राहुल गांधी ने कहा- एक तरफ पीएम फंड में दान, दूसरी तरफ मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रहे, जरा ये गुत्थी सुलझाइए
By रामदीप मिश्रा | Published: May 4, 2020 09:56 AM2020-05-04T09:56:56+5:302020-05-04T10:20:46+5:30
केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस प्रकोप के मद्देनजर पीएम केयर्स फंड के नाम से एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट की स्थापना की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और इसके सदस्यों में रक्षामंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री शामिल हैं।
नई दिल्लीः भारतीय रेलवे देशभर में फंसे हुए लोगों को ले जाने के वास्ते विशेष श्रमिक रेलगाड़ियों चला रही है। इस दौरान टिकट का किराया वसूलने के मामले में रेलवे को तीखी आलोचना झेलनी पड़ रही है। इस कड़ी में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने सोमवार (04 मई) को ट्वीट कर हमला बोला है।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपये दान दिए जाने के बयान को ट्वीट करते हुए लिखा, 'एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है, वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपये का चंदा दे रहा है। जरा ये गुत्थी सुलझाइए!'
पीयूष गोयल ने किया था 151 करोड़ देने का ऐलान
दरअसल, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ऐलान किया था कोरोना वायरस के खतरे से निपटने में मदद के लिए रेल मंत्रालय 'प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष' (पीएम केयर्स फंड) को 151 करोड़ रुपये दान करेगा। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद मैं, सुरेश अंगदी एक महीने का वेतन दान करेंगे, 13 लाख रेलवे, पीएसयू कर्मचारी एक दिन का वेतन दान करेंगे, जो पीएम-केयर्स फंड में 151 करोड़ रुपये के बराबर होगा।
एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फँसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 4, 2020
जरा ये गुत्थी सुलझाइए! pic.twitter.com/qaN0k5NwpG
केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस प्रकोप के मद्देनजर पीएम केयर्स फंड के नाम से एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट की स्थापना की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं और इसके सदस्यों में रक्षामंत्री, गृहमंत्री और वित्तमंत्री शामिल हैं।
भारतीय रेलवे के दिशानिर्देश
बता दें, भारतीय रेलवे ने देश में फंसे मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने को लेकर कहा है कि क्षमता की 90 प्रतिशत मांग होने पर ही विशेष श्रमिक रेलगाड़ियां चलाई जानी चाहिए और राज्यों को टिकट का किराया लेना चाहिए। स्थानीय राज्य सरकार प्राधिकार टिकट का किराया एकत्र कर और पूरी राशि रेलवे को देकर यात्रा टिकट यात्रियों को सौंपेंगी।
रेलवे ने दिशानिर्देशों में कहा कि फंसे हुए लोगों को भोजन, सुरक्षा, स्वास्थ्य की जांच और टिकट उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उस राज्य की होगी जहां से ट्रेन चल रही है। उसने हालांकि उन यात्रियों के एक समय के भोजन की जिम्मेदारी ली है जिनकी यात्रा 12 घंटे या इससे अधिक समय की होगी। किराए के संबंध में रेलवे ने कुछ भी बोलने से इनकार किया और कहा कि यह राज्य का मामला है।
बताया गया है कि झारखंड में अब तक दो ट्रेनें पहुंची हैं और उसने पूरा भुगतान किया है। राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्य भी भुगतान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र प्रवासियों को किराए का कुछ हिस्सा देने के लिए कह रही है। रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के टिकट का किराया, 30 रुपए सुपर फास्ट शुल्क और 20 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लगा रही है।