लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने पर EC से राय लेगी केंद्र सरकार

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: April 15, 2018 12:15 AM2018-04-15T00:15:05+5:302018-04-15T00:18:08+5:30

विधि आयोग 2019 और 2024 में दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है। विधि आयोग इस महीने के अंत में कानून मंत्रालय को इस मामले पर अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है।

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लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने पर EC से राय लेगी केंद्र सरकार

नई दिल्ली, 15 अप्रैल: लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराए जाने को लेकर केंद्र सरकार चुनाव आयोग से राय लेगी। इस मामले में लॉ कमीशन से मिली रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद सरकार चुनाव आयोग की मर्जी को जानेगी। 

गौरतलब है कि विधि आयोग 2019 और 2024 में दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है। विधि आयोग इस महीने के अंत में कानून मंत्रालय को इस मामले पर अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है। सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग की उस रिपोर्ट पर भी चुनाव आयोग की राय मांगी गई है जिसमें दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी। 

सूत्रों ने बताया कि सरकार चाहती है कि चुनाव आयोग आने वाले महीनों में अपनी राय बताए ताकि इस मुद्दे पर एक ठोस नजरिया कायम किया जा सके। सरकार के 'एक राष्ट्र , एक चुनाव' की संकल्पना को आकार देने की कवायद के तहत विधि आयोग के आंतरिक कार्य - पत्र में सिफारिश की गई है कि 2019 से दो चरणों में लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। 

दस्तावेज में कहा गया है कि एक साथ चुनाव कराने का दूसरा चरण 2024 में हो सकता है। दस्तावेज में संविधान एवं जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है ताकि इस कदम को प्रभावी बनाने के लिए राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल कम या विस्तारित किया जा सके। 

एक संसदीय समिति और नीति आयोग की सिफारिश के अनुसार ही संशोधन करने का प्रस्ताव है। पहले चरण में जिन राज्यों में चुनाव कराने की सिफारिश की गई है उनमें वे राज्य हैं जहां 2021 में चुनाव होने हैं। इनमें आंध्र प्रदेश , असम , बिहार , मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं। दूसरे चरण के तहत आने वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश , गुजरात , कर्नाटक , दिल्ली और पंजाब है। इन राज्यों में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराने के लिए विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाना होगा। 

चुनाव आयोग के सुझाव के आधार पर कार्य - पत्र में यह भी कहा गया कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बाद विश्वास प्रस्ताव भी लाया जाना चाहिए। इससे सुनिश्चित होगा कि यदि विपक्ष के पास वैकल्पिक सरकार बनाने के लिए संख्या बल नहीं हो तो उस वक्त की सरकार को हटाया नहीं जा सकता है। 

(भाषा इनपुट के साथ

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