नई दिल्लीः कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों से प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है और कई ट्रेनें मजदूरों को भेजा गया है। इस दौरान भारतीय रेलवे ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए राज्य सरकारों से किराया लिया जाएगा।
वहीं, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार गरीब मजदूरों से पैसे वसूल रही है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, 'ट्रेन से वापस घर ले जाए जा रहे गरीब, बेबस मजदूरों से भाजपा सरकार द्वारा पैसे लिए जाने की खबर बेहद शर्मनाक है। आज साफ हो गया है कि पूंजीपतियों का अरबों माफ करने वाली भाजपा अमीरों के साथ है और गरीबों के खिलाफ। विपत्ति के समय शोषण करना सूदखोरों का काम होता है, सरकार का नहीं।'
दरअसल, देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लागू होने के बाद से हजारों प्रवासी देश के विभिन्न स्थानों में फंसे हुए थे। कई लोगों ने पैदल चलकर सैकड़ों किलोमीटर दूर घर जाने का प्रयास भी किया। गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रवासियों और देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे लोगों के लिए विशेष रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति दी थी।
इस संबंध में रेलवे की ओर से एक आदेश में कहा गया कि किराए में शयनयान श्रेणी के टिकट की कीमत, 30 रुपये का सुपरफास्ट शुल्क और प्रति यात्री भोजन तथा पानी के लिए 20 रुपये शामिल होंगे। यात्रियों को रेलवे से कुछ भी खरीदने की जरूरत नहीं है। राज्य सरकारें अपनी ओर से समन्वय और भुगतान करेंगी।
उत्तर प्रदेश के आठ सौ से अधिक श्रमिकों को लेकर महाराष्ट्र के नासिक से चली पहली विशेष ट्रेन रविवार को सुबह छह बजे राजधानी लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंची। कोरोना वायरस से संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के चलते ये श्रमिक 25 मार्च से नासिक में फंसे हुए थे। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान किसी दूसरे राज्य से प्रवासियों को लेकर उत्तर प्रदेश आने वाली यह पहली ट्रेन है।