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Coronavirus lockdown: केंद्र सरकार ने किसानों को दिया तोहफा, दैनिक खरीद सीमा को 25 से बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रति किसान किया

By भाषा | Updated: April 10, 2020 15:18 IST

देश में 21 दिन का लॉकडाउन है। सबसे अधिक परेशान अन्नदाता किसान ही है। हर राज्य में गेहूं और रबी फसल तैयार है। लॉकडाउन और कोरोना वायरस के कारण किसान डर के मारे खेत में नहीं जा रहा है। 

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ठळक मुद्देघाटा होने पर राज्यों को नुकसान का 50 प्रतिशत बोझ वहन करना होता है।पीएसएस के तहत खरीद की दैनिक सीमा 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रति व्यक्ति कर दी गई है।

नई दिल्लीः केन्द्र सरकार ने कोविड-19 के कारण लॉकडाउन की वजह से फसल कीमतों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम होने को देखते हुये किसानों की मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत कृषि फसलों की दैनिक खरीद सीमा को 25 क्विन्टल से बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रति किसान कर दिया है।

कुछ राज्यों द्वारा जल्द खराब होने की संभावना वाली फसलों की कम कीमत होने को लेकर व्यक्त की गई चिंता के बीच केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने इन राज्यों से बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के तहत खरीद प्रस्ताव भेजने को कहा था। प्रत्यक्ष खरीद या पीएसएस योजना तब लागू की जाती है, जब दाल, तिलहन और नारियल गरी की कीमतें एमएसपी से नीचे चली जातीं हैं। इसके तहत केंद्र उत्पादन के 25 प्रतिशत तक के खरी व्यय और नुकसान का बोझ वहन करता है।

वहीं, बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) को जल्द खराब होने की संभावना वाली फसलों और बागवानी फसलों की खरीद करने के लिए उस समय लागू किया जाता है जब पिछले सामान्य वर्ष के मुकाबले कीमतों में 10 प्रतिशत तक कमी आ जाती है।

इस स्थिति में घाटा होने पर राज्यों को नुकसान का 50 प्रतिशत बोझ वहन करना होता है। सरकार की इन योजनाओं के तहत खरीद का काम करने वाली प्रमुख एजेंसी, सहकारी संस्था नाफेड को लिखे पत्र में मंत्रालय ने कहा कि इस साल रबी फसलों के लिए पीएसएस के तहत खरीद की दैनिक सीमा 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रति व्यक्ति कर दी गई है।

मंत्रालय ने नाफेड को, खरीद के आंकड़ों के शुरू होने से 90 दिनों की अवधि के लिए पीएसएस के तहत तिलहन और दलहन खरीदने को भी कहा है, जिस बारे में फैसला संबंधित राज्य द्वारा किया जा सकता है। जहां तक ​​एमआईएस का सवाल है, मंत्रालय ने अलग से जारी एक परिपत्र में - राज्यों को कहा है कि अगर कीमतों में गिरावट दिखाई देती है तो वे इस योजना के तहत जल्द खराब होने वाली कृषि फसलों और बागवानी उत्पादों की प्रत्यक्ष खरीद के कार्यान्वयन के लिए, अपना प्रस्ताव भेजें। 

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