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11 मार्च को होंगे गोरखपुर में उपचुनाव, जानिए योगी के गढ़ का कैसा रहा है इतिहास

By खबरीलाल जनार्दन | Updated: February 18, 2018 18:17 IST

कहा जाता है कि 2007 में योगी के भाषण के बाद गोरखपुर में दंगा हुआ था और प्रशासन ने उन्‍हें दंगे का मुख्य आरोपी बताते हुए हिरासत में लिया था। इसके बाद उनके समर्थकों ने पुरे इलाके में कोहराम मचा दिया था।

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उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की हाईप्रोफाइल गोरखपुर लोकसभा सीट और इलहाबाद फूलपुर की वीआईपी सीट पर 11 मार्च को उपचुनाव होने हैं। जबकि परिणाम 14 मार्च को आ जाएंगे। पिछले साल यूपी विधानसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद मौर्या के उप मुख्यमंत्री बनने के बाद ये दोनों लोकसभा सीटें खाली हो गई हैं। गोरखपुर लोकसभा की सीट से योगी आदित्यनाथ 1998 से जीतते आ रहे हैं। पूर्वांचल की यह सीट योगी के नाम से जुड़े होने के कारण अधिक चर्चा में है। इसी कारण यह उपचुनाव को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और योगी के प्रतिष्ठा से जुड़ गया है।

गोरखपुर लोकसभा की सीट पर गोरक्षपीठ का रहा है दबदबा

इस सीट से गोरखनाथ मंदिर का संबंध कई दशकों से रहा है। साल 1967 और देश के चौथे लोकसभा चुनाव में महंत दिग्विजय नाथ ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस के उम्मीदवार एसएल सक्सेना को हराकर आजादी के बाद इस सीट पर पहली बार किसी गैर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। लेकिन दुभार्ग्यवश मात्र दो साल बाद ही महंत दिग्विजय नाथ का निधन हो गया और इस सीट पर पहली बार 1970 में उपचुनाव हुआ। इस बार अपने गुरु के विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अवैद्यनाथ पर था और इस जिम्मेदारी को अवैद्यनाथ ने बखूबी निभाया और इस सीट को जीतने में कामयाब रहे। हालांकि इसके ठीक बाद में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नरसिंह नारायण ने उन्हें 36 हजार वोटों से हरा दिया। 1971 से लेकर 1988 तक गोरक्षपीठ इस सीट पर चुनाव नहीं लड़े। अवैद्यनाथ ने फिर हिंदू महासभा के सीट पर चुनाव लड़ा और जनता दल के कैंडिडेट रामपाल सिंह को हराकार अपनी जीत दर्ज की। 1988 से लेकर 2014 तक यह सीट गोरक्षपीठ के पास ही है।

जब योगी समर्थकों ने गोरखपुर मचा दिया था कोहराम

अवैद्यनाथ के राजनैतिक से संन्‍यास लेने के बाद अपने गुरु के विरासत को आगे बढाते हुए 1999 में 12 वीं लोकसभा की चुनाव में योगी ने जीत दर्ज की। और उस समय संसद में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के ( 26 साल) सांसद थे। योगी फिलहाल बीजेपी के सबसे बड़े हिंदुत्व चेहरा माने जाने लगे हैं। कहा जाता है कि 2007 में योगी के भाषण के बाद गोरखपुर में दंगा हुआ था और प्रशासन ने उन्‍हें दंगे का मुख्य आरोपी बताते हुए हिरासत में लिया था। इसके बाद उनके समर्थकों ने पुरे इलाके में कोहराम मचा दिया था।

इसके बाद योगी पर आरोप लगा कि वह ईसाइयों को हिंदू धर्म में परिवर्तित करने का अभियान चला रहे हैं। इस अभियान के दौरान दंगा हुआ और इस दंगे में दो लोग मारे गए जिसके बाद योगी काफी सुर्खियों में रहे।

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर योगी की नाराजरी इस हद तक बढ़ गई थी की उन्होंने अपने हिंदू युवा वाहिनी के उम्मीदवारों को कई सीटों पर उतार दिया था। हालांकि बाद में अमित शाह से मिलने के बाद उम्मीदवारों को मैदान से हटा दिया।

बीजेपी ने पिछले विधानसभा की चुनाव में यूपी में प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की और पार्टी आलाकमान ने योगी को तरजीह देते हुए मुख्यमंत्री नियुक्त किया। चुनाव से पहले ही देश भर के संतों का कहना था की योगी को मुख्यमंत्री बनाया जाए । संत समाज का ऐसा मानना है की अगर योगी मुख्यमंत्री बन जाते है तो राम मंदिर बनने का रास्ता आसान हो सकता है। 

रिपोर्ट- प्र‌िंस राय

टॅग्स :उप-चुनाव 2018योगी आदित्यनाथभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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