'रिजर्व बैक के फैसलों से भयानक मंदी के संकेत, आम लोगों को नहीं मिलेगा रेपो दर में कमी का फायदा'
By भाषा | Published: May 22, 2020 02:30 PM2020-05-22T14:30:10+5:302020-05-22T14:30:10+5:30
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कोविड-19 संकट के प्रभाव को कम करने के लिए ब्याज दरों में कटौती, कर्ज अदायगी पर ऋण स्थगन को बढ़ाने और कॉरपोरेट को अधिक कर्ज देने के लिए बैंकों को इजाजत देने का फैसला किया।
नई दिल्लीः कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में कमी किए जाने, विकास दर के नकारात्मक रहने का अनुमान लगाए जाने और कर्ज पर ब्याज के भुगतान में मोहलत तीन महीने बढ़ााए जाने के फैसलों से देश में भयानक मंदी के संकेत मिलते हैं। पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने एक बयान में कहा, ‘‘ रेपो दर में कमी का फायदा आम लोगों को नहीं मिलेगा क्योंकि कर्ज की मांग नहीं है। हां, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को सस्ता कर्ज लेने का फायदा हो सकता है। हमारे ऊपर इसका बड़ा दुष्प्रभाव रहेगा कि एफडी और बचत खाते पर ब्याज कम हो जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ रिजर्व बैंक ने पहली बार यह माना कि मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर नकारात्मक रहेगी। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने कहा था कि भारत की विकास दर -5 प्रतिशत तक गिर सकती है। इसका मतलब यह कि देश में भयानक मंदी के संकेत हैं।’
वल्लभ के मुताबिक कर्ज पर ब्याज के भुगतान में मोहलत को तीन महीने बढ़ा दिया गया। इससे सरकार कथनी और करनी में एक विरोधाभास साबित होता है। एक तरफ तो सरकार 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज से कर्ज की खुराक दे रही है। दूसरी तरफ, इस कदम से यह संदेश दे रही है कि कर्ज की मांग नहीं हैं।
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कोविड-19 संकट के प्रभाव को कम करने के लिए ब्याज दरों में कटौती, कर्ज अदायगी पर ऋण स्थगन को बढ़ाने और कॉरपोरेट को अधिक कर्ज देने के लिए बैंकों को इजाजत देने का फैसला किया।
आरबीआई ने प्रमुख उधारी दर को 0.40 प्रतिशत घटा दिया। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की अचानक हुई बैठक में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रेपो दर में कटौती का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। इस कटौती के बाद रेपो दर घटकर चार प्रतिशत हो गई है, जबकि रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत हो गई है।