राजनीति में घुसते अपराध पर चुनाव आयोग सख्त, उम्मीदवारों के ''पाप'' का कच्चा चिट्ठा ऐसे लाएगा सामने, EC ने बना दिया ये कठोर नियम
By गुणातीत ओझा | Updated: March 20, 2020 13:51 IST2020-03-20T13:26:04+5:302020-03-20T13:51:00+5:30
राजनीतिक दलों को कारण स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने अपराधी छवि वाले व्यक्ति को उम्मीदवार क्यों बनाया। साथ ही ऐसे उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास और उनपर लगी धाराओं को को भी सार्वजनिक करना होगा। ऐसा नहीं करने पर चुनाव आयोग राजनीतिक दल की मान्यता भी रद्द कर सकता है।

अपराधी छवि वाले उम्मीदवारों पर सख्त हुआ चुनाव आयोग, बनाया स्व-घोषणा पत्र का नियम
नई दील्लीः चुनाव आयोग पार्टियों के लिए नए स्व-घोषणा पत्र का प्रारूप तैयर कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए आयोग ने राजनीतिक दलों के अपराधी छवि वाले उम्मीदवारों के लिए नए मानकों की घोषणा की है। अब राजनीतिक दलों को कारण स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने अपराधी छवि वाले व्यक्ति को उम्मीदवार क्यों बनाया। साथ ही ऐसे उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास और उनपर लगी धाराओं को को भी सार्वजनिक करना होगा। ऐसा नहीं करने पर चुनाव आयोग राजनीतिक दल की मान्यता भी रद्द कर सकता है।
इसके अलावा अपराधी छवि वाले उम्मीदवारों द्वारा पूर्व में किए गए अपराधों का इतिहास समाचार पत्रों, सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और पार्टी की वेबसाइटों पर भी सार्वजनिक करना होगा। इसके लिए घोषणा पत्र में अतिरिक्त कॉलम 2 और 3 जोड़े गए हैं।
कॉलम 2 में पार्टियों को 100 शब्दों में बताना होगा कि उन्होंने अपराधी छवि वाले उम्मीदवार का चयन क्यों किया, इसके पीछे कारण क्या था। साथ ही चयनित उम्मीदवार की योग्यता, उपलब्धियों के बारे बताना होगा, सिर्फ इतना ही कह देना काफी नहीं होगा कि उम्मीदवार विनिंग कैंडिडेट है। वहीं कॉलम 3 में पार्टियों को 100 शब्दों में बताना होगा कि अपराधी छवि वाले उम्मीदवार की जगह दूसरे उम्मीदवार को मौका क्यों नहीं दिया गया।
पार्टियों को उस निर्वाचन क्षेत्र का भी उल्लेख करना होगा। अपराधी छवि वाले प्रत्याशियों को मैदान में कहां से उतारा जा रहा है, उम्मीदवार द्वारा किए गए अपराधों, अदालत संख्या, उनके आरोपों को दोषी ठहराया गया है या नहीं, कोई सजा हुई है या नहीं, विवरण अगर कोई सजा हुई है.. ये सब भी सार्वजनिक करना होगा।
राजनीतिक दलों को उम्मीदवार के चयन के 72 घंटे के भीतर आयोग को संलग्न प्रारूप सी -8 में एक अनुपालन रिपोर्ट भेजनी है। राजनीति के बढ़ते अपराधीकरण की पृष्ठभूमि के चलते चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में यह कदम उठाना पड़ा है।