कांग्रेस का मोदी सरकार पर आरोप, कहा- उसने देशवासियों के स्वास्थ्य के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैया दिखाकर हटाया HCQ के निर्यात से बैन
By रामदीप मिश्रा | Published: April 10, 2020 10:56 AM2020-04-10T10:56:18+5:302020-04-10T10:56:18+5:30
भारत ने कोरोना वायरस महामारी के बीच इस दवा समेत दो दर्जन से अधिक रसायनों के निर्यात पर पाबंदी लगाई गई थी। निर्यात पर पाबंदी हटाने से पहले अधिकारियों ने इस बात का आकलन किया था कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए देश को इस दवा की कितनी जरूरत है।
मलेरिया रोधी दवा 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' के निर्यात करने की मंजूरी देने को लेकर कांग्रेस देश की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर है। उसका कहना है कि देशवासियों के स्वास्थ्य के प्रति सरकार ने गैर-जिम्मेदाराना रवैया दिखाया है। दरअसल, भारत अपने उन सभी पड़ोसी देशों को पेरासिटामोल और एचसीक्यू (हाइड्रोक्लोरोक्वीन) उपलब्ध करवाएगा जिनकी निर्भरता उसके ऊपर है।
कांग्रेस ने शुक्रवार (10 अप्रैल) को ट्वीट करते हुए कहा, 'नमस्ते ट्रंप के समय पूरे विश्व में कोरोना के हो रहे प्रसार को देखते हुए सतर्कता बरती होती तो आज भारत इतने नाजुक दौर से नहीं गुजरता। अब केंद्र सरकार ने देशवासियों के स्वास्थ्य के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैया दिखाते हुये HCQ के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया।'
उसने कहा, 'एक रिपोर्ट के अनुसार वित वर्ष 2021 में भारत की जीड़ीपी 1.6 प्रतिशत तक गिर सकती है। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि अर्थव्यवस्था को इस नाजुक स्थिति से उबारने लिये क्या कदम उठाये जायेंगे? हमारी अर्थव्यवस्था की कौन चिंता कर रहा है?'
आपको बता दें, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का अमेरिका को निर्यात करने की मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की और शानदार शख्स बताया। इस दवा को कोरोना वायरस के इलाज में कारगर माना जा रहा है। ट्रम्प ने पिछले हफ्ते फोन पर हुई बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी से मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली यह दवा भेजने का अनुरोध किया था।
नमस्ते ट्रंप के समय पूरे विश्व में कोरोना के हो रहे प्रसार को देखते हुए सतर्कता बरती होती तो आज भारत इतने नाजुक दौर से नहीं गुजरता।
— Congress (@INCIndia) April 10, 2020
अब केंद्र सरकार ने देशवासियों के स्वास्थ्य के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैया दिखाते हुये HCQ के निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया। pic.twitter.com/PGYfXKawKR
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के सबसे बड़े उत्पादक भारत ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी. जिसे मंगलवार को हटा दिया गया। कोविड-19 के उपचार में 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन' के इस्तेमाल के दुष्प्रभावों पर गहन बहस के बीच, ट्रम्प लगातार इस दवा को कोविड-19 के इलाज के एक विकल्प के रूप में बढ़ावा दे रहे हैं, जबकि इस घातक वायरस के लिए अभी तक कोई सार्थक उपचार सामने नहीं आया है। अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अब तक 16,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 4.6 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं।
भारत ने इससे पहले, कोरोना वायरस महामारी के बीच इस दवा समेत दो दर्जन से अधिक रसायनों के निर्यात पर पाबंदी लगाई गई थी। निर्यात पर पाबंदी हटाने से पहले अधिकारियों ने इस बात का आकलन किया था कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए देश को इस दवा की कितनी जरूरत है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, 'भारत का रुख हमेशा से यह रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुटता एवं सहयोग दिखाना चाहिए। इसी नजरिए से हमने अन्य देशों के नागरिकों को उनके देश पहुंचाया है। वैश्विक महामारी के मानवीय पहलुओं के मद्देनजर, यह तय किया गया है कि भारत अपने उन सभी पड़ोसी देशों को पेरासिटामोल और एचसीक्यू (हाइड्रोक्लोरोक्वीन) को उचित मात्रा में उपलब्ध कराएगा जिनकी निर्भरता भारत पर है।