगे।
भाजपा के कश्मीर मीडिया प्रभारी मंजूर भट से जब इस बारे में संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि पार्टी से संबद्ध 27 निगम पार्षद यह प्रस्ताव लाए हैं और 15 अन्य सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया है। श्रीनगर नगर निगम (एसएमसी) में 74 वार्ड हैं।
मट्टू ने कहा, ''मुझे पता चला है कि भाजपा एसएमसी में मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई है। प्रस्ताव लाने वाले या तो भाजपा के चुने हुए सदस्य या पदाधिकारी हैं या फिर स्पष्ट रूप से भाजपा से जुड़े हैं। छह महीने में भाजपा की ओर से पेश यह ऐसा दूसरा प्रस्ताव है। ''